लोहारदा ऋषभ मीणा । एक ओर जहां शासन द्वारा सभी नागरिकों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए जगह जगह स्वास्थ्य केंद्र खोले गए हैं वहीं दूसरी ओर कई जगह स्वास्थ्य केंद्र डाॅक्टर एवं स्टाफ की कमी के चलते मात्र शासकीय भवन बनकर रह गए हैं। ऐसा ही मामला शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लोहारदा में देखने को मिलता है जहां अस्पताल भवन पर तो लाखों रुपए खर्च किए जा चुके हैं परंतु स्थाई डॉक्टर एवं स्टाफ की कमी पिछले बहुत समय से जस की तस बनी हुई है। वर्तमान समय में डॉक्टर संतोष कोतकर की ड्यूटी सप्ताह में मात्र दो दिन ही स्वास्थ्य केंद्र लोहारदा में लगाई गई है जिसमें नगर एवं आसपास के क्षेत्र के मरीजों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि लोहारदा एवं आसपास के क्षेत्र के लगभग 15 हजार से 20 हजार लोग प्राथमिक उपचार के लिए लोहारदा अस्पताल पर ही आश्रित है। नगर के नागरिकों ने कई बार नगर में आने वाले नेताओं को इस बात से अवगत करवाया मगर अभी तक नागरिकों को सिर्फ आश्वासन ही मिला है।
डॉक्टर न होने से हो रहा बड़ा नुक़सान
शासकीय अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिलने से मरीजों को मजबूर होकर प्रायवेट क्लिनिको में इलाज करवाना पड़ता है जहां डॉक्टर की फीस के साथ ही कमिशन के चक्कर में दवाईयों की भी लंबी चौड़ी लिस्ट मरीजों को पकड़ा दी जाती है जिससे की आम आदमी की जेब पर बहुत गहरा असर पड़ता है वहीं दूसरी ओर बिना डिग्री वाले झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज करवाने से स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ता है।
कांटाफोड़ लोहारदा में एक ही डाॅक्टर होने की वजह से दोनों जगह वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी, अभी कांटाफोड़ अस्पताल में नए डॉक्टर की पोस्टिंग हो गई है, उनके जाईन होते ही डाॅ कोतकर लोहारदा अस्पताल में ही स्थाई रहेंगे
डॉ लोकेश मीणा बीएमओ कन्नौद
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