अनोखा तीर उज्जैन:-भोपाल के सतपुड़ा भवन में संचालित धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग का संचालनालय शीघ्र ही उज्जैन में स्थानांतरित होने वाला है। इसे लेकर उज्जैन के सिंहस्थ मेला कार्यालय में तैयारी की जा रही है। संचालनालय उज्जैन में स्थानांतरित होने के बाद प्रदेश की सभी धार्मिक गतिविधियों के आयोजन उज्जैन से तय होंगे।
इसके लिए मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल भी अपनी मुहर लगा चुका है। कहा गया है कि विभागीय मुख्य कार्यालय कोठी रोड स्थित सिंहस्थ मेला कार्यालय भवन के कुछ कक्ष खाली करवा लिए गए हैं। सिंहस्थ मेला, स्मार्ट सिटी का कार्यालय पूर्ववत् यहीं से संचालित होगा।
उज्जैन में ढाई हजार से ज्यादा मंदिर ऐसे हैं, जिस पर सरकारी नियंत्रण है, जो कि प्रदेश में सर्वाधिक हैं। इन मंदिरों के पास 7 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि है।
उज्जैन में ही कई बड़े धार्मिक आयोजन होते हैं। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग का संचालनालय को उज्जैन स्थानांतरित करने का निर्णय लिया।
अब प्रदेश के सभी धार्मिक आयोजन उज्जैन से तय होंगे। शीघ्र ही विभाग का स्टाफ भी उज्जैन स्थानांतरित हो जाएगा। उज्जैन में प्रति 12 वर्ष में होने वाले सिंहस्थ को लेकर विभागीय कार्रवाई भी उज्जैन में ही संचालित होगी।
मेला प्राधिकरण भी उज्जैन हो सकता है स्थानांतरित
मध्य प्रदेश तीर्थ स्थान एवं मेला प्राधिकरण भी उज्जैन में स्थानांतरित करने पर विचार चल रहा है। इसको लेकर भी प्रस्ताव बनाया गया है। अगर सहमति बनती है तो धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग के मुख्यालय के साथ मध्य प्रदेश तीर्थ स्थान एवं मेला प्राधिकरण को भी उज्जैन में स्थानांतरित किया जा सकेगा।
बता दें कि धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग को उज्जैन स्थानांतरित करने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव ने उच्च शिक्षा मंत्री रहते दिया था। तब मुख्यमंत्री रहे शिवराजसिंह चौहान और मंत्रिमंडल को तर्क दिया था कि उज्जैन में सबसे अधिक मंदिर हैं, इसलिए धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग का संचालनालय उज्जैन में होना चाहिए।
तब विभाग के कुछ अधिकारियों ने स्थानांतरण पर व्यावहारिक दिक्कतें भी बताई थीं। कहा था कि इससे प्रदेश की राजधानी से संचालनालय बाहर चला जाएगा और फाइलों के मूवमेंट में भी दिक्कत आएगी। इसके चलते शिवराज सरकार ने प्रस्ताव स्वीकृत नहीं किया था। पासा पलटा और प्रदेश के मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव बने तो उन्होंने उस प्रस्ताव को बाहर निकलवाया और मंत्रि मंडल की बैठक में उसे स्वीकृति प्रदान कराई।
यह काम करता है विभाग
विभाग मंदिरों का जीर्णोद्धार, धर्मशाला का निर्माण, पुजारियों की नियुक्ति, पदस्थापन और मानदेय वितरण का कार्य करता है। मध्यप्रदेश तीर्थ-स्थान एवं मेला प्राधिकरण के माध्यम से तीर्थ-स्थलों एवं अतिप्रसिद्ध मेलों की उचित व्यवस्था के लिए अनुदान भी उपलब्ध कराता है। धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग का गठन 1981 में हुआ था। विभाग का सालाना बजट 100 करोड़ रुपये है। शुरुआत में विभाग का कार्य कमिश्नर और कलेक्टर के माध्यम से किया जाता था। 2016 में कार्यालय संचालनालय धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व का गठन किया गया। यह कार्यालय सतपुड़ा भवन में संचालित हो रहा है।
सिंहस्थ के मद्देनजर कार्य में होगी सुविधा
उज्जैन में विभाग स्थानांतरित होने से सिंहस्थ-2028 के मद्देनजर कार्याें को कराने में आसानी होगी। बतर्श है कि विभाग, कर्मचारियों की कमी की बड़ी चुनौती से पार पा जाए। धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग ने पिछले 42 वर्षों में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं।
जानकारों का कहना है कि रिक्त पदों को भर, विभाग को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाकर विभाग की छवि सुधारी जा सकती है। सिंहस्थ के मद्देनजर यहां के 84 महादेव, षड् विनायक, नौ नारायण मंदिरों सहित अनेकों धार्मिक स्थलों के विस्तार एवं सुंदरीकरण की योजना बनकर उनका क्रियान्वयन होना है। ऐसे में विभाग का उज्जैन स्थानांतरित होना न केवल उज्जैन बल्कि मालवा-निमाड़ अंचल के सभी मंदिरों के लिए शुभ संकेत होगा।