– पारंपरिक गीतों की रहेगी धूम
अनोखा तीर, हरदा। आषाढ़ मास से लेकर चातुर्मास तक देवता शयन निद्रा में रहते हैं, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निद्रा से जागेंगे। जिसे हम देवउठनी ग्यारस कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु शयन से बाहर आते ही शुभ कार्यों का आगाज होता है। जिसमें विवाह, सगाई की रस्में, गृह प्रवेश समेत अन्य मंगल कारज शामिल हैं। साथ ही शुभ मुहूर्तों की खोज भी आरंभ होती है। इसी कड़ी में गुरूवार को देवउठनी ग्यारस की धूम रहेगी। इसको लेकर घरों घर तैयारियों का सिलसिला देखने को मिला। घरों को जहां फूल तथा रंग-बिरंगी विद्युत रोशनी से सजाया है, वहीं पूजास्थल की भी आकर्षक साज-सज्जा की तैयारी है। ताकि घर परिवार के सभी सदस्य मिलकर विधि पूर्वक देव पूजा में सहभागी बन सके। इसके लिए एक दिन पहले यानि बुधवार को बाजार पूजन सामग्री खरीदने का दौर रहा। मुख्य बाजार घंटाघर समेत गर्ल्स स्कूल, नई सब्जी मंडी, नेहरू स्टेडियम एवं सांई मंदिर इलाके में गन्ने की दुकानें सजी हैं। साथ ही बोर की भाजी, आंवला, सिंगाडा , मूला और फल तथा मिठाई की दुकानों पर दिनभर रौनक रही। खरीदी का ये सिलसिला गुरूवार को भी देखने को मिलेगा।
देवउठनी ग्यारस का खासा महत्व
पंडित बनवारीलाल शर्मा ने बताया कि हिन्दू मान्याताओं में देवउठनी ग्यारस का खासा महत्व है। क्योंकि, यह तिथि मंगल कार्यो का प्रवेश द्वार है। इस तिथि के पश्चात शादी-ब्याह समेत अन्य मंगल कारज के मुहूर्त रहते हैं। उन्होंनें बताया कि ग्यारस के दिन घर-आंगन की साज-सज्जा के साथ ही विधि-विधान से पूजा की जाती है।
विधि पूर्वक संपन्न करेंगे देव पूजा
पूजा की थाली में पूजन सामग्री रखने के साथ ही एक दीप जलाया जाता है, फिर थाली पर बांस की टोकरी रख देते हैं। जिसे परिवार के पुरूष सदस्य देवगीत के साथ उठाते हैं और रखते हैं। यह क्रम करीब 11 बार चलता है। इसी के साथ देवता के जयकारे तथा आतिशबाजी कर खुशियां मनाई जाती है।
इसी महिने में शादी के पांच शुभ मुहूर्त
देवउठनी ग्यारस के साथ ही ज्योतिषाचार्यो ने मुहूर्त की जानकारी साझा की है। पंडितों के अनुसार देवउठनी एकादशी के दिन से यानि 23 नवम्बर से विवाह की शुरुआत होगी। नवम्बर माह में 23 तारीख के अलावा 24, 27, 28, और 29 नवम्बर के दिन साया रहेगा। इसके बाद दिसम्बर माह में 3, 7, 9, 10, 13, और 15 को विवाह के लिए मुहूर्त है। १५ दिसम्बर के बाद से 15 जनवरी तक मलमास रहेगा। जिसके चलते करीब एक महिने तक विवाह के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं होगा।