बगैर नामांतरण के ही रजिस्ट्री कर दी प्लाट की आज भी रिकॉर्ड में जिंदा है प्यारेलाल

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*किसने की प्रमाण पत्र से* *छेड़छाड़*

*किसने बनाया वार्ड नंबर 18* *को वार्ड नंबर 17 और किसने* *इसी प्रमाण पत्र पर* *बनाया नजरी नक्शा* *संदेह हो रहा है प्रमाण पत्र* *पर*

*मुकेश सोनी आठनेर*
नगर के वार्ड क्रमांक 13 में निवासरत प्यारे लाल पिता मोहनलाल सुंदर लाल पिता मोहनलाल मौजी लाल पिता मोहनलाल तीनो भाई सगे इसी वार्ड में निवासरत है परंतु मौजी लाल पिता मोहनलाल कमाने खाने पटन विकासखंड के ग्राम बिसनूर में रहने लगे एवं अपना जीवन व्यतीत करने लगे अब आठनेर के वार्ड नंबर 13 श्री राम वार्ड में प्यारेलाल एवं सुंदर लाल का परिवार निवासरत है इस संबंध में पूरी जानकारी देते हुए सुंदर लाल के पुत्र ओमप्रकाश सोनी ने बताया कि मेरे पिताजी सुंदरलाल जी और मेरे बड़े पिताजी प्यारे लाल जी दोनों सगे भाई है और हमारा इसी वार्ड क्रमांक 13 में दो मकान आज भी स्थित है एक मकान खानदानी है जिस मकान में मेरे दोनों बड़े पिताजी मौजी लाल जी एवं प्यारे लाल जी निवास करते थे एवं मेरे पिताजी भी वही निवास करते थे परंतु 1952 में मेरे बडे पिताजी प्यारे लाल जी एवं मेरे पिताजी सुंदरलाल जी द्वारा राम मंदिर के बाजू से मैना बेवा तुकाराम कुनबी से यह प्लाट खरीदा था जिस प्लाट में प्यारेलाल एवं सुंदरलाल का नाम 1952 से आज तक परिषद के राजस्व रिकॉर्ड में अंकित है उन नामों पर आज तक नामांतरण नहीं हुआ है इसी संबंध में प्यारेलाल के पुत्र बाबूलाल द्वारा बगैर नामांतरण किए वार्ड नंबर 13 का प्लाट जो प्यारेलाल के नाम से आज भी नगर परिषद में अंकित है उस प्लाट को बाबूलाल द्वारा अशोक एवं नंदकुमार पिता उदय लाल सोनी को 10 जुलाई 1992 को बेच दिया था परंतु उस प्लाट के बिक्री के संबंध में विरोध करने पर उस प्लाट पर आज भी सुंदरलाल के वारसान मुकेश का कब्जा बरकरार है इस संबंध में बताया गया है कि प्यारेलाल एवं सुंदरलाल दोनों आपस में सगे भाई थे और सुंदर लाल द्वारा 18/4/ 1991 को भाई प्यारेलाल को नोटिस जारी कर उनके कब्जे में जो प्यारेलाल सुंदरलाल एवंमैजी लाल के जगह पर जो कब्जा करके रखा था मैं उसे मांग रहे थे वही 18/4/1991 को प्यारेलाल द्वारा सुंदरलाल को नोटिस देकर कहां गया कि मैं आपको आपके दोनों कमरे नहीं दूंगा एवं पड़ोसियों के समझाने पर 20/4/1991 को एक सहमति पत्र बैतूल जाकर बनाया गया इस सहमति पत्र में काशीराम ईठोबा कनेरे एवं मानिकराव पिता मल्लू कावड़कर की हस्ताक्षर गवाह के रूप में की गई है उक्त सहमति पत्र तब की ग्राम पंचायत में दोनों भाइयों ने सहमत होकर ग्राम पंचायत को सौंप दिया जिसकी सत्य प्रतिलिपि हमारे पास उपलब्ध है इस संबंध में मानिकराव के पुत्र यशवंतराव कावड़कर द्वारा बताया गया कि मैं इन सभी को ट्रक से बैतूल ले गया था और यह सहमति पत्र मेरे सामने बनवा कर मैं इन लोगों को आठनेर वापस उसी ट्रक से लाया था

