अनोखा तीर, सिराली। पुलिस थाने में प्रजापिता ब्र्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर से शांत मन खुशनुमा जीवन विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें माउंट आबू से पधारी ज्ञान अमृत मासिक पत्रिका की संपादक ब्र्रह्मकुमारी उर्मिला ने बताया कि आप अपने दिमाग में आइस फैक्ट्री खोलें अर्थात दिमाग को ठंडा रखें। मुख में शुगर फैक्ट्री खोलें अर्थात जबान को मीठा रखें और दिल में लव फैक्ट्री खोल अर्थात दिल में सबके प्रति प्रेम की भावना रखें। आगे उन्होंने कहा कि अध्यात्म भी मनुष्यों को शांति और सुरक्षा प्रदान करता है। हम केवल बाहरी सुरक्षा की बात नहीं करते लेकिन आत्मा के जो शत्रु है काम क्रोध लोभ, मोह, अंहकार आलस बदले की भावना इन सबको भी खत्म करने की विधि बताते हुए कहा, मेडिटेशन इसकी सबसे सुंदर विधि है। उन्होंने पुलिस कर्मियों को मेडिटेशन का अभ्यास भी करवाया। ब्र्रह्मकुमार राजेश ने पुलिस कर्मियों के प्रश्नों के उत्तर देते हुए कहा कि हम कितने भी बिजी हो लेकिन अपने मन को इजी रख सकते हैं और इसकी विधि यह है कि कर्म करते हुए कुछ पल परमात्मा की स्मृति में रहने का अभ्यास करें। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि कर्मक्षेत्र पर अगर शांत मन खुशनुमा जीवन के टिप्स भी अपनाये तो कार्य कुशलता में सकारात्मक परिणाम प्रकट होते हैं। इधर दिव्य शक्ति भवन सिराली में शाम 7 से 8 बजे तक सिराली शहर के सभी व्यापारियों के लिए कार्यक्रम रखा गया, जिसका विषय था शांत मन खुशनुमा जीवन, इस कार्यक्रम में प्रजापिता ब्र्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू से पधारी ब्र्रह्मकुमारी उर्मिला ने व्यापारियों को व्यापार करते हुए तनाव से कैसे मुक्त रहे और खुश कैसे रहे, उसके कुछ सुझाव दिए, उन्होंने कहा कि हमारे जीवन के चार मुख्य आधार हैं, तन मन धन और हमारे संबंध। इन चारों को स्वस्थ, साफ, जिम्मेवार, ईमानदार रखना बहुत आवश्यक है, इसलिए व्यापारियों को कुछ समय निकाल करके खुली हवा में सैर भी करना चाहिए समय पर भोजन भी करना चाहिए। कई बार काम का अधिक दबाव इतना होता है कि शरीर की मूलभूत आवश्यकता भी उपेक्षित हो जाती हैं और पारिवारिक संबंधों में भी हम कई बार कई कार्यो को उपेक्षित कर देते हैं। इसलिए हमें अपनी दिनचर्या ऐसी बनानी है जिसमें इन चारों आधारों पर हम बराबर अटेंशन दे सके। धन भी कमाए लेकिन साथ-साथ परिवार को भी खुश रखें साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि तनाव से मुक्त होने का एक फार्मूला है, जितनी हमारी आंतरिक शक्ति बढ़ती है, उतना ही हमे दिव्यता की अनुभूति होती है।
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