सतपुड़ा के मड़ई में टाइगर की संदिग्ध मौत

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-खाली पड़े ऑफिस, बंद फोन और ‘कागजी मॉनिटरिंगÓ का खेल

गणेश पांडे, भोपाल। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के मड़ई स्थित कामती रेंज में एक मेल टाइगर की संदिग्ध मौत ने वन विभाग की फील्ड व्यवस्था की पोल खोल दी है। आधिकारिक बयान में कहा गया कि टाइगर आपसी संघर्ष में मरा, लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट कुछ और कहानी कहती है। दिलचस्प पहलू यह है कि यहां टाइगर की संख्या इतनी नहीं है कि संघर्ष से मौत की स्थिति बने। यह मौत सिर्फ एक टाइगर की नहीं, बल्कि सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की मौजूदा फील्ड मैनेजमेंट की गिरती साख की कहानी भी है। खाली पड़े ऑफिस, बंद फोन, और कागज़ी मॉनिटरिंग वन्यजीव संरक्षण के लिए खतरे की घंटी हैं। फील्ड से मिली जानकारी के अनुसार एफडी का पूरा स्टाफ भी वीआईपी  सदस्यों को टाइगर दिखाने में व्यस्त रहता है।


खाली पड़ा 22 लाख का ऑफिस
रिजर्व का कामती रेंज ऑफिस, जो 22 लाख रुपये की लागत से तैयार हुआ, ज्यादातर समय खाली रहता है। रेंजर पिपरिया से रोज़ अप-डाउन करता है, कामती में स्थायी रूप से नहीं रहता। कई फॉरेस्ट गार्ड अधिकारियों के निजी काम में लगे हुए है, कोई अफसरों के लिए ड्राइविंग कर रहा है, तो कोई चाकरी में।
रोस्टर का पालन नहीं
फील्ड विजिट के लिए जो रोस्टर बना है, उसका पालन ही नहीं होता। रोस्टर डायरी भरी नहीं जाती है। कुछ अफसर भरते भी है तो सच्चाई कोसो दूर रहती है। यही वजह है कि अफसरों की टूर डायरी आरटीआई में नहीं दी जाती है। मुख्यालय और पीसीसीएफ को रिपोर्ट समय पर नहीं भेजी जाती।
फोन पर भी ‘साइलेंट मोडÓ
हमारी टीम ने एफीडी, डीडी और आरओ के सरकारी मोबाइल नंबर पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन सभी नंबर स्विच ऑफ मिले। फ्रंटलाइन स्टाफ ने बताया कि वरिष्ठ अफसरों से निर्देश लेना मुश्किल हो गया है क्योंकि फील्ड में उनकी मौजूदगी नगण्य है। एलके कृष्णमूर्ति और पूजा नांगले के हटने के बाद से, प्रशासनिक पकड़ और कमजोर हो गई है। आजकल फील्ड पर नहीं, लैपटॉप पर नजर स्थानीय सूत्रों के अनुसार, एफडी और एसडीओ की निगरानी ज्यादातर लैपटॉप और ऑनलाइन रिपोर्टिंग तक सीमित है।
मौत के पीछे सवाल
टाइगर की मौत की तारीख -हाल ही में, कामती रेंज
– आधिकारिक कारण -आपसी संघर्ष
– स्थानीय शंका -टाइगर संख्या कम, संघर्ष असंभव जैसा
-जांच की स्थिति-कोई स्पष्ट रिपोर्ट नहीं,  *पोस्टमॉर्टम डिटेल पब्लिक नहीं की गई
विशेषज्ञ की राय
पूर्व पीसीसीएफ (वन्य प्राणी) शाहवाज अहमद ने कहा  फ्रंटलाइन स्टाफ पूरी निष्ठा से काम करता है, लेकिन उन्हें सही नेतृत्व और प्रेरणा चाहिए। फील्ड में सक्रिय वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी ही वन्यजीव संरक्षण का आधार है।
एसटीआर का वक्तव्य जस का तस
12 अगस्त को सुबह समय लगभग सुबह 8.30 बजे पर बीट लगदा में गश्ती के दौरान सुरक्षा श्रमिक को मृत अवस्था में एक नर बाघ दिखाई दिया जिसकी सूचना सुरक्षा श्रमिक के द्वारा तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई। सूचना प्राप्त होते ही परिक्षेत्र सहायक एवं परिक्षेत्र अधिकारी कामती मौका स्थल पर पहुंचे एवं मौका स्थल का निरीक्षण किया गया। बाघ की सूचना प्राप्त होते ही डॉग स्क्वाइड नर्मदापुरम, उपसंचालक सतपुडा टाईगर रिजर्व नर्मदापुरम, वन्यप्राणी चिकित्सक एवं मुख्य वनसंरक्षक नर्मदापुरम मौका स्थल पर पहुंचे, मौका स्थल का निरीक्षण डॉग स्क्वाइड टीम नर्मदापुरम के द्वारा किया गया। निरीक्षण के दौरान किसी प्रकार की कोई अवैध गतिविधियां नहीं पाई गई, बाघ सम्पूर्ण अंगों सहित मृत अवस्था में सुरक्षित पाया गया। वन्यप्राणी चिकित्सक द्वारा बाघ का पोस्टमार्टम किया गया, पोस्टमार्टम के दौरान फॉरेन्सिक जांच हेतु बाघ के अवयव सील बंद किये गये। प्रथम दृष्टया बाघ की मृत्यु अन्य वाघ से आपसी संघर्ष से होना पाई गई। पोस्टमार्टम उपरांत बाघ को समस्त अंगों सहित मुख्य वनसंरक्षक नर्मदापुरम, उपसंचालक सतपुडा टाईगर रिजर्व नर्मदापुरम, वन्यप्राणी चिकित्सक नर्मदापुरम, परिक्षेत्र अधिकारी कामती, तहसीलदार प्रतिनिधि एवं एनटीसीए प्रतिनिधि के समक्ष मृत बाघ का दाह संस्कार किया गया।

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