विकास पवार बड़वाह – श्री नटेश्वर नृत्य संस्थान बड़वाह के तत्वावधान में 12 से 15 मई तक चार दिवसीय मांडना चित्रांकन शिविर का शानदार आयोजन हुआ ।जिसमें 60 बालक बालिकाओं ने हिस्सा लिया और मांडने बनाने की कला को सिखा। शिविर में प्रथम दिवस उद्घाटन सत्र में अतिथि के रुप में गौरव मण्डलोई, संस्कृति कर्मी, श्रीमती दीपिका सिंह मेडम एवं श्रीमती मीनल जैन आर्ट एंड क्राफ्ट विशेषज्ञ ने दिप प्रज्वलित कर मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया ।जिसके बाद छात्र छात्राओं को संस्कृति संरक्षण पर प्रेरणादायक उद्बोधन दिया। मांडना मूल रुप से विभिन्न ज्यामितीय आकृतियों तथा रेखाओं को मांगलिक आयोजन तथा पर्व काल में सजावटी रुप से सुव्यवस्थित बनाने को कहते है। मूलतः यह दो प्रकार के होते है पहेला भू-अलंकरण जो जमीन पर बनाये जाते हैं ।दूसरा भित्ति अलंकरण जो दिवार पर बनाए जाते हैं। इन्हें बनाने हेतु गोबर अथवा मिट्टी से लिपे स्थान पर सफेद खड़ी एवं लाल गेरु का उपयोग कर आकृतियों को बनाया जाता है । निमाड़ में पारंपरिक रूप से यह मांडने दिवाली एवं दशहरे पर घरों और आंगन की शोभा बढ़ाते हैं जिसका प्रचलन रेडिमेड मांडने आने से कम हो चुका है। मांडना अलंकरण कला एवं संस्कृति का अद्भुत तालमेल के लिए एक विलुप्त होती कला है जिसे नई पिढ़ी तक पहुंचाने हेतु इस मांडना प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया था। संस्थान के निर्देशक एवं कलासाधक संजय महाजन द्वारा इस कला को सिखाने हेतु प्रयास किया ।जिसके माध्यम से अन्य संबंधित जानकारी भी बच्चों को जानने मिली।
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