-१७५ वर्ष प्राचीन भोलेनाथ मंदिर की है अनूठी महिमा
-श्रद्धा से जल चढ़ाने पर शिवलिंग से उत्पन्न होती है ऊं की नाद ध्वनि
अनोखा तीर, हरदा। जिला मुख्यालय से १७ किमी दूर स्थित ग्राम गोगिया में १७५ वर्ष पुराना भोलेनाथ का मंदिर है। जहां दूर दराज के हजारों भक्त अपनी मनोकमनाएं लेकर भोले के दरबार में आते हंै। जिन भक्तों की मनोकामना पूरी होती है वह मंदिर में विशेष पूजन, अभिषेक कर नगर भोज कराते हैं। ऐसा बताया जाता है कि भोलेनाथ की गांव पर विशेष कृपा बनी रहती है, इसी कारण गांव को भोले की नगरी भी कहा जाता है। मंदिर में स्थित शिवलिंग पर श्रद्धा से जल अर्पित करने पर शिवलिंग से एक ध्वनि निकलती है जिसे भक्तों द्वारा नाद का नाम दिया गया है। लोगों का मानना है कि शिवलिंग से नाद की ध्वनि कभी-कभी ही सुनाई देती है। नाद ध्वनि के निकलने से यह मंदिर अपने आप में सिद्ध माना जाता है। मंदिर में कई सिद्ध साधू संत भी पूजा, अर्चना करने गांव पहुंचते है। सावन के महिने में आसपास के ग्रामीण भी मंदिर में शिवलिंग पर जल चढ़ाने आते है। भोलेनाथ की कृपा गांव पर बनी रहे इसी के लिए मंदिर परिसर में साल में दो बार कन्याभोज कराया जाता है। वहीं ग्रामीणों द्वारा साल भर मंदिर में अभिषेक किया जाता है।

काशी से सिर पर रख कर लाई गई शिवलिंग
मंदिर में शिवलिंग की स्थापना १७५ वर्ष पूर्व स्व. लक्ष्मण पटेल द्वारा की गई। श्री पटेल के वंशज राधेश्याम पटेल बरड़ और पवन पटेल बरड़ ने बताया कि हमारे पूर्वज स्व.लक्ष्मण पटेल शिवलिंग को काशी से सिर पर रखकर लाए थे। काशी से गांव पहुंचने तक शिवलिंग को नीचे नहीं उतारा गया। हरदा तक टे्रन और हरदा से बैलगाड़ी से शिवलिंग लाई गई, लेकिन शिवलिंग सिर से निचे नहीं रखी गई। शिवलिंग के बारे में बताते हुए पवन पटेल उन दृश्यों में खोकर चुप हो गए। हमारे द्वारा आगे पूछने पर उन्होंने बताया कि स्थापना के दिन से ही भोलेनाथ ने अपनी महिमा दिखाना शुरू कर दी थी। हमारे पिताजी बताते थे कि प्राण-प्रतिष्ठा के समय पूजा होने के बाद शिवलिंग का भार इतना बढ़ गया था कि शिवलिंग को खिसकाने के लिए दस लोगों की आवश्यकता पड़ी, जबकि काशी से इसी शिवलिंग को एक व्यक्ति सिर पर रखकर गांव पहुंचे। प्राण-प्रतिष्ठा के बाद से ही जल चढ़ाने पर शिवलिंग से नाद की ध्वनि आने लगी। यह भोलेनाथ की महिमा ही तो है। स्वर्गीय लक्ष्मण पटेल की भोलेनाथ के प्रति भक्ति को देखकर परिवार जनों ने उनकी मृत्यु के पश्चात मंदिर परिसर में श्री पटेल की छत्रि बनवाई।
ऊं नांद ध्वनि चमत्कार से कम नहीं
भक्त शंकर पटेल ने बताया कि मंदिर में स्थित शिवलिंग परा चल चढ़ाने पर उत्पन्न होने वाली ऊं नाद की ध्वनि अपने आप में एक चमत्कार है। मैंने स्वयं और अन्य कई भक्तों को नांद ध्वनि सुनाई दी है। जिन भक्तों ने इस नाद ध्वनि को सुना है वह बताते हैं कि गांव पर भोलेनाथ की विशेष कृपा है। भोलेबाबा अपने भक्तों की भक्ती से प्रसन्न होकर उन्हें नाद सुनाकर अपना आशिर्वाद प्रदान करते है। ऊं नाद की ध्वनि वर्षों से समय समय पर चल चढ़ाने से सुनाई आ रही थी। विगत दो साल से शिवलिंग से उत्पन्न होने वाली यह नाद ध्वनि एक दो बार ही सुनाई दी।
भक्तों की हर मनोकामना होती है पूरी
भक्त हरीराम पटेल ने भोलेनाथ मंदिर की मान्यताएं बताते हुए कहा कि यहां मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। मनोकामना पूरी होने पर भक्त मंदिर परिसर में भोजन बनाकर भोले की पूरी नगरी के लोगों को भोजन कराते हंै। लोगों का मानना है कि जब भी बारिश की कमी होती थी या बारिश की लम्बी खेंच होने और फसल को नुकसान होने लगता था तो मंदिर में स्थित शिवलिंग को २४ घंटों के लिए जलमग्र कर दिया जाता था। जिसमें गोयत गांव स्थित नर्मदा घाट से लाया गया जल भी शामिल किया जाता था। जिसके पश्चात क्षेत्र में अच्छी बारिश होती थी। वही गांव में तेज आंधी, तुफान से गांव में नुकसान की स्थिति बनने पर भोलेनाथ के मंदिर में शंख बजाया जाता था, जिससे तेज आंधी और तूफान शांत हो जाया करते है। मंदिर में वर्षों से पूजन करने वाले त्रिपाठी परिवार के ओम त्रिपाठी बताते हैं कि हमारा परिवार मंदिर में पीढ़ियों से पूजन करता आया है। शिवलिंग से ऊं नांद की ध्वनि निकलना किसी चमत्कार से कम नहीं है। गांव पर भोलेनाथ की विशेष कृपा बनी रहती है। यहां के भक्त मंदिर में अभिषेक, पूजन सहित समय समय पर भंडारा और कन्याभोज का आयोजन करते रहते है। जिन भक्तों की मनोकामना पूरी होती है वह भी नगर भोज कराते रहते हैं।
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