बुधनी का रण- भाजपा शिवराज तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं के भरोसे

चुनाव की घोषणा लेकिन तय नहीं हो सके दोनों ही दलों के प्रत्याशी


गजेंद्र खंडेलवाल भैरुदा(नसरुल्लागंज)/बुदनी। मंगलवार को चुनाव आयोग के द्वारा मध्य प्रदेश की दो विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए तारीख की घोषित कर दी। दोनों ही जगह पर 13 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को परिणाम आएंगे। आयोग के द्वारा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी गई है लेकिन मध्य प्रदेश में होने वाले दो विधानसभा उपचुनाव के लिए राजनीतिक दल अभी तक प्रत्याशी का चयन नहीं कर सके हैं। मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि देश मैं सुर्खियां बटोरने वाली बुधनी विधानसभा में भी उपचुनाव होना है। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद यह सीट रिक्त हुई थी। बुधनी विधानसभा वही सीट है जहां से शिवराज सिंह चौहान ने 18 वर्षों तक लगातार विधायक का प्रतिनिधित्व करते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान संभाली थी। बुधनी विधानसभा केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की जन्म एवं कर्मभूमि है। अपनी राजनीति का आगाज उन्होंने यहां की जनता के बीच से किया है। इस दौरान कई धरना आंदोलन किए जाने के बाद क्षेत्र की जनता ने उन्हें संसद और विधायक दोनों ही पदों पर सुशोभित किया है। बुधनी विधानसभा उपचुनाव को लेकर अब तैयारी पूरी हो चुकी है और आगामी एक सप्ताह के अंदर नाम निर्देशन पत्र जमा करने की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी। चुनाव आयोग जहां पूरी तरह तैयार है वही भाजपा एवं कांग्रेस के द्वारा अभी तक प्रत्याशी का चयन नहीं किया गया है। भाजपा में जहां केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा के आधार पर टिकट तय होगा तो कांग्रेस के द्वारा लगातार दो दिनों तक कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद कर प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है। ऐसे में यह माना जा सकता है कि भाजपा शिवराज सिंह चौहान के भरोसे तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं के दम पर इस रण में विजय पाने के लिए आतुर नजर आ रही है।


भाजपा और कांग्रेस से आधा दर्जन से अधिक दावेदार
चुनाव की तिथि घोषित होने के बाद बुधनी विधानसभा में सियासी पारा चढ़ने लगा है। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दिए जाने के बाद से ही उपचुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस के कई दावेदार टिकट के लिए भोपाल की दौड़ लगा रहे थे। उपचुनाव के लिए दोनों ही दलों के द्वारा प्रत्याशी चयन में संगठन पर अपना निर्णय छोड़ा गया है। भाजपा प्रत्याशी के लिए जहां नाम का पैनल तैयार कर केंद्रीय नेतृत्व के पास सूची भेजी गई है तो कांग्रेस के द्वारा भी कार्यकर्ताओं से रायसुमारी कर नामो का पैनल तैयार कर लिया गया है। दोनों ही दलों से आधा दर्जन से भी अधिक नेता टिकट के लिए जोर लगा रहे हैं। भाजपा से प्रमुख रूप से जहां केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के सुपुत्र कार्तिकेय सिंह चौहान, पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव, पूर्व निगम अध्यक्ष गुरु प्रसाद शर्मा, पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह राजपूत, पूर्व प्रदेश सचिव रघुनाथ सिंह भाटी, वर्तमान भाजपा जिला अध्यक्ष रवि मालवीय, भाजपा नेता आसाराम यादव, लखन यादव के नाम की चर्चा चल रही है। वहीं कांग्रेस से पूर्व मंत्री राजकुमार पटेल, पूर्व जनपद अध्यक्ष महेश राजपूत, 2023 के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे विक्रम मस्ताल शर्मा(हनुमान जी), सुरेश चंद सेठी, ममता कीर, अजय पटेल के नाम सामने आए हैं।


कार्यकर्ताओं को मिलेगी तवोज्जो या ऊपर से तय होंगे नाम
बुधनी विधानसभा के उपचुनाव में दोनों ही दलों में यह चर्चा आम है कि प्रत्याशी चयन में कार्यकर्ताओं के द्वारा दिए जा रहे नाम को तवज्जो मिलेगी या फिर भोपाल में बैठे नेता ही नाम तय कार्यकर्ताओं को थोपेंगे। बुधनी विधानसभा में कुछ ऐसे हालात अभी तक कांगेस में देखने को मिले हैं। जिसमें दो चुनावों में कांग्रेस के द्वारा पैराशूट उम्मीदवार भेजा गया था। जिनका बुधनी विधानसभा क्षेत्र से कभी कोई नाता नहीं रहा था। लेकिन होने वाले उपचुनाव में भाजपा एवं कांग्रेस दोनों ही कार्यकर्ताओं की पसंद को तवज्जो दिए जाने की बात कह रही है। लेकिन यह आने वाला समय ही तय करेगा की कार्यकर्ताओं के मनोबल को दोनों ही दलों ने ऊंचा रखने का कितना प्रयास किया है। हालांकि भाजपा एवं कांग्रेस में कई ऐसे नेता टिकट का प्रयास कर रहे हैं जिनका आम जनता और कार्यकर्ताओं के बीच सीधा विरोध है। विशेषकर सत्ताधारी दल भाजपा में ऐसी स्थिति अधिक देखने को मिल रही है। भाजपा कार्यकर्ताओं की माने तो इन नेताजी को कार्यकर्ताओं व आम जनता से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन टिकट के दौड़ में इस समय सबसे प्रमुख बताएं जा रहे हैं। यदि ऐसा होता है तो भाजपा कार्यकर्ताओ की मंशा को तवज्जो देने में नाकाम साबित होगी। हालांकि कांग्रेस के द्वारा भी स्थानीय स्तर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को ही टिकट देने का वायदा किया गया है। अब प्रत्याशी चयन के बाद ही यह साफ होगा कि दोनों ही दलों ने कार्यकर्ताओं को कितनी तवोज्जो दी है।

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