शिवरात्रि विशेष…
जल चढ़ाने पर शिवलिंग से उत्पन्न होती है ऊं की नाद ध्वनि
शिवरात्रि पर होता है विशेष अभिषेक पूजन, हर मनोकामना होती है पूर्ण
लोकेेश जाट, हरदा। जिला मुख्यालय से १७ किमी दूर स्थित ग्राम गोगिया में १७५ वर्ष पुराना भोलेनाथ का मंदिर है। जहां दूर दराज के हजारों भक्त अपनी मनोकमनाए लेकर भोले के दरबार में प्रर्थना करने आते है। जिन भक्तों की मनोकामना पूरी होती है वह मंदिर में विशेष पूजन, अभिषेक कर नगर भोज कराते है। ऐसा बताया जाता है कि भोले नाथ की गांव पर विशेष कृपा बनी रहती है इसी कारण गांव को भोले की नगरी भी कहा जाता है। मंदिर में स्थित शिवलिंग पर श्रद्धा से जल अर्पित करने पर शिवलिंग से एक ध्वनि निकलती है जिसे भक्तों द्वारा नांद का नाम दिया गया है। लागों का मानना है कि शिवलिंग से नांद की ध्वनि कभी-कभी ही सुनाई देती है। नांद ध्वनि के निकलने से यह मंदिर अपने आप में सिद्ध माना जाता है। मंदिर में कई सिद्ध साधू संत भी पूजा, अर्चना करने गांव पहुंचते है। शिवरात्रि के पावन अवसर पर आसपास के ग्रामीण भी मंदिर में शिवलिंग पर जल चढ़ाने आते है। भोलेनाथ की कृपा गांव पर बनी रहे इसी के लिए मंदिर परिसर में साल में दो बार कन्याभोज भी कराया जाता है। वही ग्रामीणों द्वारा साल भर मदिंर में अभिषेक किया जाता रहता है। ग्र्रामीणों में शिव मंदिर के प्रति विशेष आस्था बनी हुई है, कोई भी शुभ कार्य भगवान भोलेनाथ के दर्शन से ही प्रारंंभ किया जाता है। भोले की नगरी के बाशिंंदे प्रतिमाह शिवरात्रि पर मंदिर को विशेष विद्युत सज्जा से सजाकर एक दिन पहले से ही उत्सव मनना शुरू कर देते है।
रूद्राभिषेक से शीघ्र प्रसन्न होते है शिव
मंदिर के पुजारी पंडित उपेन्द्र दुबे ने बताया कि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हर साल महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 27 फरवरी को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए 26 फरवरी को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। भगवान शिव का रूद्धाभिषेक से शीघ्र प्रसन्न होते है। इस विषेश अभिषेक से ग्रहों से आने वाली समस्याएं पहले ही समाप्त हो जाती है।
मंदिर का इतिहास.. काशी से सिर पर रख कर लाई गई शिवलिंग
रणवीर पटेल
मंदिर में शिवलिंग की स्थापना १७५ वर्ष पूर्व स्वं लक्ष्मण पटेल द्वारा की गई । श्री पटेल के वंशज राधेश्याम पटेल बरड़ और रणवीर पटेल बरड़ ने बताया कि हमारे पूर्वज स्वर्गीय लक्ष्मण पटेल शिवलिंग को काशी से सिर पर रखकर लाए थे। काशी से गांव पहुंचने तक शिवलिंग को निचे नहीं उतारा गया। हरदा तक टे्रन और हरदा से बैलगाड़ी से शिवलिंग लाई गई लेकिन शिवलिंग सिर से निचे नहीं रखी गई। शिवलिंग के बारे में बताते हुए पवन पटेल उन दृश्यों में खो कर चूप ूहो गए। हमारे आगे के बारे में पुछने पर उन्होंने बताया कि स्थापना के दिन से ही भोलेनाथ ने अपनी महिमा दिखाना शुरू कर दी थी। हमारे पिताजी बताते थे कि प्राणप्रतिष्ठा के समय पूजा होने के बाद शिवलिंग का भार इतना बढ़ गया था की शिवलिंग को खिसकाने के लिए दस लोगो की आवश्यकता पड़ी जबकि काशी से इसी शिवलिंग को एक व्यक्ति सिर पर रखकर गांव पहुंचे। प्राणप्रतिष्ठा के बाद से ही जल चढ़ाने पर शिवलिंग से नांद की ध्वनि आने लगी। यह भोलेनाथ की महिमा ही तो है। स्वर्गीय लक्ष्मण पटेल की भोलेनाथ के प्रति भक्ति को देखकर परिवार जनों ने उनकी मृत्यू के पश्चात मंदिर परिसर में श्री पटेल की छत्रि बनवाई।
ऊं नांद ध्वनि चमत्कार से कम नहीं
भक्त शंकर पटेल ने बताया कि मंदिर में स्थित शिवलिंग परा चल चढ़ाने पर उत्पन्न होने वाली ऊं नांद की ध्वनि अपने आप में एक चमत्कार है। मैने स्वयं और अन्य कई भक्तों को नांद ध्वनि सुनाई दी है। जिन भक्तों ने इस नांद ध्वनि को सुना है वह बताते है कि गांव पर भोलेनाथ की विशेष कृपा है। भोलेबाबा अपने भक्तों की भक्ती से प्रसन्न होकर उन्हें नांद सुनाकर अपना आशिर्वाद प्रदान करते है। ऊं नाद की ध्वनि वर्षों से समय समय पर चल चढ़ाने से सुनाई आ रही थी। विगत दो साल से शिवलिंग से उत्पन्न होने वाली यह नांद ध्वनि एक दो बार ही सुनाई दी।
भोलेनाथ मंदिर की यह है मान्यताए
हरिराम पटेल
भक्त हरीराम पटेल ने भोलेनाथ मंदिर की मान्यताए बताते हुए कहा कि यहां मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। मनोकामना पूरी होने पर भक्त मंदिर परिसर में भोजन बनाकर भोले की पूरी नगरी के लोगों को भोजन कराते है। लोगों का मानना है कि जब भी बारिश की कमी होती थी या बारिश की लम्बी खेंच होने और फसल को नुकसान होने लगता था तो मंदिर में स्थित शिवलिंग को २४ घंटों के लिए जलमग्र कर दिया जाता था। जिसमें गोयत गांव स्थित नर्मदा घाट से लाया गया जल भी शामिल किया जाता था। जिसके पश्चात क्षेत्र में अच्छी बारिश होती थी। वही गांव में तेज आंधी, तुफान से गांव में नुकसान की स्थिति बनने पर भोलेनाथ के मंदिर में शंख बजाया जाता था जिससे तेज आंधी और तुफान शंात हो जाया करते है। मंदिर में वर्षों से पूजन करने वाले त्रिपाठी परिवार के ओम त्रिपाठी बताते है कि हमारा परिवार मंदिर में पिढियों से पूजन करता आया है। शिवलिंग से ऊं नांद की ध्वनि निकलना किसी चमत्कार से कम नहीं है। गांव पर भोलेनाथ की विशेष कृपा बनी रहती है। यहां के भक्त मंदिर में अभिषेक, पूजन सहित समय समय पर भंडारा और कन्याभोज का आयोजन करते रहते है। जिन भक्तों की मनोकामना पूरी होती है वह भी नगर भोज कराते रहते है।
Views Today: 12
Total Views: 130