मप्र के धार्मिक नगरों में होगी शराबबंदी : सीएम यादव

 

मप्र में 17 नगर हैं धार्मिक घोषित

अनोखा तीर, उज्जैन। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने सोमवार को प्रदेश में शराबबंदी को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश के धार्मिक नगरों में शराबबंदी पर गंभीरता से विचार कर रही है। इसके लिए आबकारी विभाग को नीति में बदलाव करने व व्यवस्था बदलाव का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए कहा गया है। मुख्यमंत्री के इस बयान पर कांग्रेस नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। सीएम ने सोमवार को कहा, बजट सत्र नजदीक है। ऐसे में सरकार धार्मिक नगरों में शराबबंदी को लेकर आबकारी नीति में संशोधन करने पर विचार कर रही है। आगामी 1 अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष में इस पर अमल किया जा सकता है। राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए धार्मिक नगरों की बाहरी सीमाओं में शराब दुकानें खोलने को लेकर आबकारी विभाग के अधिकारी मंथन कर रहे है।

दो दिन पहले हुई थी चर्चा

मुख्यमंत्री यादव ने दो दिन पहले वाणिज्यिक कर विभाग की समीक्षा बैठक में आबकारी नीति पर चर्चा की थी। इसमें अफसरों की ओर से दिए सुझाव को बदलने के लिए कहा गया है। इसके बाद बजट सत्र के पहले नई आबकारी नीति के प्रस्ताव को कैबिनेट बैठक में मंजूरी दी जाएगी। एक अप्रैल 2025 से यानी नए वित्त वर्ष से इसे लागू किया जाएगा।

तो इन 17 शहरों से बाहर होगी शराब

तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में प्रदेश के 17 शहरों को पवित्र नगर घोषित किया जा चुका है। इसी लिहाज से यहां कई प्रतिबंध भी सरकार ने लगाने का फैसला किया था लेकिन अमल नहीं हो पाया है। मौजूदा मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव की घोषणा पर अमल हुआ तो 17 शहरों में शराब के शौकीनों को शहर से बाहर से शराब खरीदनी पड़ेगी।

जिन शहरों में यह प्रतिबंध प्रभावी हो सकता हैं उनमें ओरछा, अमरकंटक, उज्जैन, मंदसौर, मंडला, मुलताई, महेश्वर, मैहर, नर्मदापुरम, पन्ना, दतिया, सलकनपुर, पन्ना, जबलपुर, बरमान जिला नरसिंहपुर, चित्रकूट व मंडलेश्वर महेश्वर से 8 किमी.दूर शामिल हैं। इन्हें वर्ष 2003 के बाद समय-समय पर धार्मिक व पवित्र नगर घोषित किया जा चुका है।

पहले ठेकेदारों से बात कर लें : दिग्विजय

इधर, मुख्यमंत्री की घोषणा पर विपक्षी नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि शराबबंदी करना ही है तो इसकी शुरुआत उज्जैन से की जानी चाहिए। वहीं पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने कहा कि जनता ने उन्हें सरकार बनाने का मौका दिया है। यह उनका अधिकार है किसे शराब पिलाएं और किसे नहीं, लेकिन सीएम पहले शराब ठेकेदारों से बात कर लें।

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