विकास के अभाव में मतदाता सुना रहे खरी खोटी
विकास को मुद्दा बनाकर चुनाव मैदान में मतदाताओं के समक्ष जाने वाली भाजपा को अब विकास के अभाव में ही खरी खोटी सुनना पड़ रही है। बीते ७ वर्षों से लगातार भाजपा की परिषद होने के बावजूद शहर में विकास के नाम पर सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं होने के कारण जनसंपर्क दौरान प्रत्याशियों को मतदाताओं के आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है। संगठन के बलबूते पर चुनावी मैनेजमेंट में माहिर माने जाने वाली भाजपा संगठन के पदाधिकारी ही इस बार खुद चुनाव मैदान में प्रत्याशी बनकर उतर गए है। चुनाव लड़ाने वालों को खुद चुनाव लडऩे के कारण चुनावी रणनीति केवल इन प्रत्याशियों के वार्ड तक ही सिमट कर रह गई है, जिससे कई प्रत्याशी स्वयं को अकेला महसूस कर रहे है।
अनोखा तीर, हरदा। नगरीय निकाय चुनाव में नगरपालिका और नगर पंचायत के अध्यक्ष पद हेतु सीधा निर्वाचन नहीं होने के कारण कई दिग्गज पार्षद चुनाव के लिए मैदान में उतर गए है। हरदा नगर पालिका के लिए सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के संगठन के ही १० से अधिक पदाधिकारी चुनाव लड़ाने के बजाए खुद चुनाव लडऩे में जुटे हुए है। पार्टी द्वारा टिकिट वितरण को लेकर बनाई गई कोर कमेटी के कुछ सदस्यों ने खुद को ही टिकिट देकर उपकृत कर लिया है। शहर के ३५ वार्डों में नजर डाली जाए तो इसमें भाजपा जिला, नगर मंडल, महिला मोर्चा, किसान मोर्चा आदि के पदाधिकारी खुद चुनाव लडऩे में मशगुल है। जिसमें भाजपा जिलाध्यक्ष अमरसिंह मीणा की पत्नी श्रीमती आशा मीणा जो पूर्व में जिला पंचायत अध्यक्ष भी रह चुकी है वह अब वार्ड १६ से पार्षद का चुनाव लड़ रही है। भाजपा महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष श्रीमती अनिता अग्रवाल जो पूर्व की परिषद में वार्ड १३ से पार्षद रही थी वह अब वार्ड बदलकर वार्ड २१ से चुनाव लड़ रही है। भाजपा जिला महामंत्री देवीसिंह सांखला जो पूर्व में स्वयं नगरपालिका अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ चुके वह अब अपनी पत्नी श्रीमती कैलाश सांखला को वार्ड १८ से चुनाव लड़ा रहे है। भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष विनोद गुर्जर स्वयं अपनी पत्नी श्रीमती बिंदु गुर्जर को वार्ड १७ से चुनाव लड़ा रहे है। भाजपा जिला महामंत्री लोकेशराव मराठा स्वयं वार्ड ७ से चुनाव लड़ रहे है, वहीं भाजपा जिला उपाध्यक्ष तथा पूर्व में मार्केटिंग सोसायटी के अध्यक्ष रह चुके राजू कमेडिया अपनी पत्नी श्रीमती भारती कमेडिया जो पूर्व में जिला पंचायत सदस्य रह चुकी है उन्हें अब वार्ड ३४ से पार्षद का चुनाव लड़ा रहे है। भारतीय किसान मोर्चा के नगर मंडल अध्यक्ष मुन्नालाल धनगर स्वयं अपनी पत्नी श्रीमती रक्षा धनगर को वार्ड ०३ से चुनाव लड़ा रहे है। भाजपा जिला कार्यकारिणी सदस्य व नगर मंडल उपाध्यक्ष अशोक राठौर अपनी पत्नी श्रीमती अनिता राठौर को वार्ड ०६ से चुनाव लड़ा रहे है। भाजपा आईटी सेल के संभागीय संयोजक तथा जिला भाजपा मीडिया प्रभारी दीपक नेमा स्वयं वार्ड २० से चुनाव लड़ रहे है। इसी तरह कई अन्य भाजपा अनुसांगिक संगठनों के पदाधिकारी व सदस्य चुनाव मैदान में है। संगठन के इन पदाधिकारियों द्वारा अपनी धर्मपत्नियों को या स्वयं के चुनाव मैदान में उतरने के कारण अन्य वार्ड के वह पार्टी प्रत्याशी जो संगठन के बलबूते पर चुनाव मैदान में उतरा करते थे आज वह स्वयं को अकेला और असहज महसूस कर रहे है।
