अनोखा तीर, हरदा। प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस स्वामी विवेकानंद शासकीय महाविद्यालय में प्राचार्य डॉ.अरुण सिकरवार के मार्गदर्शन में भारतीय ज्ञान परंपरा से संबंधित जिला स्तरीय अकादमिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के चतुर्थ दिवस में भारतीय संस्कृति के लोकनृत्य में समूह लोकनृत्य और एकल नृत्य विधा का आयोजन किया गया। जिसमें आदिवासी सभ्यता और संस्कृति से सबंधित नृत्य किए गए। डॉ.सीपी गुप्ता ने बताया कि समूह नृत्य में प्रथम स्थान शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय टिमरनी, द्वितीय स्थान प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस स्वामी विवेकानंद शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय हरदा और तृतीय स्थान शासकीय आदर्श महाविद्यालय हरदा ने प्राप्त किया। इसी प्रकार एकल नृत्य में प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस ने प्रथम और शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय टिमरनी ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। समूह और एकल नृत्य की विजेता टीमें 23 से 30 दिसंबर 2024 के मध्य आयोजित होशंगाबाद में संभाग स्तरीय कार्यक्रम में प्रतिभागिता करेंगी। कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों और निर्णायक मंडल के सदस्यों के स्वागत से हुआ। आज के निर्णायक मंडल के सदस्य थे शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हरदा की श्रीमती हेमलता अग्रवाल, शहर के कला मर्मज्ञ विक्रांत अग्रवाल और प्रसिद्ध लोक गायक जय पुजारी। लोकनृत्य विधा का सफल क्रियान्वयन यशवंत अलावा के नेतृत्व में हुआ। कार्यक्रम में डॉ.जेके कमलपुरिया, डॉ.धीरा शाह, डॉ.निर्मला डोंगरे, डॉ.रश्मि सिंह, डॉ.सीपी गुप्ता, डॉ.धर्मेंद्र कोरी, डॉ.धर्मेंद्र शाक्य, डॉ.कैलाश सोलंकी, डॉ.रवि व्यास, डॉ.रविंद्र सोनपुरे, राजेश दीक्षित, डॉ वंदना मगरदे, डॉ.पारसनाथ बेले, डॉ.राजेन्द्र नागले अंजली जिझौतिया, प्रियंका चंदेल, शशांक शुक्ला अंशुल जोशी आदि उपस्थित रहे। आभार व्यक्त करते हुए लोक नृत्य संयोजक डॉ दीपिका सेठे ने कहा कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा लोक संस्कृति को पुनर्जीवित करने का यह एक अद्वितीय प्रयास है। वास्तव में भारतीय ज्ञान परंपरा में कहा गया है कि ‘कला साहित्य विज्ञान विहीना साक्षात नर पशु पुच्छ विषाण हीनाÓ अर्थात जिस व्यक्ति के अंदर कला साहित्य या विज्ञान नहीं है वह मनुष्य होकर भी बिना पूंछ और सींग का पशु है। प्रत्येक व्यक्ति में कोई ना कोई कला अवश्य मौजूद होती है। आवश्यकता है तो उस कला को निखारने की पहचानने की और तरासने की। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति और मध्यप्रदेश शासन ने हम सभी प्राध्यापकों को यह सुनहरा अवसर दिया है कि हम अपने-अपने महाविद्यालयों से इन नेपथ्य के कोहिनूर हीरों को तरास कर भारतीय संस्कृति के रंग मंच पर प्रस्तुत करने का दायित्व निभाएं। कार्यक्रम का सफल संचालन बसंत राजपूत द्वारा किया गया।
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