नाटक ‘ययाति’ का किया मंचन

 

अनोखा तीर, हरदा। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से इंटेलक्चुअल पब्लिक वेलफेयर एंड ट्रेनिंग फॉर आर्ट सोसायटी द्वारा आयोजित 18वें राष्ट्रीय नाट्य समारोह की तीसरी और अंतिम संध्या पर गिरीश करनार्ड के बहुचर्चित नाटक ययाति का मंचन बालेन्द्र सिंह के निर्देशन में हम थियेटर गु्रप भोपाल के द्वारा किया गया। हर व्यक्ति जैसे दु:ख और द्वन्द्व का एक भंवर है और फिर वह भंवर एक नदी का हिस्सा भी है, और यह हिस्सा होना भी पुन: एक दु:ख और द्वन्द्व को जन्म देता है। ययाति नाटक के सारे पात्र इस श्रृंखला को अपने अपने स्थान से गति देते हैं जैसे जीवन में भी हम सब अपनी इच्छाओं आकांक्षाओं से प्रेरित- पीड़ित जीवन का निर्माण करते हैं। नाटक की कथा महाभारतकालीन पौराणिक आख्यान के आधार पर आधारित थी जिसके केंद्र में राजा ययाति, उनकी पत्नी देवयानी जो कि दैत्य गुरु शुक्राचार्य की बेटी थी तथा दासी शर्मिष्ठा है। विवाह के समय गुरु शुक्राचार्य ने ययाति से वचन लिया कि वो देवयानी के सिवाय किसी और स्त्री को अपने जीवन में नहीं अपनाएंंगे। ययाति ने भी यह वचन दिया था। लेकिन ययाति, शुक्राचार्य को दिया अपना वचन भूल चुके थे। इस बात पर शुक्राचार्य ने ययाति को युवावस्था में ही वृद्ध होने का श्राप दे दिया। क्षमा मांगने पर शुक्राचार्य ने ययाति को श्राप मुक्ति का तरीका तो बता दिया, लेकिन राजा के वैवाहिक जीवन से सुख, सम्मान और विश्वास खत्म हो चुका था। वैवाहिक जीवन में सम्मान बनाए रखने के लिए पति पत्नी को एक दूसरे का विश्वास नहीं तोड़ना चाहिए यही इस नाटक का संदेश है। गिरीश करनार्ड का यह नाटक पौराणिक कथाभूमि के माध्यम से जीवन की शाश्वत छटपटाहट को संकेतिक करते हुए अपने सिद्ध शिल्प में एक अविस्मरणीय नाट्य अनुभव की रचना करता है। संस्था के निदेशक संजय तेनगुरिया ने इस तीन दिवसीय नाट्य समारोह को सफल बनाने हेतु बड़ी संख्या में उपस्थित हुए सभी सुधि दर्शकों, नाट्य दलों और प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक तथा सहयोगी गणों का आभार व्यक्त किया।

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