मुद्दा ही बन गया समस्या
सत्ताधारी दल भाजपा हर चुनाव में अपने विकास को मुद्दा बनाकर चुनाव मैदान में उतरती रही है। लेकिन हरदा नगरपालिका क्षेत्र में भाजपा के लिए यही विकास का मुद्दा समस्या बनकर परेशानी का सबब बना हुआ है। चूंकि बीते 7 सालों से नगरपालिका की कमान भाजपा के हाथों में ही रही है। स्वयं मुख्यमंत्री ने पिछले नगरपालिका चुनाव में नगर की जनता से विकास के वादे करते हुए वोट की अपील की थी। मुख्यमंत्री ने तो भाजपा शासित नगरपालिका बनने पर हरदा को मिनी स्मार्ट सिटी तक बनाने का प्रलोभन दिया था। मुख्यमंत्री की बात पर हरदा की जनता ने ऐतिहासिक जीत के साथ हरदा नगर की सत्ता भाजपा के हवाले कर दी थी। लेकिन बीते 7 वर्षों के कार्यकाल पश्चात आज भाजपा के पास विकास के नाम पर बताने के लिए ऐसे सात काम भी नहीं है जिसके बलबूते पर वह मतदाताओं से उन्हें समर्थन की बात कर सकें। हालात यह है कि वार्ड १६ जहां से वर्तमान में भाजपा जिलाध्यक्ष की पत्नी श्रीमती आशा मीणा चुनाव लड़ रही है इस वार्ड से पूर्व में भाजपा के ही मोहन ठाकुर पार्षद रहे है। जो पांच वर्षों तक मिस्टर इंडिया की तरह जनता की नजरों से ओझल बने रहे। महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष श्रीमती अनिता अग्रवाल बीती परिषद में वार्ड 13 से पार्षद रही। इस वार्ड में सडक़, नाली, पीने के पानी जैसी मूलभूत समस्याएं जैसी कल थी वैसी आज भी बनी हुई है। यहां पूर्व भी टैंकरों से पानी जाता था, आज भी वही हाल है। वर्षों से प्रतिवर्ष बाढ़ की त्रासदी झेलने वाले इस वार्ड में विकास के नाम पर महज दिखावा ही हुआ है। अब यही महोदया अपना वार्ड छोडक़र वार्ड २१ से चुनाव में किस्मत आजमा रही है। वार्ड १७ से जहां वर्तमान में भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष की पत्नी बिंदु विनोद गुर्जर चुनाव लड़ रही है यहां पूर्व में विदेश से शिक्षा प्राप्त कर आए हिमांशु सांवरे पार्षद थे। सर्वाधिक गरीब आबादी वाले इस क्षेत्र के मतदाताओं को जो विकास की दरकार 7 साल पहले थी वही आज भी है। वार्ड क्रं. २५ के मतदाता तो वर्षों से आश्वासनों के सहारे ही बैठे रहे, लेकिन अब उनके सब्र का सेतु भी टूटने लगा है। इस वार्ड के मतदाताओं ने अपने वार्ड में चुनाव बहिष्कार का बोर्ड लगा दिया है। सडक़, नाली, बिजली नहीं तो वोट नहीं। अगर हम शहर के इसी तरह अन्य वार्डों का विश्लेषण करने जाए तो शायद ही ऐसा कोई वार्ड पूरे शहर में मिल पाए जो भाजपा के विकास का मॉडल कहला सके। हम नहीं कहते कि कांग्रेस ने कोई विकास किया हो बल्कि शहर के मतदाताओं ने कांग्रेस को भी एक बार पांच वर्ष के लिए तथा एक बार ढाई वर्ष के लिए नगरीय सत्ता के संचालन का अवसर दिया था, लेकिन विकास की झलक इस दौरान भी देखने को नहीं मिली। बल्कि कांग्रेस तो पांच साल पूरा कार्यकाल भी नहीं कर पाई और अपने ही पार्षदों के विरोध चलते अविश्वास प्रस्ताव के कारण खाली कुर्सी भरी कुर्सी के चुनाव में महज ढाई वर्षों में ही सत्ता गवा बैठी। यहां भाजपा से अपेक्षा भी इसलिए ज्यादा रही कि नगर की सत्ता के साथ ही भाजपा की प्रदेश और देश में सत्ता बरकरार रही है। ऐसी स्थिति में सत्ताधारी दल के नगरपालिका अध्यक्ष से लेकर विधायक, सांसद सब होने के बावजूद अगर नगर विकास से अछूता रहता है तो सवाल तो उठेगा ही। खैर चुनावी मौसम है छापने को तो बहुत कुछ है, लेकिन हम परते खोलकर छापने बैठे तो कहोंगे कि छापता है।

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