आप जो यह तस्वीर देख रहे हैं, वह शहर के मध्य से गुजरी अजनाल नदी का पेड़ीघाट है। जो प्राचीन होने के साथ-साथ पत्थर बेजोड़ कला का ज्वलंत उदाहरण है। किंतु , शहर की ये प्राचीन धरोहर इन दिनों दयनीय हालत में है। जहां गंदगी के अलावा ड्रेनेज का पानी नदी को प्रदूषित कर रही है। इसके अलावा नदी के किनारे पर लोग खुले में शौच कर रहे हैं। जिसके चलते मुख्य बाजार से लगा यह इलाका दुर्गंध की भेंट चढ़ा हुआ है। स्थिति यह है कि शहरी क्षेत्र में घाटों का भ्रमण करना मुश्किल है। बावजूद इस दिशा में कोई ठोस कार्ययोजना जमीन पर नही दिख रही है, जो नदी का स्वरूप बदलने के साथ ही प्राचीन घाट को संरक्षित करने में सहयोगी बन सके। बता दें कि यहां इससे पहले प्रशासन की अगुवान में नागरिकों ने श्रमदान की पहल कर घाट को साफ-सुथरा करने की कवायद प्रारंभ की थी। जिसके तहत हर रविवार को अधिकारी-कर्मचारी समेत समाजसेवी लोग यहां जुटते थे। परंतु समय के साथ साथ उनकी पहल भी ठंडी पड़ गई। अब यहां व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर केवल चटकारों का दौर जारी है, कि यह बात गलत है।
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