उज्जैन का गढ़ बचाने भाजपा ने झोंकी ताकत, कांग्रेस की कड़ी चुनौती

अनोखा तीर उज्जैन:-उज्जैन लोकसभा क्षेत्र भाजपा का गढ़ माना जाता है। वर्ष 1951 से लेकर अब तक हुए 17 आम चुनावों में कांग्रेस यहां से केवल पांच चुनाव ही जीती है। इस बार भी कांग्रेस के सामने मजबूत संगठन, मोदी का चेहरा और भाजपा के वर्तमान सांसद की चुनौती है।

चुनाव के शुरुआत दौर में मुकाबला एकतरफा माना जा रहा था, मगर जैसे-जैसे प्रचार-प्रसार आगे बढ़ा, कांग्रेस ने कड़ी चुनौती पेश की। अब हालात यह है कि मतदाताओं की खामोशी राजनीतिक पंडितों को परिणाम के आकलन से दूर ले जा रही है। सब यही कह रहे हैं कि मुकाबला रोचक है।

बता दें कि भाजपा ने इस बार अपने वर्तमान सांसद अनिल फिरोजिया को ही फिर से टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस ने तराना से विधायक महेश परमार को मैदान में उतारा है। बीते छह वर्षों में परमार यह चौथा चुनाव लड़ रहे हैं। 2018 में वे विधानसभा चुनाव में फिरोजिया को तराना से हरा चुके हैं तो 2023 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा लहर होते हुए जीत हासिल की है।

इसके अलावा नगर निगम महापौर चुनाव में भी भाजपा को कड़ी टक्कर देते हुए मात्र 736 वोटों से हारे थे। ऐसे में मनोवैज्ञानिक लाभ लेने के लिए कांग्रेस ने परमार को टिकट दिया है। यहीं से मुकाबला रोचक हो गया है। शहरी और ग्रामीण मुद्दों को भुनाते हुए परमार ने सघन जनसंपर्क कर भाजपा के सामने कड़ी चुनौती प्रस्तुत कर दी है।

इधर भाजपा संगठन, प्रत्याशी फिरोजिया और फिर खुद सीएम डा. मोहन यादव ने मोर्चा संभाला हुआ है। प्रत्याशी और पार्टी नेता स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी उपलब्धियों गिनाते हुए लगातार मतदाताओं के बीच पहुंचे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में दोनों ही दलों के प्रत्याशियों ने खूब पसीना बहाया है। हालांकि मतदाताओं ने चुप्पी साध रखी है। जाहिर है उज्जैन में मुकाबला रोचक है।

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