भारतीय समाज की परम्पराओं पर विज्ञानपरक शोध करने की आवश्यकता – तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री परमार

schol-ad-1

अनोखा तीर भोपाल :-भारतीय समाज की परम्परा एवं मान्यता विज्ञान आधारित थी। काल के प्रवाह में विभिन्न कालखंडो में परंपराओं को विकृत किया गया। भारतीय समाज की परम्पराओं पर विज्ञानपरक अनुसंधान करने की आवश्यकता है। हमें हर क्षेत्र में अपनी परंपराओं एवं दर्शन पर गर्व का भाव जागृत कर अपनी उपलब्धियों पर गर्व करना होगा। यह बात उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार ने बुधवार को “राष्ट्रीय विज्ञान दिवस” के अवसर पर मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, भोपाल के डॉ जगदीश चंद्र बसु सभागार में “विकसित भारत के लिए – स्वदेशी तकनीक” विषय पर आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित होकर कही।

तकनीकी शिक्षा मंत्री श्री परमार ने कहा कि हमारे समाज में सदियों से विदित है कि वनस्पति में जीव होता है इसलिए सूर्यास्त के बाद पेड़ की पत्तियां आदि नहीं तोड़ी जाती। इस मान्यता आधारित ज्ञान पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से शोध कर डॉ. जगदीश चंद्र बसु ने “वनस्पति में जीव” का सिद्धांत दिया। भारतीय समाज में सूर्य पूजा का महत्व है, सूर्य की ऊर्जा में अनुसंधान कर ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना जा सकता हैं। गांवों के कारीगरों में परंपरागत कौशल होता है, उन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ आधुनिक तकनीक से जोड़कर नवाचार के साथ जीवन सरल बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि तकनीक और विज्ञान का उपयोग सृजन और जनकल्याण के लिए हो, यह अत्यावश्यक है।

श्री परमार ने भारत के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विश्वमंच पर स्थापित करने वाले भौतिक शास्त्री डॉ. सीवी रमन की कल्याणकारी खोज ‘रमन प्रभाव’ के सम्मान में मनाए जाने वाले “राष्ट्रीय विज्ञान दिवस” को सभी को बधाई दी। उन्होंने 2047 के विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए भारतीय परंपरागत ज्ञान एवं कौशल पर अनुसंधान, शोध एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिए कृत संकल्पित होने की बात कही।

इस अवसर पर सेवा भारती के विजय पौराणिक, मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी, डॉ. प्रवीण ढीगरा एवं डॉ. सुनील गर्ग सहित परिषद के वैज्ञानिक, अधिकारी-कर्मचारीगण एवं प्रदेश की 145 संस्थाओं से वर्चुअली जुड़े विद्यार्थी उपस्थित रहे।

Views Today: 2

Total Views: 38

Leave a Reply

error: Content is protected !!