फसलों में खाद के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली उर्वरक डीएपी यानी डाइ-अमोनियम फ़ॉस्फ़ेट और यूरिया की वैश्विक कीमतों में तेज उछाल से घरेलू उर्वरक निर्माता परेशान हैं। जुलाई 2022 में डीएपी की कीमत 440 डॉलर प्रति टन थी, जो अब बढ़कर 595 डॉलर प्रति टन हो गई है। अप्रैल 2022 में डीएपी की कीमत 924 डॉलर प्रति टन थी। अगर वैश्विक बाजार में इस तरह ही कीमतों में उछाल बना रहा तो
एनबीएस सब्सिडी में बढ़ोत्तरी या फिर अधिकतम खुदरा कीमत (एमआरपी) में बढ़ोतरी करने की जरूरत होगी।
डीएपी की बढ़ती वैश्विक कीमतों का असर घरेलू निर्माताओं पर पड़ रहा हैं। जिसके चलते निर्माताओं ने न्यूट्रिएंट बेस्ड सब्सिडी (एनबीएस) बढ़ाने के लिए समीक्षा की मांग की हैं। निर्माता एनबीसी सब्सिडी पर समीक्षा चाहते हैं।
वर्तमान समय में उर्वरक कंपनियां डीएपी की 50 किलोग्राम की बोरी को 1,350 रूपये में बिक्री कर रहा हैं।
इस मामले पर उर्वरक उद्योग के शीर्ष संगठन एफएआई के अध्यक्ष एन सुरेश कृष्णन ने कहा कि इस समय वर्तमान आयात मूल्य के साथ डीएपी के मामले में लाभप्रदता थोड़ी चुनौती होगी। अगर वैश्विक कीमतें मौजूदा स्तर पर बनी रहती हैं, तो हमें या तो अधिक एमआरपी या सरकार से अधिक समर्थन की आवश्यकता हो सकती है।
हालांकि वर्तमान सरकार किसानों के इतने बड़े वर्ग को खेती की लागत बढ़ाकर नाराज नहीं करेगी। क्योंकि उर्वरक खेती का हिस्सा हैं, इससे सीधा किसान की आय पर फर्क पड़ेगा इसलिए सरकार किसानों पर उर्वरक दाम में वृध्दि का बोझ नहीं डालेगी।