नितेश गोयल, हरदा। हृदय नगरी हरदा, शांति का टापू हरदा जैसे नामों से नगर की पहचान हुआ करती थी, अब इस पहचान को ग्रहण सा लग गया है। आए दिन हरदा का नाम महानगरों में बिकने वाली एमडी जैसी ड्रग्स और अवैध हथियारों के प्रयोग की खबरों के माध्यम से अपनी पहचान बना रहा है। जिस तरह पिछले दिनों बेहिसाव अवैध रूप से बारूद के स्टॉक के बाद हुए पटाखा फैक्ट्री बम ब्लास्ट के बाद हुई जनहानि के बाद भी यह जानने की जरूरत पुलिस और प्रशासन ने नहीं समझी कि आखिर यह क्विंटलों से बारूद और विस्फोटक सामग्री अवैध रूप से आई कहां से? इसी तरह विगत कुछ माह से एमडी ड्रग्स पीने के शौकीनों के पास से बरामद हो रही ड्रग्स इतने बड़े पैमाने पर कौन ला रहा है और इसका मुख्य कारोबारी कौन है? इसे तलाशने में भी पुलिस पूरी तरह नाकाम सिद्ध हुई है। अवैध हथियारों की बात करें तो लोकसभा चुनाव का समय हो या विधानसभा चुनाव का समय लायसेंस वाले हथियार तो थाने में जमा हो जाते हैं, लेकिन हरदा में इतने अवैध हथियार हैं कि जिनका आचार संहिता के दौरान भी खुला प्रदर्शन होता है। आजकल अमिरजादों, आवाराओं का स्टेटस सिमबाल अवैध हथियार रखना और देश विदेश के महंगे नशे करना बन गया है। छोटी-छोटी सी लड़ाई में हथियार निकालकर फायर कर देना इन आवाराओं का पेशन बन गया है। इनमें उनकी कोई गलती भी नहीं है, उनके बापों के पास इतना पैसा है कि उन्हें मालूम है कि उनके बाप पुलिस को पैसा देंगे और वह छूट भी जाएंगे। बीते दिनों की एक चर्चा बाजार में बहुत ही गरम है। चर्चा यह है कि शहर के पांच युवा रईसजादे एमडी ड्रग्स का सेवन करते थे। इन्हें जो ड्रग्स बेचता था, वह किसी कारणों से पुलिस के हत्थे चढ़ गया। उसने जब इन रईसजादों के नाम बताए तो लगभग प्रति युवा 6-6 लाख रुपए की तोड़ी होना भी शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। यदि पुलिस चाहती तो यह तोड़ी न कर इन रईसजादों को नशा करना क्या होता है इसका सही सबक सिखा सकती थी। इसी तरह अवैध हथियारों की बात करें तो आए दिन घटना घटित होने के बाद अवैध हथियारों के प्रयोग की बात सामने आती है, लेकिन पुलिस यह जानने का कभी प्रयास नहीं करती कि यह अवैध हथियारों का कारोबार कौन संचालित कर रहा है। कहां से इन हथियारों को लाकर हरदा में खपाया जा रहा है। गत दिवस की ही बात करें तो एसपी निवास के समीप ही अवैध हथियार के माध्यम से एक युवक के उपर जानलेवा हमला किया गया। लेकिन पुलिस उस अवैध हथियार को बरामद करने तक में सफल न होना पुलिस की कार्यप्रणाली पर पूर्ण रूप से प्रश्न चिन्ह लगाता है। यदि शीघ्र ही इस अवैध हथियारों के कारोबार और एमडी जैसे नशे के कारोबार पर रोक नहीं लगाई गई तो जैसे नशे में डूबे हुए पंजाब को उड़ता पंजाब कहा जाता है, उसी तरह हरदा भी नशे में उड़ता हरदा नजर आने लगेगा।
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