–12 साल पुराने केस में जेल डीआईजी की संपत्ति कुर्क
-सौरभ शर्मा केस में पुलिस का ठंडा रुख बरकरार
अनोखा तीर, भोपाल। परिवहन मामले के मुख्य आरोपी सौरभ शर्मा को तो छोड़िए, लोकायुक्त पुलिस अब तक उसके सारथी रहे चेतन गौर को पकड़ने में भी नाकाम है। इधर, केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की टीम ने 12साल पहले दर्ज लोकायुक्त पुलिस की एक एफआईआर के आधार पर जेल विभाग के पूर्व डीआईजी स्व.उमेश गांधी की पौने पांच करोड़ की संपत्ति को कुर्क कर लिया है। इससे पहले भी ईडी ने सौरभ शर्मा मामले में उसके घर पर छापा डालकर करीब 23 करोड़ की चल-अचल संपत्ति का खुलासा किया था, जिसे लोकायुक्त पुलिस ने पहले डाले गए छापे में छोड़ दिया था। लोकायुक्त पुलिस स्थापना का इतना खराब परफार्मेंस पहले कभी नहीं रहा। यहां तक कि तीन साल पहले मौजूदा पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना ने इस संस्थान में रहते हुए भ्रष्टाचारियों की नकेल कस संस्था के प्रभाव को स्थापित करने में सफलता अर्जित की थी। यह अलग बात है कि सख्त कार्यशैली के चलते उन्हें छह माह में ही इस पद से हटा दिया गया था। सौरभ शर्मा केस में लोकायुक्त पुलिस ने जिस तरह से कार्यवाही की, उसे लेकर कई सवाल खड़े हो गए। इस बहुचर्चित केस में पुलिस अब तक सिर्फ सौरभ की मां उमा शर्मा के बयानभर दर्ज कर सकी है। पुलिस के हाथ न तो मुख्य आरोपी सौरभ लगा, न उसके संगी साथी। साथी आरक्षकों से भी पूछताछ नहीं यहां तक कि पुलिस ने उन चार आरक्षकों से भी पूछताछ की आवश्यकता नहीं समझी, जिनके नाम इस केस में सौरभ के वसूली कर्ता के तौर पर सामने आए थे। पुलिस ने औपचारिकता के तौर पर इस मामले में सौरभ शर्मा, उसकी पत्नी दिव्या तिवारी, मां उमा शर्मा के अतिरिक्त सौरभ के सहयोगी चेतन गौर और शरद जायसवाल को सम्मन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया था। जब कोई नहीं पहुंचा तब मामले में लोकायुक्त पुलिस के जांच अधिकारी वीरेंद्र सिंह तीन दिन पहले औचक रूप से सौरभ के घर पहुंचे और उसकी मां उमा के बयान दर्ज कर लौट आए। बयान के लिए चेतन से भी संपर्क किया, लेकिन उसका फोन बंद मिला। उसके बाद से पुलिस लगातार उसे तलाश रही है। सौरभ केस में लोकायुक्त पुलिस का ठंडा रुख चर्चा का विषय बना हुआ है।
औरों को बयान दिए, लोकायुक्त पुलिस को नहीं
खास बात यह कि चेतन इसके पहले आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय ईडी के पास पहुंचकर अपने बयान दर्ज कर चुका है लेकिन लोकायुक्त पुलिस की परवाह उसने भी नहीं की। वहीं, चार जांच एजेंसियों के मोस्ट वांटेड सौरभ शर्मा का पता नहीं चल रहा है। एजेंसियां यह भी पता नहीं कर पाई हैं कि वह दुबई में है या भारत आ गया।
दिवंगत डीआईजी की संपत्ति कुर्क
इधर, ईडी ने शनिवार को जेल विभाग के दिवंगत डीआईजी उमेश गांधी के परिजनों की 4.68 करोड़ की चल-अचल संपत्ति कुर्क की। यह कार्यवाही लोकायुक्त पुलिस द्वारा स्व.गांधी के खिलाफ 12 साल पहले दर्ज एफआईआर के आधार पर की गई। लोकायुक्त पुलिस इस मामले में भी सिर्फ आरोप पत्र अदालत में दायर कर सकी।
5.13 करोड़ का मामला, संपत्ति 4.68 करोड़ की कुर्क
लोकायुक्त पुलिस ने आरोप पत्र में पूर्व डीआईजी व उनके परिजनों पर 5.13करोड़ की अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करने की बात कही। ईडी ने इसे आधार बनाकर धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत जांच की। इसमें कुल 4.68 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति मिली। इसमें से 20 अचल संपत्तियां सागर, कटनी, सीहोर, भोपाल और इंदौर में स्थित हैं। इसके अलावा, बैंक खातों की शेष राशि, आभूषण, बीमा पॉलिसियां, म्यूचुअल फंड और किसान विकास पत्र जैसी चल संपत्तियां भी शामिल हैं। इन सभी को ईडी ने अस्थायी रूप से कुर्क कर लिया है।
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