मध्य प्रदेशहोशंगाबाद / नर्मदापुरम

आर्मी ने रात-दिन मेहनत कर 3 दिन में बना दिया बैली ब्रिज

- प्रशासन ने किया सेना के जवानों का सम्मान, सुखतवा से आवागमन शुरू

अनोखा तीर, नर्मदापुरम। भोपाल-नागपुर नेशनल हाइवे पर स्थित सुखतवा के ब्रिज से आवागमन सुगम करने के लिए आर्मी की 80 सदस्यीय टीम ने रात दिन कड़ी मेहनत करते हुए सिर्फ तीन दिन में बैली ब्रिज बना दिया। जिससे इस महत्वपूर्ण मार्ग पर बुधवार से यातायात सुगम हो गया है। इस सराहनीय कार्य के लिए जिला प्रशासन के द्वारा जोश, जुनून और जज्बे के साथ किए गए इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए सेना के अधिकारियों व जवानों का मौके पर जाकर सम्मान किया गया। इस दौरान सेना के जवानों ने जोश खरोश के साथ भारत माता की जय व वंदेमातरम के जयघोष किए। इस अवसर पर कलेक्टर नीरज कुमार सिंह व सिवनी मालवा विधायक प्रेमशंकर वर्मा ने सेना के अधिकारियों व जवानों का सम्मान किया। पुल के शुभारंभ अवसर पर मेजर जनरल सुमेर डिकोना, ब्रिगेडियर अमन कंसल, कर्नल एमएस मेहता, सहित सेना के वरिष्ठ अधिकारी एसडीएम मदन सिंह रघुवंशी व क्षेत्र के अनेक जनप्रतिनिधि गणमान्य नागरिक मौजूद रहे। सभी ने सेना के जवानों के कार्य की सराहना की है। लोकार्पण अवसर पर ब्रिज पर ही जिला प्रशासन ने सेना के जवानों व बटालियन का सम्मान भी किया। पुल तैयार होने पर सेना के जवानों में भी विशेष उत्साह नजर आ रहा था।
तीन दिन की अल्पावधि में तैयार हुआ पुल
यह किसी आश्चर्य से कम नहीं है कि तीन दिन की अल्पावधि में हाई-वे का पुल तैयार हुआ, जिससे यातायात भी शुरू हो गया है। सेना के जाबांज जवानों की टीम ने महज 3 दिन में ही बैली ब्रिज का संपूर्ण स्ट्रक्चर खड़ा कर पुल को तैयार कर आवागमन के लिए लोकार्पित कर दिया है। बाढ़ और तेज बारिश के बावजूद भी सेना ने अपने हौसलों के साथ इस बड़ी चुनौती को पूरा किया है। पुल तैयार होने पर कलेक्टर श्री सिंह व विधायक श्री वर्मा की मौजूदगी में जिस्पी से फाइनल ट्रायल हुई उसके बाद ब्रिज से आवागमन शुरू कर दिया गया है।
मप्र का पहला नेशनल हाईवे का बैली ब्रिज
यह मध्यप्रदेश का नेशनल हाईवे पर बना पहला बेली ब्रिज है जिससे इतने कम समय में तैयार किया जा सका है। इस पुल से अब 40 टन वजनी वाहन निकल सकेंगे। इस ब्रिज की लंबाई 93 फीट और चौड़ाई 10.5 फीट है। पुल का वजन 60 टन है। बैली ब्रिज के दोनों हिस्से नदी के पुराने पुल के दोनों सिरे से जोड़े गए हैं। ब्रिज के दोनों तरफ लोहे की रेलिंग है और बीच में ही लोहे की मजबूत प्लेट्स लगाई गई है।

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