रायसेन। आयोजित दो दिवसीय महाबोधि महोत्सव का रविवार को कलश यात्रा के साथ समापन हो गया। अस्थि कलश यात्रा शुरू हुई। महाबोधि सोसायटी के तपस्वी स्वामी ने सिर पर 15 किलो वजनी कलश रखकर स्तूप की परिक्रमा की।
करीब आधे घंटे में यात्रा समाप्त हुई। इस बार वियतनाम से बैंड दल नहीं आया था। श्रीलंका से आए हेविसि समूह के कलाकार पारंपरिक वस्त्रों में ढोलक बजाते हुए कलश यात्रा के आगे चल रहे थे।
इस दौरान श्रीलंका, जापान सहित महाराष्ट्र, दिल्ली और देश के अलग-अलग राज्यों से लोग अस्थि कलश के दर्शन करने पहुंचे। भगवान परम शिष्य सारिपुत्र और महामोग्गलान के अस्थि कलश के दर्शन चलते रहे।
इसके बाद अस्थि कलशों को वापस तलघर में रखकर ताला लगा दिया गया। अब अगले वर्ष इसी समय इन्हें दर्शन के लिए बाहर निकाला जाएगा। इस दौरान सांची में करीब एक लाख से ज्यादा लोग जुटे।
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