मप्र, लेखक संघ की काव्य गोष्ठी संपन्न

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अनोखा तीर, हरदा। मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला इकाई की मासिक गोष्ठी का आयोजन स्थानीय किसान भवन बाहेती कॉलोनी में हुआ। यह गोष्ठी नगर के नवोदित साहित्यकार शिरीष अग्रवाल के जन्मदिवस के अवसर पर रखी गई। जिसमें नगर के साहित्यकारों ने अपनी काव्यमयी फुहारों से शिरीष को बधाइयां दी। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ डॉ. प्रभुशंकर शुक्ल ने की, वहीं अतिथि के रूप में अरविंद अग्रवाल व अशोक नेगी एवं उमेश शर्मा, ज्ञानेश चौबे उपस्थित रहे। कवि सुभाष सिटोके ने स्वरमयी मां सरस्वती की वंदना वर दायिनी वर दे दो प्रस्तुत की। कवि बालमुकुंद ओझा ने जीवन वृतांत को रचना के माध्यम से बताया, नवोदित युवा कवि सुभांश गुर्जर ने महाभारत के अभिमन्यु की वीरता पर ओज एवं शौर्यपूर्ण रचना सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। मो. तारिक ने उसने मुझको ही चुना मां की खिदमत के लिए, तमाम घर को बस एक छत ने बांध रक्खा है, सभी को मां की मुहब्बत ने बांध रक्खा है, कवि डॉ. मुकेश भद्रावले ने हाइकु छंदों से सभी को गुदगुदाया। उन्होंने जीवन ज्योति जगमगाती रहे दुआ हमारी हायकू प्रस्तुत किया। कवि नरेंद्र वर्मा ने है यही करबद्ध निवेदन आपसे मां शारदे है बागदेवी सबको सनातनी आधार दे, कवि बृजमोहन अग्रवाल ने कागज रखता है न किताब रखता है, वो मालिक है सबका हिसाब रखता है, कवि प्रकाश पोर्ते ने लेकर नाम तेरा दिन की शुरुआत करता हैं जमाना, कवि सावन सिटोके ने बहुत याद आते हैं वो विद्यालय के दिन रचना से स्कूल के दिनों की यादें ताजा कर दी। कवि रतन सोलंकी ने उमड़ घुमड़ कर बदरा छाए देते हैं सन्देश पिया, बाल कवि दुहित गौर ने जिंदगी में नफरत को जगह कभी न मिले, जिंदगी में बस प्यार प्यार होना चाहिए सुनाई एवं अपने हास्य मुक्तकों से सभी को खूब हंसाया। गीतकार मदन व्यास ने क्या थे हम क्या धीरे धीरे हो गए, एवं तू कहां खो गया मेरे प्यारे वतन गीत पढ़ा। कवि दुर्गेशनन्दन शर्मा ने रंगबिरंगी तकलीफों में मेरा दर्द सुनहरा है, कवि रमेश भद्रावले ने अपनी छोटी छोटी क्षणिकाओं से गोष्ठी में हंसी के ठहाके लगाए उन्होंने पढ़ा जाकर चांद पर आदमी मिट्टी ले आया है,आज तक आदमी आदमी तक नहीं पहुंच पाया है, ग़ज़लकार अतहर हुसैन जोहर ने हसीन ख्वाब की महफ़िल को तुम सजा देना, हमारा साथ मुहोब्बत में यूं निभा देना, कपिल दुबे ने एक कुल की नहीं दो दो कुलों की शान है बेटी, चलो पीढ़ी पढ़ाने को सभी बेटी पढ़ाते हैं, ग़ज़लकार जयकृष्ण चांडक ने अपने ग़म में भी खुश हैं, थोड़े कम में भी खुश हैं, तुम, तुम में ही खोए हो, हम तो हम में भी खुश हैं। शायर मन्सूर अली मन्सूर ने हमको मिलकर ही प्यार करना है, देश पर जां निसार करना है सुनलो हिंदोस्तां के ग़द्दारों तुमको सरहद के पार करना है, हास्य कवि लोमेश गौर एलजी ने जीवन में संघर्ष न हो तो, मजा कहां मिल पाता। दुख के बाद मिले जब सुख तो, सुख दूना हो जाता। ग़ज़लकार शिरीष अग्रवाल ने मुंसिफ भी देख रहा था उसको ध्यान से, दे रही थी वो दलीलें अपने बयान से, पैशी मेरी भी थी उसी अदालत में, हरा दिया मुकदमा बातों के तीरों कमान से, गीतकार सुभाष सिटोके ने शायद समय करे व्याख्यायित मैंने तो लिख डाला, गोष्ठी का कुशल संचालन कर रहे इकाई के अध्यक्ष जीआर गौर ने अपनी कविता के माध्यम से योग करने व स्वस्थ रहने का संदेश दिया। गोष्ठी के अंत में वनमाली सृजन पीठ हरदा की तरफ से शिरीष अग्रवाल को उनके जन्मदिवस पर स्मृति स्वरूप भेंट दी। गोष्ठी में श्रोता के रूप में इरशाद खान, राजू अग्रवाल, दीपक गुंजन उपस्थित थे।

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