दीपावली रौशनी एवं रौनक का पर्व है। कार्तिक मास में पांच दिवसीय पर्व का ना केवल सामाजिक महत्व है बल्कि पौराणिक महत्व भी है। यही कारण है कि दीप पर्व पूरे उत्साह, हर्षेल्लास एवं भक्तिभाव के साथ मनाने की तैयारी है। इसी कड़ी में जहां शहर के विभिन्न इलाकों में मकान व इमारतें रोशनी से जगमगा रही है, वहीं बाजार में जमकर खरीददारी का दौर जारी है। इन सबके बीच शुक्रवार को धनतेरस के साथ पूरे पांच दिन वातावरण त्यौहारमय नजर आएगा।
अनोखा तीर, हरदा। कार्तिक मास कृष्ण पक्ष रविवार 12 नवम्बर को माता लक्ष्मी की आराधना का पर्व दीप उत्सव हर्षोल्लास एवं भक्तिभाव के साथ मनाया जाएगा। इसको लेकर जहां घर-घर तैयारियों का सिलसिला जारी है, वहीं त्यौहार पर खरीददारी के चलते बाजार में लोगों की भीड़ उमड़ रही है। इनमें महिला एवं बच्चों की संख्या सर्वाधिक है। हालांकि, दीपोत्सव से पहले शुक्रवार 10 नवम्बर को धनतेरस के मौके पर वैधराज धनवंतरी की पूजा की जाएगी। इस दिन सोना-चांदी, बर्तन और नया वाहन समेत इलेक्ट्रानिक सामान की खरीददारी कर घर लेकर जाते हंै। इसी के मद्देनजर शहर के मुख्य बाजार सहित अन्य स्थानों पर दुकान तथा शोरूम पर ग्राहकों का हुजूम लगा है। इनमें शहरवासी समेत ग्रामीण अंचलों से पहुंच रहे लोग शामिल हैं। व्यापारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस साल फसलों के बेहतर उत्पादन के चलते खरीददारी जोरों पर है। उन्होंनें धनतेरस पर करोड़ों रूपए के व्यापार का अनुमान जताया है। इधर, हर साल की भांति इस साल भी दीपावली को यादगार बनाने की दृष्टि से लोग व्यापक तैयारियों में जुटे हैं। जिसमें घर का रंग-रोगन, साज-सज्जा तथा विधुत रोशनी से सजावट की जा रही है। जिसकी झलक शहर के विभिन्न इलाकों में देखने को मिल रही है। जहां बड़ी-बड़ी इमारतें रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगा रही हैं। दीपावली के दिन अधिकांश लोग नर्मदा स्नान के लिये हंडिया और नेमावर स्थित घाटों पर जुटेंगे। स्नान एवं दान-पुण्य कर पर्व की शुरूआत करेंगे। साथ ही नर्मदा जल भरकर शाम को लक्ष्मी पूजन की तैयारियों में जुटेंगे।
अलग-अलग मुहूर्त , खास मुहूर्त अमृतकाल
ज्योतिषाचार्य पंडित विवेक मिश्र ने बताया कि सुबह ९.२० से १२ बजे तक गादी बिछाने का शुभ मुहूर्त रहेगा। इसी के साथ शाम तक लक्ष्मी पूजन के 5 अलग-अलग मुहूर्त है। जिसमें लाभ प्रात: ९.२० से १०.४० , अमृत दिवाकर १०.४० से १२ बजे तक, शुभ दिवाकर १.२० से २.४०, शुभ शाम ५.२० से ७ बजे तक तथा वृष लग्न शाम ५.४८ से ७.५१ तक रहेगा। वहीं शाम ७ बजे से ८.४० के बीच अमृतकाल योग बन रहा है। प्राय समस्त धर्मप्रेमीजन इसी समयकाल में पूजा को महत्व देते हैं। इसके बाद सिंह लग्न रात १२.१७ से २.३० तक रहेगा, वहीं अंतिम मुहूर्त लाभ रात १.४० से ३.२० तक रहेगा।
माता लक्ष्मी एवं गणेश की पूजा
दीपावली के दिन मुख्यत: मां लक्ष्मी एवं प्रथमपूज्य भगवान श्रीगणेश को विशेष रूप से पूजा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम जब 14 साल का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे तो अयोध्यावासियों ने उनकी अगवानी में संपूर्ण अयोध्या को दीपमय कर दिया था। तभी से हर साल दीप उत्सव मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना के बीच आत्मीय आराधना की जाती है। साथ ही मैया को प्रसन्न करने महत्वपूर्ण विधि भी अपनाते हैं।
तो चारों दिशाओं के देव प्रसन्न
पंडितों के मुताबिक माता लक्ष्मी की पूजा दौरान कलश स्थापना फलदायक है। वहीं कलश के अंदर एक चांदी का सिक्का अथवा चांदी का सिक्का ना होने की स्थिति में समान्य सिक्का भी रख सकते हैं, ताकि घर में सदैव लक्ष्मी का वास रहे। इसके अलावा कलश में एक सुपारी रखना यानि श्रीगणेश की मौजूदगी सुनिश्चित करना है। साथ ही कलश के चारों कोनों पर तिलक लगाना है। जिससे घर में वेद बुद्धि प्रदान हो तथा चारों दिशा के देवताओं की कृपा बनी रहे।
इनका भी खासा महत्व ….
पूजा दौरान भगवान विष्णु का स्मरण
पूजास्थल पर सहस्र नामावली पाठ
श्री अष्टलक्ष्मी महा स्त्रोत का पाठ
श्री सूक्त एवं पुरुष सूक्त पाठ