–अपने ही आश्रम में आराम कर ले रहे उपचार…
-प्रतिदिन हाल जानने पहुंचे रहे हजारों भक्त…
विकास पवार बड़वाह। निमाड़ के जाने-माने प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा के शरीर त्यागने की खबर कोरी अफ़वाह है। फिलहाल नर्मदा तट के गांव भट्टयान बुजुर्ग स्थित अपने आश्रम में ही बाबा आराम कर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। उपचार सेवा में 24 घंटे स्वास्थ्य विभाग की टीम मौजूद है, जो उनकी पूरी तरह से देखभाल कर रही है। फिलहाल बाबा को ऑक्सीजन दिया जा रहा है। भोजन के तौर पर ओआरएस का लिक्विड पिलाया जा रहा है। हालांकि बाबा भी पूरी तरह मौन धारण कर भगवान की भक्ति में लीन हो गए है। उनका शरीर ही मोमेंट करते दिखाई देता है, जो कुछ बात इशारे में अपने भक्तो से कह रहे हैं। बाबा के अस्वस्थ होने से उनके भक्तों का भी मन विचलित है। इसके चलते हाल जानने के लिए प्रतिदिन दूर दराज से हजारों की संख्या में भक्तगण आश्रम पहुंच रहे हैं। दीर्घायु की कामना कर दर्शन लाभ ले रहे हैं। हालांकि भक्तों को सेवादारों द्वारा बाबा के नजदीक तक नही आने दिया जा रहा है। उनके दर्शन हेतु आश्रम की खिड़की खोली गई है। भक्त कतारबद्ध होकर वहीं से बाबा के दर्शन लाभ ले रहे हैं। बता दें कि कुछ दिन बाबा सनावद स्थित निजी अस्पताल में भी एडमिट रहे। जहां से उनके उपचार में सुधार होने के बाद उन्हें पुन: आश्रम लाया गया।
17 साल की उम्र में त्यागा घर संसार
ग्रामीणों व सेवादार राजेश बिड़ला के मुताबिक श्री सियाराम बाबा गुजरात के जिला काठियावाड़ के निवासी होकर बाबा ने 17 साल की उम्र में ही घर संसार त्याग दिया था। जिसके पश्चात 22 साल की उम्र में वह निमाड़ के इस भट्टयान बुजुर्ग गांव में पहुंचे थे। कई समय तक कुटिया बनाकर रह रहे थे। प्रतिदिन प्रात: काल नर्मदा स्नान करते रहे। हनुमानजी के परम भक्त होकर उनकी मूर्ति को स्थापित किया। बाबा से गांव वालों की आस्था जुड़ी। फिर गांव में उनके छोटे रूप में आश्रम का निर्माण हुआ।
नर्मदा में आए बाढ़ तो भी बाबा रहते अपने आश्रम में
बताते हैं कि कई बार नर्मदा नदी की बाढ़ की वजह से गांव के घर डूब जाते हैं। ग्रामीण ऊंची सुरक्षित जगह चले जाते है। लेकिन बाबा अपना आश्रम व मंदिर छोड़कर कहीं नहीं जाते। बाढ़ के दौरान मंदिर में ही रहते थे। बाढ़ उतरने पर ग्रामीण उन्हें देखने आते हैं तो कहते हैं मां नर्मदा आई थी। दर्शन व आशीर्वाद देकर चली गई। मां से क्या डरना, वो तो मैय्या है। ग्रामीणों ने बताया कि बाबा के शरीर पर कपड़े के नाम पर केवल लंगोट रहती है। कड़ाके की ठंड हो, भारी वर्षा हो या फिर भीषण गर्मी बाबा लंगोट के अलावा कोई अन्य वस्त्र धारण नहीं करते। आज तक उन्हें संपूर्ण वस्त्र में हमने कभी नहीं देखा है।
पूर्व में भी 12 साल तक किया मौन व्रत
ग्रामीण बताते है कि पूर्व में भी बाबा ने 12 साल तक मौन व्रत धारण किया था। कोई नहीं जानता था बाबा कहां से आए हैं। बाबा ने मौन व्रत तोड़ा और पहला शब्द सियाराम बोले तब से गांव वाले उनको सियाराम बाबा कहने लगे। उल्लेखनीय है कि बाबा के स्वास्थ्य को लेकर कलेक्टर, एसडीएम और सांसद विधायक भी मिलने पहुंचे थे।
Views Today: 2
Total Views: 164