-हरदा का पहला चमत्कारी सिद्ध माता मंदिर में होती है हर मनोकामना पूरी
-१५० वर्ष से अधिक प्राचीन शीतलामाता मंदिर की है अनूठी महिमा
-७ दिनों तक नहीं थमती ढोलक की थाप, सालों से चली आ रही परंम्परा
अनोखा तीर, हरदा। शहर के गढ़ीपुरा में स्थित शीतला माता का मंदिर १५० वर्ष से ज्यादा पुराना है। यह शहर के सबसे प्राचीन देवी मंदिरों में से एक है। हरदा के सबसे पहले एक मात्र चमत्कारी सिद्ध शीतलामाता मंदिर की अनूठी महिमा है। भक्तो का मानना है कि यहां मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है। यह शीतलामाता एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां शिव-पार्वती की आपस में जुड़ी हुई प्रतिमा विराजमान है। शहर के हर कोने से यहां श्रद्धालु आते हैं। इसकी खासियत यह है कि यहां करीब ५० साल से नवरात्रि में रामसत्ता का आयोजन लगातार चल रहा है। इसमें बारी-बारी से 4 लोग ढोलक बजाते हैं। यह सिलसिला ७ दिनों तक लगातार चलता रहता है। 8वें दिन तय समय पर समापन होता है। शीतला माता का मंदिर शहर में बेहद प्रसिद्ध और आस्था व पूजन का केंद्र है। मंदिर के पुजारी ७० वर्षीय प्रमोद उपाध्याय बताते हैं कि यहां पूर्व में मढ़िया थी। बाद में सभी के आपसी सहयोग से मंदिर का सुधार हुआ। यहां नवरात्रि में तो श्रद्धालु आते ही हैं, अन्य समय में भी रोज जल चढ़ाने भक्तों की सबसे ज्यादा भीड़ लगती है। कई बार लंबी कतारें लगती हैं। शादी-विवाह के समय माता पूजन के लिए भी लोग यहीं आने को प्राथमिकता देते हैं। माता भक्त शैलेन्द्र माकवे, सतीश कपोले, अजय माकवे, कमलेश शर्मा माता मंदिर महिमा बताते हुए कहा कि इस प्राचिन मंदिर के बारे बुजुर्ग हमे बताते थे कि यह शहर का एक मात्र पहला शीतलामाता मंदिर है। यह लगभग १५० वर्ष से पुराना है। इस मंदिर में कई भक्तों को माता का चमत्कार देखने को मिला है। कई वर्ष पहले की बात है नवरात्रि के समय रात में मंदिर में अचानक घंटियां बजने लगी थी। साथ ही यहां जिन महिला को संतान प्राप्त नहीं होती वह यहां दर्शन कर अपनी मनोकामना पूर्ण करती है और उनकों फल स्वरूप संतान की प्राप्ति भी होती है। नवरात्रि के अलावा भी यहां रोजाना जल चढ़ाने भक्त पहुंचते है। नवरात्रि में पूरे नो दिन माता का अलग-अलग स्वरूपों में सिंगार किया गया जाता है।चेचक बीमारी से मिलती है निजातदेवी भक्त शैलेन्द्र माकवे बताते है कि यहं मंदिर इसलिए भी सिद्ध माना जाता है कि यहां पर जिस किसी को भी चेचक की शिकायत होती है, उनके परिजन यहां आकर श्रद्धा से जल चढ़ाते है और उस जल को चेचक से पीड़ित व्यक्ति को तीन दिनों तक पिलाते है। जिससे पीड़ित व्यक्ति को बहुत जल्द आराम लग जाता है। यूं तो शहर में अब कई मंदिर हो गए है लेकिन शादी-विवाह के समय भक्त इसी मंदिर में पूजन-अर्चन करने आते है।दिन में महिलाएं, रात में पुरुष देते हैं भजनों की प्रस्तुतिमंदिर पुजारी उपाध्याय परिवार की चौथी पीढ़ी के सदस्य आकाश उपाध्याय बताते हैं कि नवरात्रि में रामसत्ता में आसपास की भजन मंडलियां आती हैं। दिन में महिलाएं जस गाती हैं। रात में मंडल प्रस्तुति देते हैं। रामसत्ता में बजने वाली ढोलक लगातार सप्ताहभर एक जैसी बजती है। यह क्रम न टूटे इसके लिए ढोलक बजाने वाले श्रद्धालु कलाकार तय समय अनुसार पहले से तैयार रहते हैं। रोज शाम माता का आकर्षक श्रृंगार होता है। 9 दिन अखंड ज्योत जलती है।अष्टमी पर होने वाला भंडारा व कन्याभोज में सैकड़ों भक्त माता का प्रसाद ग्रहण करने पहुंचते है।