अनोखा तीर, हरदा। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय कृषि विज्ञान केन्द्र, हरदा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संध्या मुरे ने बताया कि फसल की बुआई से पहले बीजोपचार बहुत जरूरी है। वैज्ञानिक डॉ. ओपी भारती ने बताया कि फसल की बुआई से पहले ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई अर्थात रोगों और कीटों के प्रबंधन के लिए कम से कम 3 वर्ष में एक बार 20 से 30 से.मी. गहरी जुताई मई जून के महीने में करना चाहिए। उन्होने बताया कि मृदा उपचार के लिए ट्राइकोडरमा स्पीसीज 2 लीटर अथवा 4 कि.ग्रा. को 50 कि.ग्रा. की दर से पकी हुई गोबर की खाद में मिलाकर 10-15 दिन तक छायादार स्थान पर रखकर तथा नमी की अवस्था में बुवाई पूर्व खेत में मिलाना चाहिए। फफूंदनाशी एवं कीटनाशक से बीजोपचार के तहत हरदा जिले में, सोयाबीन, मूंग, उड़द और मक्का जैसी प्रमुख फसलें खरीफ मौसम में उगाई जाती हैं। फसल की प्रारंभिक अवस्था में फसल को रोग और कीटों से बचाव के साथ साथ पौधों की उचित सांख्य सुनिश्चित करने के लिए बीजोपचार अत्यंत आवश्यक हैं।
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