अनोखा तीर, हरदा। शहर के खेड़ीपुरा मोहल्ले में शाम होते ही बच्चों की टोलियां हाथों में टेसू लेकर गली मोहल्लों में मेरा टेसू यहीं अड़ा खाने को मांगे दही बड़ा.. जैसे तुकबंदी से गाए जाने वाले गानों की धूम देखने को मिलेगी। छोटे-छोटे बच्चे घर-घर दस्तक देकर गीत गाते हुए बदले में अनाज व पैसा मांगते हैं। शहर के लोग तो इसे लगभग पूरी तरह भूल ही चुके हैं। लेकिन गांवों मोहल्लों में कुछ हद तक यह परंपरा अभी भी जीवित है। इसका अस्तित्व महाभारत काल से चला आ रहा है, लेकिन आज के समय में धीरे धीरे ये परंपरा विलुप्त होती जा रही है। सदियों पुराने इस रिवाज के अनुसार विजय दशमी के बाद टेसू झुंझियां का विवाह शरद पूर्णिमा की रात को संपन्न कराया जाता है। जहां आज भी टेसू का विवाह बच्चों व युवाओं द्वारा रीति-रिवाज व पूरे उत्साह के साथ कराया जाता है। जो इस बात का प्रतीक है कि अपनी प्राचीन परंपरा को सहेजने में गांव मोहल्ले में आज भी शहरों से कई गुना आगे हैं। हेमंत मोराने ने बताया कि खेड़ीपुरा मोहल्ले में टेसू आया टेसन से रोटी खाया बेसन से जैसे आदि गीतों को गाकर उछलती-कूदती बच्चों की टोली आपको जरूर देखने को मिल जायेगी। हाथों में पुतला और तेल का दीपक लिए यह टोली घर-घर जाकर चंदे के लिए पैसे मांगती है। कोई इन्हें अपने द्वार से खाली हाथ ही लौटा देता है, तो कहीं ये गाने गाकर लोगों का मनोरंजन करते हैं। बुधवार को पूर्णिमा की रात को टेसू-झेंझी का विवाह पूरे उत्साह के साथ बच्चों द्वारा कराया गया।
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