केंद्रीय मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी ने जेंडर समावेशी कम्युनिकेशन मार्गदर्शिका का अनावरण किया

नई दिल्ली- महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ज़ूबिन इरानी ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में ‘लिंग-समावेशी संचार पर मार्गदर्शिका’ जारी की। “लिंग-समावेशी संचार” शीर्षक वाली मार्गदर्शिका लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी द्वारा यू एन वूमन और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सहयोग से तैयार की गई है। यह मार्गदर्शिका हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श का परिणाम है और यह लिंग विशेष या सामाजिक जेंडर के प्रति पूर्वाग्रह से बचने के लिए लिंग-समावेशी भाषा के उपयोग के संबंध में सिफारिशें और उदाहरण प्रस्तुत करती है और इसके द्वारा लिंग से संबंधित घिसे-पिटे ढर्रे को व्यक्त किए जाने या बढ़ाने की संभावना कम है।

इस मार्गदर्शिका में अंग्रेजी, हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भाषा के उपयोग को शामिल किया गया है, जो भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी “हैंडबुक ऑन कॉम्बेटिंग जेंडर स्टीरियोटाइप्स” तथा भारतीय नागरिकों की आवश्यकताओं के अनुरूप अनुकूलित अन्य राष्ट्रीय और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं पर आधारित है। मार्गदर्शिका में भविष्य के संदर्भ के लिए लिंग-संबंधी संशोधनों की चेकलिस्ट और प्रमुख संसाधन भी शामिल हैं। इस मार्गदर्शिका का उद्देश्य सरकारी अधिकारियों, सिविल सेवकों, मीडिया व्यवसायियों, शिक्षकों और अन्य हितधारकों द्वारा लिंग-समावेशी लेखन, समीक्षा और दस्तावेजों के अनुवाद और संचार में सहायता करना है। इसका लक्ष्य है: जागरूकता बढ़ाना, लिंग तटस्थता और समावेशिता के लिए प्रतिबद्धता के साथ व्यक्तियों को दैनिक संचार करने के लिए सशक्त बनाना और समाज के प्रति धारणा को मूलभूत रूप से नया आकार देना, जहां भाषा सकारात्मक परिवर्तन का प्रतिनिधि बन जाती है। रोजमर्रा की भाषा में मौजूद अंतर्निहित पूर्वाग्रहों को उजागर और स्वीकार करे हुए यह मार्गदर्शिका परिवर्तन के लिए उत्प्रेरक का काम कर सकती है।

मार्गदर्शिका जारी किए जाने के कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ज़ूबिन इरानी मुख्य अतिथि थीं। इस कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. महेंद्रभाई मुंजपारा, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव इंदीवर पांडे, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के सचिव के. श्रीनिवास, श्रीराम तारणीकांति, निदेशक, एलबीएसएनएए और अध्यक्ष, राष्ट्रीय लिंग और बाल केंद्र, सुजान फर्ग्यूसन, कंट्री रिप्रेजेंसेंटेटिव, यू एन वूमन, हरि मेनन, कंट्री डायरेक्टर, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और दिशा पन्नू, उप निदेशक और कार्यकारी निदेशक, राष्ट्रीय लिंग और बाल केंद्र, एलबीएसएनएए उपस्थित थे। इनके अलावा विभिन्न सरकारी मंत्रालयों और विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के विशेषज्ञ, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के प्रतिनिधि और अन्य वरिष्ठ गणमान्य व्यक्ति और विशेषज्ञ भी उपस्थित थे।

महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई ने बताया कि यह मार्गदर्शिका एक ऐसे समाज के निर्माण की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जहां महिलाएं न केवल समान भागीदार होंगी, बल्कि इसमें महत्वपूर्ण बदलाव होगा, जहां महिलाएं नेतृत्वकर्ता होंगी। महिला एवं बाल विकास सचिव इंदीवर पांडे ने महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रमुख प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि महिलाओं के नेतृत्व में विकास की दिशा में देश के प्रयासों में लिंग समावेशी संचार पर आधारित यह मार्गदर्शिका एक संसाधन के रूप में कार्य कर सकती है।

