अनोखा तीर भोपाल:-कैंसर का नाम सुनते ही अधिकतर रोगी हौसला खो देते हैं। बीमारी की तीसरी या चौथी अवस्था में पहुंच चुके रोगियों को दर्द के साथ मानसिक समस्याएं भी होने लगती हैं। वह खुद को असहाय समझने लगते हैं। ऐसे में उन्हें उपचार के साथ भावनात्मक सहयोग की आवश्यकता होती है। ऐसे रोगियों को प्रदेश में पैलिएटिव केयर की सुविधा सरकारी और निजी अस्पतालों में दी जाएगी।
इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम के अनुसार मध्य प्रदेश में हर वर्ष 3500 से 4000 कैंसर रोगियों की मौत हो जाती है। यह बीमारी की तीसरी या चौथी अवस्था में होते हैं। इस दौरान कई रोगियों का दर्द भी असहनीय हो जाता है। पेलिएटिव केयर में दर्द निवारण के लिए नारकोटिक्स दवाएं दी जाती हैं। यह दवाएं रोगियों को अभी विशेष परिस्थिति में डाक्टर के लिखने पर ही मिल पाती हैं।
पहले भी हुए थे प्रयास पर सफल नहीं हुए
इसके पहले भी वर्ष 2014 में भी स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए प्रयास किए थे। उज्जैन जिला अस्पताल में इसकी शुुरुआत भी हुई थी, पर यह सुविधा मात्र नाम के लिए ही रही। अब आयुष्मान योजना में शामिल होने पर पूरे मापदंडों के अनुरूप इनका संचालन हो सकेगा। हर जिला अस्पताल में इनकी काउंसलिंग के लिए काउंसलर्स नियुक्त किए जाएंगे जो तनाव से उबारने का काम करेंगे। योग-ध्यान कराने वाले रहेंगे।
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