अनोखा तीर, हरदा। स्थानीय जिला चिकित्सालय में मात्र दो महिला रोग विशेषज्ञ हैं, जो ओपीडी में नहीं बैठ पाती हैं। मात्र आपरेशन में ही व्यस्त रहती हैं, क्योंकि इनकी निजी क्लीनिक में यदि कोई अधिकारी जाकर देखें तो ऐसा लगता है कि यहां कोई सत्संग चल रहा है। एक महिला रोग विशेषज्ञ के यहां तो बाकायदा कुर्सी टेबल लगाकर बैठने की व्यवस्था है और यदि कोई गर्वभती महिला इनके क्लीनिक नहीं जाए, तो उसका जिला चिकित्सालय में इलाज ही नहीं होता, जो कि जिला चिकित्सालय में बाकायदा सोनोग्राफी मशीन लगी है और वह भी अच्छी क्वालिटी की, फिर भी यह लोग अपने क्लिनिक में सोनोग्राफी करवाने की महिलाओं को बोलते हैं और वह यदि नहीं करवाए तो बहुत सारे नियम कायदे बताकर पेशेंट को परेशान किया जाता है, इनसे जांच नहीं करवाने पर महिलाओं को बहुत सारी दिक्कत बताकर जैसे बीपी हाई और बच्चा उलटा है। बच्चे की नाल फंसी है, ब्लड की कमी है, इत्यादि डराने वाली बातें बताकर भोपाल या इन्दौर जैसी बड़ी हास्पिटल में ले जाने तक की सलाह दी जाती है। जिला प्रशासन और शासन का इस ओर ध्यान दिया जाना अति आवश्यक है, क्योंकि पहले यहां 5-6 महिला रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति हुआ करती थी। ट्रांसफर या किसी के द्वारा खुद की क्लिनिक खोलने से यह कमी आई है।
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