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के सचिव के. श्रीनिवास ने याद किया कि एलबीएसएनएए के निदेशक के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान मंत्री स्मृति ज़ूबिन इरानी के मार्गदर्शन में इस तरह की ‘मार्गदर्शिका’ बनाने का विचार आया था और यह उनका सौभाग्य था कि उन्होंने इस मौलिक कार्य को शुरू किया। उन्होंने कहा कि इस ‘शब्दकोश’ का विमोचन युगांतकारी है, क्योंकि शायद यह दुनिया में कहीं भी किया गया अपने किस्म का पहला ऐसा अभ्यास है। श्रीराम तरणीकांति, निदेशक, एलबीएसएनएए और अध्यक्ष, राष्ट्रीय लिंग एवं बाल केंद्र ने इस मार्गदर्शिका के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “इतिहास में पहली बार हम संचार की ऐसी उचित भाषा के बारे में चर्चा कर रहे हैं जो सभी लिंगों के बारे में समान रूप से बात करती है। भाषा, जब संचार करती है, तो मानदंड और रिश्ते भी तय करती है।”

इस अवसर पर बीएमजीएफ के निदेशक हरि मेनन ने इस बात को रेखांकित किया कि पिछले कुछ वर्षों में, विशेष रूप से पिछले 12 महीनों में जी20 की अध्यक्षता के दौरान, भारत ने प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित विजन को आकार दिया है और ऐसा करके भारत ने महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के वार्तालाप को वैश्विक स्तर तक बढ़ाने में मदद की है।

कार्यक्रम में अपने मुख्य भाषण में महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ज़ूबिन इरानी ने लिंग-समावेशी भाषा को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर चर्चा की। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का महिलाओं के नेतृत्व में विकास का आह्वान देश के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकता बन चुका है और हम महिलाओं को सशक्त बनाने और एक ऐसा इकोसिस्टम तैयार करने की दिशा में काफी प्रगति कर रहे हैं जो जेंडर की परवाह न करते हुए सभी के लिए सुरक्षित, न्यायसंगत और न्यायपूर्ण हो। उपयुक्त भाषा का उपयोग इस यात्रा का एक प्रमुख तत्व है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा विशेष रूप से सक्षम लोगों के लिए ‘दिव्यांग’ शब्द का उपयोग करने से समुदाय के खिलाफ घिसे-पिटे ढर्रे से निपटने में मदद मिली है और यह एक महान अनुकरणीय उदाहरण है। उन्होंने कहा कि यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि पूर्वाह्न में, मंत्रालय ने “दिव्यांग बच्चों के लिए आंगनवाड़ी प्रोटोकॉल” जारी किया और दोपहर में, “लिंग समावेशी – संचार” पर एक मार्गदर्शिका जारी की। स्मृति इरानी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे इस मार्गदर्शिका के कारण आज भाषा शक्ति को समानुभूति और न्यायसंगतता से अलंकृत किया गया है। केंद्रीय मंत्री ने इच्छा व्यक्त की कि सकारात्मक बदलाव लाने के लिए इस शब्दकोष की प्रतियां जल्द ही देश भर में क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराई जाएंगी। स्मृति इरानी ने आह्वान किया कि लिंग-समावेशी भाषा को अपनाकर, हम घिसे-पिटे ढर्रे को चुनौती दे सकते हैं और सभी के लिए अधिक सम्मानजनक और न्यायसंगत वातावरण को बढ़ावा दे सकते हैं।

इस अवसर पर गणमान्य व्यक्तियों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भाषा केवल अभिव्यक्ति का साधन नहीं है; यह हमारे मूल्यों और सिद्धांतों का प्रतिबिंब है। गणमान्य व्यक्तियों ने कहा कि ये दिशानिर्देश हमारे सिविल सेवकों को न केवल कुशलतापूर्वक संवाद करने बल्कि हमारे समाज के भीतर मौजूद विविध दृष्टिकोणों और पहचानों के प्रति संवेदनशीलता के साथ सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। सम्मान और समझ की संस्कृति को बढ़ावा देते हुए हमारा लक्ष्य एक ऐसा प्रशासनिक वातावरण बनाना है जो न केवल अपने कामकाज में प्रभावी हो बल्कि समावेशिता और सहानुभूति के साथ भी प्रतिध्वनित हो। ये दिशानिर्देश विशेष रूप से हमारे सिविल सेवकों और सामान्य रूप से आम नागरिकों के लिए एक रोडमैप प्रदान करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनका संचार सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन के लिए उत्प्रेरक हो, जो सभी के लिए समान हो।”

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