किसान कैसे मनाएंगे रक्षाबंधन, 10 हजार किसानों को 40 दिन बाद भी नहीं मिला मूंग का भुगतान


40 दिन बाद भी मूंग का नहीं मिला 10 हजार किसानों को भुगतान


प्राईवेट और सरकारी वेयर हाउस के झमेले में उलझे कई किसान


किसान के पास बच्चों की स्कूल फीस भरने तक का रुपया नहीं

लोकेश जाट, हरदा
। रक्षाबंधन का पर्व नजदीक है ऐसे में हर कोई चाहता है कि वह इस पर्व को बड़े उत्साह और खुशी-खुशी मनाए। लेकिन शासन ने ग्रीष्मकालीन मूंग खरीदी का भुगतान अभी तक जिले के 10 हजार किसान को नहीं किया है। ऐसे में किसान रक्षाबंधन का पर्व कैसे मनाएंगे। वही किसानों के पास परिवार चलाने का एक मात्र सााधन कृषि ही है। वह इसमें महनत करता है, लागत लगाता है, फसल उगाता है और फीर फसल बेचकर परिवार चलाता है। भुगतान अभाव में कई किसान अपने बच्चों की स्कूल फीस तक नहीं भर पा रहे है। गौरतलब है कि मूूंग खरीदी के 40 दिन बीत जाने के बाद भी किसानों को मूंग का भुगतान नहीं हो पाया है। किसान कृषि विभाग और जिला कृषि विपणन विभाग के चक्कर लगाने को मजबूर है। मूंग खरीदी में शुरू से ही किसानों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। पहले तो देरी से खरीदी शुरू की गई। जब खरीदी शुरू की गई तो वेयर हाउसों की पात्रता देखे बगैर उनको मूंग खरीदी का केन्द्र बना दिया गया। किसानों ने इन वेयर हाउसों पर अपनी मूंग तुलवा दी बिल भी बनवा लिया और भुगतान के समय पता चला की यह तो प्राइवेट वेयर हाउस की श्रेणी में है सरकारी में नहीं है। इसका खामीयाजा किसानों को भुगतना पड़ा। अब ऐसे वेअर हाउस पर तुलाई गई मूंग का भगतान नहीं हो रहा। ऐसा ही एक वेयर हाउस शुभ लॉजिस्टिक है जहां सैकड़ों किसानों द्वारा तुलाई गई मूंग का भुगतान प्राइवेट और सरकारी श्रेणी प्रमाण पत्र के झमेले में अटक गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार यहां जिस भी किसान ने मूंग तुलाई उसका भुगतान आज तक नहीं हुआ। जब इस विषय में कृषि विभाग में पूछताछ की गई तो बता चला कि शुभ लॉजिस्टिक ने पहले यह वेयर हाउस प्राइवेट कम्पनी को दे रखा था बाद में सरकारी को दिया लेकिन मूंग खरीदी के लिए एक  सर्टीफि केट की आवश्यता होती है जो उनके पास नहीं था। जिस कारण वहां के किसानों का भुगतान नहीं हो सका। कृषि विभाग के अनुसार अब तक ५३१.६६ करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। आने वाले कुछ दिनों में 300 करोड़ रुपए का भुगतान और हो जाएगा। तकनीकी कारणों के चलते ७६.०३ करोड़ रुपए का भुगतान असफल रहा है। आपको बता दे कि 52 उर्पाजन केन्द्रों पर 34885 किसानों ने पंजीयन कराया था। दिनांक 5 अगस्त तक पोर्टल पर ऑनलाइन बिल 30858 के जनरेट हुए। मूंग खरीदी में लेटलतीफी के चलते कई किसानों ने अपनी मूंग की उपज कृषि मंडी में बेच दी।

भुगतान अभाव में किसान परेशान


किसान के पास एक उसकी फसल ही होती है जिसे बेचकर वह अपने और अपने परिवार का लालन-पालन करता है। फसल से प्राप्त आमदनी से वह अपने बच्चों को पढ़ता है और उनकी स्कूल फीस देता है। अगर किसान के पास उपच बेचने के बाद भी यदी पैसा नहीं होगा तो वह इन सब जिम्मेदारियों को पूरा कैसे करेगा। मूंग खरीदी भुगतान नहीं होने से जिले के कई किसान परेशान है।


इनका कहना है..
मूंग खरीदी शुरू होते ही ३ जुलाई को उपज वेयर हाउस में तुलवाई थी, आज तक भुगतान नहीं मिला। सभी विभागों के कई बार चक्कर काट चुका हूं। कोई सुनने वाला नहीं है। १८१ पर भी शिकायत की कोई सुनवाई नहीं हुई। मेरे बच्चों की स्कूल फीस नहीं भर पाया तो कई दिनों तक बच्चे स्कूल नहीं जा पाए।  विभाग वाले यहां से वहां जाने को कहते है। सामने राखी का त्यौहार है गरीब किसान भला पैसा कहां से लाए वह तो फसल पर ही निर्भर रहता है।


राजकुमार लोमरे, किसान


वेयर हाउस पर 40 दिन पहले मूंग तुलाई थी। लेकिन अभी तक भुगतान प्राप्त नहीं हो सका। कई बार कृषि विभाग और जिला विपणन विभाग के चक्कर लगा चुके है, लेकिन कोई समाधान नहीं है। अगर किसान को समय से उपज का भुगतान नहीं मिलेगा तो घर कैसे चलाएगा।


अल्केश शर्मा, किसान

शुभ लॉजिस्टिक के मामले में  पहले वेयर हाउस प्राइवेट कम्पनी को दे रखा था बाद में सरकारी को दिया लेकिन मूंग खरीदी के लिए सरकारी वेयर हाउस के एक सर्टीफि केट की आवश्यता होती है जो उनके पास नहीं था। जबकि वेयर हाउस द्वारा हमें बताया गया की सर्टिफिकेट है , जो उनके पास नहीं था। जिस कारण वहां के किसानों का भुगतान नहीं हो सका।  वेयर हाउस द्वारा भोपाल से सर्टिफिकेट ले लिया गया है जो आज शाम तक आने की संभावना है।  इसके बाद सभी किसानों का भुगतान किया जाएगा। अभी तक ५३१.६६ करोड़ का भुगतान जिले के किसानों के खाते में किया जा चुका है।

डॉ संजय यादव, उपसंचालक कृषि विभाग

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