कांग्रेस मे जिलाध्यक्ष पद को लेकर रस्साकसी

राधेश्याम सिन्हा, बैतूल- कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व इस समय मिशन 2023 को लेकर बेहद गंभीर नजर आ रही है जिसके चलते आगामी वर्ष में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में किसी भी प्रकार की चूक नहीं होने देने के लिए सख्त निर्णय लिए जाने की बातें सामने आ रही है । वहीं बैतूल में इन दिनों  आगामी वर्ष  के विस के मद्देनजर जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष पद को हथियाने के लिए कांग्रेस की दोनों मजबुत घडों  में रस्साकशी का दौर शुरू हो गया है । जिसका नजारा गत दिवस स्थानीय सर्किट हाउस में प्रदेश कांग्रेस की ओर से आये डीआरओ  के सामने देखने को मिला ।
हाल ही में संपन्न हुए पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव के नतीजे आने के बाद प्रदेश कांग्रेस भले ही इसे पिछले चुनाव से बेहतर  प्रदर्शन मानकर  चल रहे हैं लेकिन हकिकत यह है कि  मध्य प्रदेश में संगठन की स्थिति ठीक नही है। ऐसा  राजनीति के जानकारों का आंकलन है । लेकिन  बैतूल जिले में पंचायत और निकाय चुनाव परिणाम ने जिले मे काबिज चारों कांग्रेस विधायकों को  उनकी जमीनी स्थिति ठीक नही होने की हालात के चलते स्वाभविक रुप से चिंता मे डाल दिया है।
यहां यह बता दें कि 2018 कि विधानसभा चुनाव में बैतूल जिले की इन चारों विधायकों के विजय हने पर ही  मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन पाई थी जिसमें पीसीसी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ तथा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की  भूमिका भी रही है । कमलनाथ ने जहां बैतूल जिले में टिकट वितरण में सावधानी दिखाई थी वहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बैतूल के दो बड़े कांग्रेसी पावर सेंटर को मिलकर चुनाव लड़ने के लिए सार्थक पहल की थी तब कहीं जाकर बैतूल जिले के 5 में से 4 सीट कांग्रेस के हाथ लगी थी। यहां यह और 0 क्लियर कर दें कि 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव के पूर्व बैतूल मे कांग्रेस के दोनों ताकतवर नेता पूर्व विधायक स्वर्गीय विनोद डागा और सुखदेव पांसे जो एक दूसरे के विरोधी रहे जिसके चलते जिले के कांग्रेसी भी दो खेमे में बटे  हुए थे । परंतु पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपने बैतूल प्रवास के दौरान दोनों नेताओं को मिलाने का काम कर दिए थे ।  लिहाजा बैतूल मुलताई के साथ-साथ  भैसदेही  और घोड़ाडोंगरी विधानसभा में भी कांग्रेस का परचम लहराया  था । लेकिन 4 साल बाद  फिर से बैतूल जिले में कांग्रेस नाजुक दौर से गुजर रही है। कांग्रेस के अंदर खाने से आ रही  खबर को अगर सही माने तो इस समय बैतूल के ताकतवर  विधायक निलय डागा और पूर्व कैबिनेट मंत्री मुलताई विधायक सुखदेव पांसे के बीच राजनीतिक संबंध  ठीक ठाक  नही है। ऐसी स्थिति निर्मित होने के पीछे जिला कांग्रेस कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में हेमंत वागादरे की नियुक्ति को बताया जा रहा है। क्योंकि जिला मुख्यालय के विधायक के रुप मे श्री डागा का अपना अलग महत्व है और वे कांग्रेस संगठन को लेकर पूरे चार  सालों से काम कर रहे है । इस लिहाज से जिला कांग्रेस कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष की नियुक्ति में उनकी सहमति होना चाहिए था।  