बुधनी विधानसभा का रण

-बुदनी का तीसरा उप चुनाव

– तीनों में कांगे्रस प्रत्याशी राजकुमार, उप चुनाव का कारण

– शिवराज भाजपा से रमाकांत को बनाया इस बार प्रत्याशी
अनोखा तीर भैरुंदा ।
। इसे बुदनी विधान सभा का मिथक माना जाए या कुछ ओर अभी तक हुए उप चुनावों में कांगे्रस की ओर से जहां राजकुमार पटेल ही प्रत्याशी रहें हैं वहीं भाजपा की ओर से एक बार मोहनलाल शिशिर, एक बार शिवराज तो इस बार रमाकांत भागर्व प्रत्याशी है। मजे की बात तो यह हैं कि तीनों ही उप चुनाव में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की भूमिका हैं ओर चुनाव होने के पीछे कारण भी वहीं रहे है। पिछले दो उप चुनावों पर यदि नजर दौड़ाई जाए तो पहला 1992 व दूसरा 2006 में सम्पन्न हुआ था। इस वर्ष 2024 में तीसरा उप चुनाव 13 नवंबर को सम्पन्न होने जा रहा है।
उपचुनाव की बात की जाए तो वर्ष 1990 में राजनीति का आगाज करते हुए पहला विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर शिवराज सिंह चौहान ने जीता था। वर्ष 1991 में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने विदिशा और लखनऊ सीट से चुनाव लड़ा था। लेकिन उन्होंने विदिशा से इस्तीफा दे दिया था। जिसके चलते यहां पर उपचुनाव की स्थिति निर्मित हुई थी। भाजपा नेतृत्व ने उस समय युवा तुर्क विधायक शिवराज सिंह चौहान को मौका दिया था। विदिशा संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने बुदनी विधानसभा सीट से अपना इस्तीफा दिया था। इस दौरान वह एक वर्ष तक विधायक रहे थे। इस दौरान भाजपा की ओर से स्वर्गीय मोहनलाल शिशिर ने चुनाव लड़ा था। वर्ष 2005 में केंद्रीय नेतृत्व के द्वारा शिवराज सिंह चौहान को दिल्ली से मध्य प्रदेश भेजा गया था। जिसमें विधायक दल के नेता के रूप में उनका नाम आने के बाद वह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। इस दौरान बुधनी विधानसभा सीट से तात्कालिक विधायक राजेंद्र सिंह राजपूत ने अपना इस्तीफा दिया था और उन्होंने शिवराज सिंह चौहान के लिए यह सीट खाली की थी। यह उप चुनाव वर्ष 2006 में हुआ था उस समय शिवराज सिंह चौहान ने बतौर मुख्यमंत्री के रूप में चुनाव लड़ा था। बीते वर्ष नवंबर 2023 में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के दौरान विधायक के रूप में शिवराज सिंह चौहान चुने गए थे। लेकिन पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री का दायित्व नहीं सौपा। वर्ष 2024 में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के दौरान एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान विदिशा से सांसद चुने गए और वह केंद्र में पंचायत एवं ग्रामीण विकास व कृषि मंत्री बने। सांसद होने के नाते शिवराज को विधायक पद से इस्तीफा देना पड़ा । उनके द्वारा सीट खाली किए जाने के बाद लगातार तीसरी बार बुधनी में उपचुनाव के हालात निर्मित हुए हैं। इस बार पार्टी ने रमाकांत भार्गव पर भरोसा जताया है।


तीनों उप चुनाव में कांगे्रस से प्रत्याशी राजकुमार


इसे संयोग ही कहा जाए कि बुदनी विधानसभा क्षेत्र में सम्पन्न हुए दो व आगामी 13 नवंबर को होने वाले उप चुनाव में कांगे्रस की ओर से राजकुमार पटेल ही प्रत्याशी बनाए गए है। लेकिन दोनों ही उप चुनाव में पटेल को हार का सामना करना पड़ा है। 1992 में भाजपा के मोहनलाल शिशिर से 580 व 2006 के दूसरे उप चुनाव में शिवराज सिंह चौहान से 36500 मतों से पटेल को हार का सामना करना पड़ा था। इस बार भी कांग्रेस ने राजकुमार पटेल पर अपना दाव खेला हैं। उप चुनाव के लिए आगामी 13 नवंबर को मतदान होना है। राजकुमार पटेल एक बार बुदनी विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 1993-98 तक विधायक रह चुके हैं, साथ ही उन्हें दिग्विजय सिंह की सरकार में शिक्षा राज्य मंत्री भी बनाया गया था। वहीं 1998 से 2003 तक उनके बड़े भाई देवकुमार पटेल ने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है।


उप चुनाव में भाजपा को अजेय बढ़त, कांग्रेस को जीत का इंतजार
बुदनी में सम्पन्न हुए दो उप चुनाव में भाजपा ने अभी तक अजेय बढ़त हासिल कर रखी है। वहीं कांग्रेस को तीसरे उप चुनाव में जीत का भरोसा है। बुदनी विधानसभा में दोनों उप चुनाव भाजपा शासनकाल में ही सम्पन्न हुए थे ओर तीसरे उप चुनाव के दौरान भी मप्र में भाजपा की सरकार काबिज है। ऐसे में तीनों ही उप चुनाव भाजपा शासनकाल में हुए है। हालांकि कांगे्रस को उप चुनाव में जीत हासिल कर बढ़त को कम करने का इंतजार बना हुआ है। यदि भाजपा इस चुनाव में जीत हासिल करती है तो वह 3-0 की अजेय बढ़त हासिल कर लेगी और यदि कांगे्रस जीतती हैं तो मुकाबला 2-1 होगा। हालांकि कांगे्रस ने एक बार फिर आरोप लगाया हैं कि उप चुनाव में भाजपा ने प्रशासनिक मशीनरी का पूरा दुरुपयोग किया है। इस बार भी कुछ ऐसी ही संभावना होने की आशंका कांगे्रस ने व्यक्त की है।


भाजपा कांग्रेस के साथ सपा भी उप चुनाव मैदान में
पहली बार उप चुनाव में समाजवादी पार्टी की दस्तक हो रही है। अभी तक मुख्य मुकाबला भाजपा और कांगे्रस के बीच ही होता आया है। समाजवादी पार्टी से कांगे्रस के वागी अर्जुन आर्य चुनाव मैदान में अपना नामांकन दाखिल कर चुके है। उप चुनाव में वह कितना दम दिखा पाएंगे यह तो मतगणना के बाद ही साफ हो सकेगा। यदि सपा का प्रत्याशी दमखम के साथ चुनाव मैदान में रहता हैं तो मुकाबला त्रिकोणीय भी हो सकता है।

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