नर्मदा किनारे अवैध ईट भट्ट़ो से पर्यावरण प्रदूषित

लीज पर भूमि लेकर ईट निर्माण के लिए 6 से 8 फीट तक खोद डाले खेत

– निज व राजस्व, अधिनियम की उड़ाई जा रही धज्जियां…

अनोखा तीर, हंडिया। नर्मदांचल क्षेत्र में लम्बे समय से ईट संचालक किसानों की भूमि लीज पर लेकर अवैध ईट भट्ट़ो का कारोबार अपनी पराकाष्टा पर चल रहा है, जिससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा हैं। शासन प्रशासन के तमाम दावे यहां बोने साबित हो रहे हैं। जानकारों की माने तो नर्मदा के किनारे पर कुछ आदिवासियों की भूमि लीज पर लेकर उसकी खुदाई जेसीबी मशीन से की जा रही है। जिससे आने वाले समय में बरसात व नर्मदा नदी की बाढ़ का, पानी आसपास के की कृषि भूमि तथा गांवो को अपनी चपेट में ले लेगा।चोरी छिपे होती है, जेसीबी मशीन से मिट्टी की खुदाईग्रामीणों का कहना है कि ईट भट्ट़ो में ईट निर्माण के लिए जेसीबी मशीन से अवैध खुदाई कर दिन-रात नर्मदा के किनारों का सौंदर्य कुरूप ओर बदनुमा किया जा रहा है और खनिज विभाग राजस्व विभाग कार्रवाई के नाम पर चुप्पी साधे क्यों बैठा है? क्यों उड़ाई जा रही है खनिज नियम राजस्व अधिनियम की धज्जियां। सूत्रों की माने तो हर साल करोड़ों ईटों का बिना परिमशन के निर्माण कार्य होता है। जिससे खनिज कि रायल्टी जो शासन को मिलना चाहिए वह सीधे पर्दे के पीछे से ईट भटटे की दुकान चलवा रहे लोगों की जेब में जा रही है।हरे वृक्षों की बलि, अवैध लकडियों से ईट भट्ट़े हो रहे रोशननर्मदा अंचल के किनारे रोशन हो रहे दर्जनों अवैध ईट भट्ट़ो में ईट पकाने के लिए कुछ किसान खेत के किनारे पर लगे हरे भरे वृक्षों की अवैध कटाई कराकर ईट भटटे को मनमाने दामो में खरीद कर ईट भटटे में उपयोग किया जा रहा है। बताया जाता है कि राजस्व विभाग के नियमों के अनुसार किसानों कि भूमि ढाई फीट से ज्यादा नहीं खोदी जा सकती है। लेकिन सारे नियमों को ईट भट्ट़ो के संचालक खुलेआम साठगांठ करके मिट्टी की खुदाई करवा रहे हैं। बिना परमिशन के करोड़ों ईटों का किया जाता है निर्माण…नर्मदा नदी के किनारे बिना रोक टोक के ईट भट्ट़ो का अवैध कारोबार खुब परवान चढ़ रहा है। बताया जाता है कि मालपौन, गबला, मैदा में किसानों की भूमि खूटनामा लेकर ईट निर्माण के लिए खेत की मिट्टी 5 से 7 फीट खोदी जा रही है। जिससे पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा है। वहीं एनजीटी के नियमों की जा रही है।

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