लेकिन बैतूल विधायक निलय डागा के आउट ऑफ़ स्टेट रहने के दौरान और उनके  बगैर जानकारी तथा सहमति के पूर्व कैबिनेट मंत्री सुखदेव पांसे द्वारा पीसीसी चीफ कमलनाथ से अपनी करीबी संबंध होने का फायदा उठाते हुए हेमंत वागदरें  को कार्यवाहक अध्यक्ष बना दिया। जिससे बैतूल में श्री पांसे  के समर्थकों का एक घड़ा और तैयार हो गया। वहीं कांग्रेस की संगठन मजबूत होने के बजाय और कमजोर होने लगी है । जिसका उदाहरण है कि श्री वागादरे को एन पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव के पूर्व  नियुक्ति इस आशा के साथ की थी कि बैतूल में कांग्रेस का अच्छा प्रदर्शन होगा । लेकिन ऐसा नहीं हुआ उल्टे पंचायत और नगरी चुनाव में कांग्रेस की स्थिति और बदतर हो गई। जबकि श्री वागदरे  जिले की बहुसंख्यक कुंबी समाज  को बिलांग  करते है और पूर्व में एनएसयूआई  प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। परंतु वे अभी कांग्रेस के कुछ लोगों के फेरे मे आ गये हैं जिनके कारण हुए पंचायत और नगरीय चुनाव में कुछ चहेतों को टिकट दिला दिए जिससे कि कांग्रेस का प्रदर्शन खराब निकला है ऐसा उनके शुभचिंतकों का मानना है।
अब जब कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सुनील गुड्डू शर्मा द्वारा पद छोड़ने की पेशकश पीसीसी चीफ कमलनाथ से कर चुके हैं । चूंकि श्री शर्मा का कार्यकाल पूर्ण हो चुका हैं और  उनका कार्यकाल भी बेहतर रहा है क्योंकि श्री शर्मा अपने पूरे कार्यकाल में सभी कांग्रेसियों को साथ में लेकर चले हैं  चाहे  विधायक निलय डागा के समर्थक हों या  सुखदेव पांसे के प्रशंसक ।  जिसके चलते यह संभव है कि श्री शर्मा को अभी वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए जिलाध्यक्ष पद पर बने रहने दिया जा सकता है ऐसा कांग्रेस के एक जानकार नेता का कहना है। फिर भी यह कवायद  है कि बहुत जल्द बैतूल कांग्रेस कमेटी के नये  जिलाध्यक्ष  की नियुक्ति होना है और इस आशय को लेकर गत दिवस प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से डीआरओ का बैतूल प्रवास हो चुका है और वे कांग्रेस जिलाध्यक्ष के दावेदारों से मुलाकात कर चुके है ।
इस संदर्भ में मिल रही  खबरो को सही मानें तो पूर्व कैबिनेट मंत्री सुखदेव पांसे कार्यवाहक अध्यक्ष हेमंत  को ही कांग्रेस कमेटी बैतूल के जिलाध्यक्ष बनाना चाह रहे हैं लेकिन बैतूल विधायक निलय डागा कांग्रेस जिलाध्यक्ष के पद पर नारायण सरले सहित अपने अन्य समर्थकों की ताजपोशी चाहते हैं या फिर सुनील शर्मा को ही जिलाध्यक्ष पद पर बने रहने देना चाहते हैं। इस तरह दोनों कांग्रेस के दबंग नेता कांग्रेस जिलाध्यक्ष पद को लेकर आमने-सामने  हो गये है। बरहाल इस संदर्भ में कांग्रेस के जानकारों का यह मानना है कि बैतूल विधायक निलय डागा की सहमति से ही जिलाध्यक्ष की नियुक्ति किया जाना बैतूल जिले मे कांग्रेस की सेहत के लिए उचित रहेगा । गौरतलब है कि निलय डागा के बैतूल जिला मुख्यालय का विधायक होने के कारण जिले भर में उनका प्रभाव होना स्वाभाविक है इस लिहाज से भी कांग्रेस के जिलाध्यक्ष श्री डागा के पसंद  का होना चाहिए। जानकारी के मुताबिक बैतूल आये कांग्रेस के  डीआरओ के सामने जिलाध्यक्ष के लिए कांग्रेस के नारायण सरले के साथ-साथ धीरू शर्मा, लवलेश बप्पा राठौर, हर्षवर्धन धोटे और राहुल पटेल ने अपना अपना बायोडाटा सौंपा है।

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