भाजपा का साथ देने वाले विधायकों का निर्णय मानसून सत्र के पहले करेगी कांग्रेस

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अनोखा तीर भोपाल:-लोकसभा चुनाव में पार्टी से दगाबाजी करके भाजपा का खुलकर समर्थन करने वाले विजयपुर से विधायक रामनिवास रावत और बीना से विधायक निर्मला सप्रे का निर्णय कांग्रेस विधानसभा के मानसून सत्र से पहले करेगी। दोनों ने मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव की उपस्थिति में भाजपा के मंच पर आए थे और पार्टी में शामिल होने की घोषणा भी हुई थी पर अब विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र नहीं दे रहे हैं।

जबकि, इसी तरह भाजपा के साथ जाने वाले छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा विधानसभा से विधायक कमलेश शाह ने सदस्यता लेने से पहले त्यागपत्र दिया था। पार्टी नेताओं का कहना है कि दोनों विधायकों की सदस्यता समाप्त करवाने के लिए विधायक दल की ओर से विधिक स्थिति का परीक्षण करवाया जा रहा है ताकि आवेदन निरस्त न हो।

विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस की सदस्य संख्या विधानसभा में 66 रह गई थी। लोकसभा चुनाव के समय छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा से विधायक कमलेश शाह ने विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की ली। यह सीट इस समय रिक्त है। वहीं, विजयपुर से पार्टी के छह बार के विधायक रामनिवास रावत मुख्यमंत्री डा.मोहन यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और न्यू ज्वाइनिंग टोली के संयोजक डा. नरोत्तम मिश्रा की उपस्थिति में मंच पर उपस्थित हुए और उनका भाजपा में स्वागत किया गया।

इसी तरह बीना से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे ने भी मुख्यमंत्री की उपस्थिति में भाजपा के मंच पर आईं। पार्टी ने उनके भाजपा में शामिल होने की घोषणा की पर अभी तक दोनों ने विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र नहीं दिया है। रावत का तो कहना है कि मुख्यमंत्री के साथ संबंधों के चलते उन्होंने अंगवस्त्र पहन लिया था। मैं त्यागपत्र नहीं दूंगा। इसी तरह सप्रे ने भी अभी कोई निर्णय नहीं लिया है।

विधिक स्थिति का करा रहे आकलन

विधानसभा में उपनेता हेमंत कटारे का कहना है कि पार्टी के विरोध में काम करने वाला कोई भी हो, उसके विरुद्ध कड़े कदम उठाए जाएंगे। विधायकों से जुड़े मामले में विधिक स्थिति का आकलन कराने के बाद सभी वरिष्ठ नेताओं से चर्चा के बाद निर्णय लिया जाएगा। दरअसल, विधानसभा की सदस्यता समाप्त करवाने के लिए प्रमाणित दस्तावेज की आवश्यकता होती है जो आसानी से उपलब्ध नहीं होते हैं।

यही कारण है कि पूर्व में जब बड़वाह से विधायक सचिन बिरला के मामले में ऐसी स्थिति सामने आई थी तो दस्तावेजी प्रमाण के अभाव में कांग्रेस के आवेदन दो बार निरस्त हो गए थे। ऐसा ही प्रकरण जतारा से कांग्रेस विधायक दिनेश अहिरवार का भी था।2014 के लोकसभा चुनाव के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में खरगापुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के पक्ष में प्रचार किया था।

भाजपा की सदस्यता भी ली पर विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र नहीं दिया था। दस्तावेजी प्रमाण न होने के कारण पार्टी नोटिस देने के अलावा कुछ नहीं कर पाई और वे पूरे समय कांग्रेस विधायक दल के सदस्य बने रहे।

दोनों विधायकों को पार्टी ने नहीं किया निष्कासित

पार्टी भी इस मामले में फूंक-फूंककर कदम रख रही है ताकि कोई चूक न हो। अभी तक पार्टी ने उन्हें निष्कासित भी नहीं किया है क्योंकि ऐसा करने पर वे विधानसभा में असंबद्ध सदस्य हो जाएंगे यानी किसी भी दल के नहीं। उनकी विधानसभा सदस्यता बनी रहेगी। यही कारण है कि पार्टी सभी पक्षों पर विचार कर रही है।

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