*इस संबंध में बाबूलाल की* **भूमिका लग रही है संदिग्*
*ध*
बाबूलाल प्यारेलाल का पुत्र है और प्यारेलाल की मृत्यु के पश्चात बाबूलाल द्वारा एक आवेदन तत्कालीन सरपंच ग्राम पंचायत आठनेर को देकर कहा गया कि मेरे पिताजी प्यारेलाल की मृत्यु हो चुकी है और हमारा मकान वार्ड नंबर 18 में अंकित है आप उस मकान पर सुमन बाई कमलाबाई एवं बाबूलाल का नाम अंकित कर हमारे पिताजी का नाम काटे एवं मुझे उसका प्रमाण पत्र भी देवें सरपंच द्वारा 7 जुलाई 1992 को वार्ड नंबर 18 का प्रमाण पत्र खाली भूमिका जारी कर दिया परंतु जब यह रजिस्ट्री 10 जुलाई 1992 को हुई तब उस प्रमाण पत्र में वार्ड क्रमांक 17 अंकित हो गया एवं वार्ड नंबर 18 को 17:कर उस प्रमाण पत्र पर एक हस्तलिखित नक्शा भी बना दिया गया एवं रजिस्टर में अनुक्रमांक 39 बटे 17 भी उसी कार्बन कॉपी वाले प्रमाण पत्र की सेकंड प्रति पर बिगर कार्बन कॉपी हटाए अंकित कर दिया गया है जो स्पष्ट दर्शाता है कि किसी ने प्यारेलाल की मृत्यु का आवेदन स्वयं कह रहा है वार्ड नंबर 18 में मकान दर्ज है वहां प्यारेलाल का नाम काटकर हमारा नाम चढ़ा है तो 17 की बात ही नहीं हो सकती तो 17 का प्रमाण पत्र वहां आया कैसे इसलिए बाबूलाल जो प्यारेलाल का पुत्र था उसकी भूमिका इस पूरे प्रकरण में संदिग्ध लग रही है इस प्रमाण पत्र से छेड़छाड किसने की है यह तो आने वाला समय ही बताएगा
*क्या कहते हैं तत्कालीन* *सरपंच*
तत्कालीन सरपंच श्री रामदयाल जी जीतपुरे से इस संबंध में पूछने पर उन्होंने बताया कि मृतक प्यारेलाल के परिजनों द्वारा मुझे आवेदन दिया गया था उस आवेदन में कहा गया था कि हमारे पिताजी प्यारेलाल का निधन हो चुका है आप वार्ड नंबर 18 में उनके नाम का एक मकान दर्ज है उसे आप हम तीनो भाई बहनों के नाम से अंकित कर दे उन्होंने बताया कि दोनों बहनों ने आपसी सहमति देकर यह मकान भाई बाबूलाल के नाम से ही करने को कहा जिस पर मेरे द्वारा वार्ड नंबर 18 का मकान बाबूलाल पिता प्यारेलाल के नाम से 1992 से रिकॉर्ड दर्ज कर दिया गया था और उन्होंने मुझे एक प्रमाण पत्र वार्ड नंबर 18 का मांगा था जो मेरे द्वारा आवेदन के आधार पर वार्ड नंबर 18 का प्रमाण पत्र दिया गया था और जो प्रमाण पत्र दिया गया था उस पर हमारे पंचायत से यह हमारे द्वारा कोई नक्शा एवं अनुक्रमांक नहीं डाला गया था यह अनुक्रमांक 18 वार्ड के प्रमाण पत्र पर 39 बटे 17 किसने दर्ज किया है यह मुझे ज्ञात नहीं है मेरे द्वारा वार्ड नंबर 18 का प्रमाण पत्र दिया गया था अगर उसमें ऐसा कुछ भी प्रमाण पत्र के दिखता है तो वह उस प्रमाण पत्र के साथ छेड़छाड़ का मामला छेड़छाड़ करने वालों पर बनता है मेरे पास बाबूलाल कमलाबाई एवं सुमन बाई द्वारा दिए गए आवेदन की प्रति प्यारेलाल के मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रति एवं मेरे द्वारा जारी किए गए वार्ड नंबर 18 के प्रमाण पत्र के प्रति सुरक्षित रखी गई है क्योंकि यह मामला 1992 विवादित है और मेरे सरपंच के काल में इस मामले पर कई बार चर्चा भी हो चुकी है परंतु मेरे द्वारा वार्ड नंबर 18 का ही प्रमाण पत्र दिया गया था और 17 कैसे हो गया मुझे ज्ञात नहीं है जिसने भी इसे छेड़छाड़ कर 18 को 17 किया हो वह स्वयं जवाबदार रहेंगे

 

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