दैनिक अनोखा तीर, टिमरनी। सावन की रिमझिम फुहारों के बीच स्थानीय सनराइज हायर सेकंडरी स्कूल परिसर आज संगीत की स्वर लहरियों से गूंज रहा था। अवसर था हरदा के सुरसंगम ग्रुप द्वारा प्रति रविवार को आयोजित किए जाने वाले संगीतमय कार्यक्रम के टिमरनी में आयोजन का, जिसमें सभी सदस्यों द्वारा अपनी मन पसन्द प्रस्तुतियां दी जा रही थी। उल्लेखनीय है कि विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले महिला, पुरुषों द्वारा यह सुर संगम ग्रुप बनाया गया है जो व्यवसायिक दृष्टि से नहीं अपितु आत्म संतुष्टि के लिए यह आयोजन रखता है। पुराने चुनिंदा गानों की एकल व युगल प्रस्तुति सब आपस में मिलकर ही देते हैं। निश्चित ही यह अपने आप में अनूठे आनंद की अनुभूति देने वाला आयोजन होता है। चूंकि विज्ञान भी मानता है कि मानव स्वास्थ के लिए संगीत बहुत जरूरी है। संगीत में जादू जैसा असर है। भगवान् श्रीकृष्ण ने अपनी बांसुरी के द्वारा मधुर तान छेड़कर तीनों लोकों को मोह लिया था। पावस की लाजवंती संध्याओं को श्वेत-श्याम मेघ मालाओं से नन्हीं-नन्हीं बूंदों का रिमझिम-रिमझिम राग सुनते ही कोयल कूक उठती हैं, पपीहे गा उठते हैं, मोर नाचने लगते हैं तथा मजीरे बोल उठते हैं। लहलहाते हुए खेतों को देखकर किसान आनंद विभोर हो जाता है और वह अनायास राग अलाप उठता है। जिससे प्रकृति के कण-कण में संगीत की सजीवता विद्यमान होती है। इन चेतनामय घडि़यों में प्रत्येक जीवधारी पर संगीत की मादकता का व्यापक प्रभाव पड़ता है। आज अनायास ही ऐसे आयोजन में शामिल होने का अवसर मिल गया। जिसे देखने सुनने के बाद उसको लेकर कुछ नहीं लिखना बेमानी होगी। ऐसा माना जाता है कि हर किसी शख्स के साथ अपने पसंद के गीत सुनने के दौरान शरीर के संवेदनशील अंगों में हरकतें होती हैं। मन झुमने लगता है। दिमाग में आनंद छा जाता है, कभी किसी धुन पर आंसू तक निकल आते हैं। दरअसल मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं कि संगीत का सेहत से गहरा संबंध है। संगीतकारों का कहना है कि हर राग जीवन से जुडा है और तन मन तो स्वत: रागों में खो जाते हैं। आदि काल से संगीत का सेहत पर पड़ने वाले साकारात्मक पहलू को ही अब संगीत थैरेपी का नाम दे दिया गया है। अब विज्ञान के क्षेत्र में संगीत के सेहत से संबंध पर शोध हो रहे हैं। खैर यह सब तो एक बृहद चर्चा का विषय है लेकिन आज जो अपनत्व भरा संगीत सुना वह किसी व्यवसायिक कलाकारों का नहीं बल्कि मन के संगीतकार की स्वर लहरियों थी। कहा जाता है कि प्रकृति के कण-कण में संगीत का सुर सुनाई देता है। जैसे- सुबह की हवा, चिड़ियों का चहकना और पेड़ों के पत्ते का लहराना, सभी संगीत के रूप में जाने जाते हैं। हम सभी की आत्मा में संगीत बस चुका है, हम खुश रहते हैं तो संगीत, गम में संगीत यानी सुख-दुख का साथी है संगीत जिससे हम कभी नहीं दूर रह सकते। संगीत वही है जिसमें लय हो, इस तर्ज पर कविताएं भी संगीत से कम नहीं होतीं। उनमें लय है, शब्दों के आरोह-अवरोह हैं और गायन भी है। कुल मिलाकर आज मंच का नहीं मन का संगीत सुना। डॉ पराग नाइक , इंजि.अरविंद हर्णे, कार्यक्रम आयोजक आर एस मालवीय, जयकृष्ण चांडक,मनोज तिवारी,मदिक रुनवाल, प्रमोद दुबे, अनुराग चौबे, आनंद नुनिहार आदि ने उत्कृष्ट प्रस्तुति दी। कुमारी अपूर्वा नुनिहार ने भी अपनी स्वर लहरियों से आयोजन में समां बांध दिया। कार्यक्रम में सुनील शर्मा,गोपी चौबे, मुकेश विश्वकर्मा,पलक शर्मा, भारतीय मजदूर संघ के जिलाध्यक्ष जितेंद्र सोनी, सनराइज हायर सेकंडरी स्कूल के संचालक अनिल राजपूत आदि उपस्थित थे।
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