अनोखा तीर, हरदा। उप संचालक पशु चिकित्सा डॉ. एस.के. त्रिपाठी ने पशु पालकों को सलाह दी है कि अपने पशुओं को दोपहर के समय सीधी धूप से बचाएं, उन्हें बाहर चराने न ले जाएं। मालवाहक या यातायात हेतु दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक पशुओं का उपयोग न करें। हमेशा पशुओं को बांधने के लिए छायादार और हवादार स्थान का ही चयन करें। पशुओं के पास पीने का पर्याप्त स्वच्छ एवं ठंडा पानी हमेशा रखें। पशुओं को हरा चारा खिलाएं। पशुओं में गर्मी के लक्षणों की निगरानी करेंरू पशुओं में गर्मी की थकावट या हीटस्ट्रोक के लक्षणों के प्रति सतर्क रहें, जिनमें अत्यधिक हांफना, सुस्ती, लार टपकना शामिल है। यदि पशुओं में असमान्य लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सक या पशु चिकित्सालय से संपर्क करें। उप संचालक पशु चिकित्सा डॉ. त्रिपाठी ने पशु पालकों को सलाह दी है कि यदि संभव हो तो डेयरी शेड या पशु शेड में दिन के समय कूलर एवं पंखे आदि का इस्तेमाल करें। पशुओं को संतुलित आहार दें। भूसा गीला कर एवं नमक मिलकर खिलाएं। अधिक गर्मी की स्थिति में पशुओं के शरीर पर पानी का छिड़काव करें एवं शेड के बाहर पानी से गीले जूट के बोरे लटकाएं। उल्लेखनीय है कि पीसीए अधिनियम, 1960 की धारा 3 के तहत, किसी जानवर का प्रभार रखने वाले व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह उसकी भलाई सुनिश्चित करने और अनावश्यक दर्द या पीड़ा को रोकने के लिए सभी उचित उपाय करें।
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