ज्ञानवापी

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर क्या है बनारस के लोगों की राय

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ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर वाराणसी जिला जज की अदालत में तारीख़ दर तारीख़ सुनवाइयों का दौर जारी है. इसके अलावा मीडिया और पब्लिक की अपनी अदालतें भी वजूद में है. जहां पर धर्म, आस्था, इतिहास, परंपरा, प्रमाण और संविधान की कसौटी पर तकरीबन 24 घंटे अलग तरह से सुनवाई की जा रही है.

मंदिर था उसे तोड़कर मस्जिद बनायी गयी, मस्जिद में मिली आकृति शिवलिंग है या फव्वारा, 1991 का उपासना स्थल एक्ट, इस्लाम बनाम हिन्दुत्व जैसी तमाम बातें अदालत के बाहर चल रहे इस ट्रायल का हिस्सा है. बीबीसी हिन्दी ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर बनारस के कुछ ख़ास लोगों से बात की और उनसे जानना चाहा कि इस मसले पर उनकी क्या राय है?

इस विवाद पर मशहूर लोगों का मत भी विभाजित ही है. हालांकि कुछ लोग कहते हैं कि ये ग़लतियां इतिहास में हुई हैं और लोकतंत्र का दौर है इसलिए एकजुट रहने की ज़रुरत है.

लोग कह रहे हैं कि मस्जिद की स्थान पर पहले मंदिर था तो कुछ कहते हैं इसे कबीर और तुलसी धार्मिक सौहर्द वाला शहर ही रहने दो.

‘एक्ट’ से ‘फैक्ट’ नहीं बदलते

ज्ञानवापी मस्जिद मामले के साथ ही ‘प्लेसेज़ ऑफ़ वर्शिप एक्ट, 1991 या उपासना स्थल अधिनियम, 1991’ की प्रासंगिकता भी चर्चा का विषय है. जो स्वतंत्रता मिलने तक के वजूद में आए किसी भी धर्म के पूजास्थल की स्थिति में किसी भी तरह का परिवर्तन किये जाने पर रोक लगाता है.

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