केंद्र में कौन बनेगा मंत्री, किसका कटेगा पत्ता? शुरू हो गया अटकलों का दौर

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दिनेश निगम ‘त्यागीÓ भोपाल। देश में तीसरी बार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनने के बाद प्रदेश से केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले चेहरों को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है। सरकार के पिछले दोनों कार्यकाल में प्रदेश से 4-5 सांसद मंत्रिमंंडल में जगह पाते रहे हैं, लेकिन इस बार ऐसा हो पाएगा, इसकी संभावना कम है। वजह है भाजपा का अपने दम पर बहुमत के आंकड़े तक न पहुंच पाना। इस मजबूरी के चलते इस बार एनडीए में शामिल दलों को ज्यादा स्थान देने पड़ सकते हैं। प्रदेश से लगभग एक दर्जन सांसद केंद्रीय मंत्री पद के दावेदार हैं। इनमें से कौन बनेगा मंत्री और किसका कटेगा पत्ता राजनीतिक हलकों में इसे लेकर अटकलों का बाजार गर्म है।

ये केंद्रीय मंत्रिमंडल के स्वाभाविक दावेदार

पिछली मोदी सरकार में प्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया, फग्गन सिंह कुलस्ते, वीरेंद्र कुमार, नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद पटेल मंत्रिमंडल में शामिल थे। इनमें से तोमर और प्रहलाद पटेल विधानसभा चुनाव लड़कर प्रदेश की राजनीति में आ गए। तोमर विधानसभा अध्यक्ष हैं और पटेल प्रदेश सरकार में मंत्री। शेष बचे ज्योतिरादित्य, फग्गन और वीरेंद्र मंत्रिमंडल के स्वाभाविक दावेदार हैं। ये तीनों लोकसभा का चुनाव जीत भी गए हैं। इनके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और वीडी शर्मा को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल के लिए स्वाभाविक दावेदार माना जा रहा है। चौहान को तोमर और शर्मा को पटेल की जगह लिया जा सकता है। लेकिन बदले राजनीतिक माहौल में इस बार प्रदेश से 5 मंत्री बनेंगे, इसकी संभावना कम लगती है। सवाल है कि तब इनमें से किसे घर बैठाया जाएगा और किसकी ताजपोशी होगी?

मंत्री बनने की कतार में ये सांसद भी शामिल

केंद्रीय मंत्रिमंडल के लिए अलग-अलग कारणों से कुछ और सांसद मंत्री बनने की कतार में हैं। छिंदवाड़ा में पहली बार जीत मिली है। इसलिए कमलनाथ का किला ढहाने वाले बंटी साहू के नाम पर विचार हो सकता है। हालांकि वे पहली बार सांसद बने हैं। कांग्रेस के दूसरे वरिष्ठ नेता दिग्विजय को उनके गृह क्षेत्र में हराने वाले रोडमल नागर की भी लाटरी खुल सकती है। इंदौर के शंकर लालवानी देश में सर्वाधिक मतों के अंतर से जीत कर चर्चा में आए हैं, इसलिए वे भी कतार में हैं। फग्गन सिंह कुलस्ते की घटती लोकप्रियता के चलते आदिवासी वर्ग से किसी अन्य चेहरे पर विचार हुआ तो शहडोल की हिमाद्री सिंह, खरगोन के गजेंद्र सिंह पटेल और राज्यसभा सदस्य सुमेर सिंह सोलंकी में से किसी एक भी लाटरी खुल सकती है। इसी प्रकार दलित वर्ग के वीरेंद्र कुमार के स्थान पर किसी अन्य चेहरे पर विचार हुआ तो देवास के महेंद्र सिंह सोलंकी और उज्जैन के अनिल फिरोजिया के नामों पर विचार किया जा सकता है। वीरेंद्र और फग्गन दोनों ऐसे मंत्री हैं, जिन्हें मंत्रिमंडल लिया गया और हटाया भी गया। वीरेंद्र कुमार की उम्र मार्गदर्शक मंडल में जाने की ओर बढ़ रही है। वे लगभग 71 वर्ष के हैं।

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