जिसे समझ रहे थे मृत, वह मिला जिंदा


11 साल बाद पुलिस ने ढूंढ निकाला


पांच लोगों पर हत्या कर साक्ष्य छुपाने का बना था प्रकरण, अब मिली राहत


अनोखा तीर, हरदा।
शनिवार को हरदा पुलिस अधिक्षक अभिनव चौकसे द्वारा पुलिस कंट्रोल रूम में प्रेस वार्ता कर 11 साल पुराने एक मामले का खुलासा किया गया।  जिस व्यक्ति को मृत समझा जा रहा था। उसे 11 साल बाद पुलिस जिंदा ढूंढकर ले आई है। मृतक के जिंदा मिलने पर हत्या के आरोप लगे पांच लोगों को राहत मिली है।  श्री चौकसे ने बताया कि जुलाई 2013 में फरियादी द्वारा पुलिस थाना रहटगांव में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। जिस पर गुमशुदगी प्रकरण कायम कर गुमशुदा राजसिंह (परिवर्तित नाम) की तलाश  के काफी प्रयास किये गये, किन्तु गुमशुदा के बारे में कोई जानकारी नही मिली। जनवरी 2017 मे गुमशुदा के पिता द्वारा विशेष सत्र न्यायालय हरदा में परिवाद दायर करते हुए गांव के पांच लोंगो के विरूद्ध अपने गुमशुदा पुत्र की हत्या करके साक्ष्य मिटाने की नियत से शव को छुपा देने व जान से मारने की धमकी देने के संबंध में परिवाद  प्रस्तुत किया गया था। जिसमे विचारण उपरांत न्यायालय द्वारा माह अगस्त 2017 मे निर्णय जारी कर परिवाद मे आये तथ्यों अनुसार विधिवत प्रकरण कायम कर अनुसंधान करने हेतु निर्देश दिये गये थे। जिस पर पंाचों आरोपियों के विरूद्ध थाना रहटगांव में धारा 302,201,506 भादवि व 3 (2) (1) एससी/एसटी एक्ट का प्रकरण कायम कर अपराध विवेचना मे लिया गया। पुलिस द्वारा मृतक या गुमशुदा व्यक्ति मामले की तह तक जाने में हर संभव प्रयास किये गये किन्तु हत्या के कोई साक्ष्य नही मिलने के कारण माह अगस्त 2019 मे खात्मा किया गया था। जिस पर  विचारण के दौरान फरियादी मृतक के पिता ने पुलिस कार्यवाही से संतुष्ट न होने पर फरवरी 2023 में खात्मा अस्वीकृत कर विधिवत अग्रिम अनुसंधान व कार्यवाही हेतु निर्देश दिये गये थे जो मामले को पुन: खात्मा खोला जाकर अनुसंधान मे लिया गया था। प्रकरण की विवेचना थाना प्रभारी व वरिष्ठ स्तर के अलग -अलग अधिकारियों से कराई जा रही थी किन्तु मृतक या गुमशुदा के जीवित या मृत होने के बारे मे कोई जानकारी नही मिल रही थी, इसी दौरान जिला पुलिस अधीक्षक हरदा द्वारा माह सितम्बर 2023 मे प्रकरण की अग्रिम विवेचना हेतु एसडीओपी टिमरनी आकांक्षा तलया को आदेशित किया गया था। एसडीओपी तलया द्वारा मामले में अनुसंधान के दौरान मृतक के परिजन, ग्रामवासियों व संदेहियों से पुन: पूछताछ की गई। जिससे मृतक पक्ष व आरोपी पक्ष के बीच पुरानी रंजिश जैसे कोई साक्ष्य नही मिले। पुलिस लगातार मृतक के शव को तलाशने की दिशा में प्रयास कर रही थी।


रहन-सहन और बात करने के तरीके से मिली सफलता
पुलिस द्वारा हर संभव प्रयास करने के बाद भी सफलता नहीं मिलने से पुन:  पूछताछ  शुरू की गई जिसमें जानकारी प्राप्त हुई कि मृतक या गुमशुदा का रहन-सहन और बात करने का तरीका किन्नर जैसा था जिससे विवेचना को एक नई दिशा मिली और इस दिशा में कार्य करना प्रारंभ किया गया । विवेचक एस.डी.ओ. टिमरनी द्वारा प्रकरण में अपने सहायता के लिए थाना प्रभारी रहटगांव उप निरीक्षक मानवेन्द्र सिंह भदौरिया के नेतृत्व में टीम गठित कर जिला हरदा व आसपास के जिलों की किन्नर टोलियों से फोटो, पंपलेट व हुलिये के आधार पर पूछताछ की गई एवं मुखविर तंत्र को सक्रीय किया गया। जिससे मृतक राजसिंह (परिवर्तित नाम) के जीवित होने एवं दिल्ली व पंजाब के अलग-अलग क्षेत्रों मे किन्नर के रूप मे रहकर जीवन यापन करने की जानकारी मिली। मुखबिरी एवं तकनिकी प्रयोग से घटना के 11 वर्षों बाद पुलिस टीम ने दिल्ली से मामले के गुमशुदा राजसिंह (परिवर्तित नाम) को सुरक्षित व जीवित दस्तयाब करने मे सफलता प्राप्त की है। उक्त प्रकरण में विवेचक एसडीओ  टिमरनी आकांक्षा तलया, उप निरीक्षक मानवेन्द्र सिंह भदौरिया की विशेष भूमिका रही। साथ ही सउनि. बीएमएस सोलंकी, प्र.आर.राकेश तुमराम, रोहित रघुवंशी, बुदेश जोठे, आरक्षक राकेश पटेल, अर्जुन लौवंशी, लोकेश सातपुते,  रामजीलाल नरें की सराहनीय भूमिका रही है।

Views Today: 6

Total Views: 122

Leave a Reply

error: Content is protected !!