छात्रा की शिकायत पर स्कूल पहुंचे थे अभिभावक
मामला भैरूंदा तहसील के श्यामपुर हाईस्कूल का
भैरूंदा। ग्रामीण अंचलों में शिक्षा का स्तर बेहतर होने के सरकार व शिक्षा विभाग कितने ही दावें करे लेकिन आज भी शिक्षा के स्तर में सुधार नहीं हो पाया है। स्थिति यह हैं कि स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को ही सहीं ज्ञान नहीं हैं, जिससे विद्यार्थियों को सही शिक्षा नहीं मिल पा रही है। इसका ताजा उदाहरण बीते दिवस भैरूंदा तहसील के गांव श्यामपुर के हाईस्कूल में देखने को मिला। जब स्कूल में अध्ययनरत छात्रा की शिकायत पर अभिभावक में पहुंचे और संस्था प्राचार्य को बच्चों को होने वाली परेशानियों से अवगत कराने के बाद वह कक्षा पहुंचे, जहां उनकी मुलाकात कक्षा नवीं की हिंदी की शिक्षिका नेहा से हुई। अभिभावकों ने अतिथि शिक्षिका की परीक्षा ली, जिसमें वह पास नहीं हो सकी ओर हिंदी के रसों के नाम व उनके स्थायी भाव ब्लैक बोर्ड पर सहीं नहीं लिख सकी। इसकी शिकायत भी अभिभावकों ने तत्काल प्राचार्य से की। मौके की नजाकत को देखते हुए अतिथि शिक्षिका ने अभिभावकों से अपनी गलती की माफी मांगते हुए कभी भी इस तरह की गलती नहीं होने की बात कहीं। लेकिन अभिभावकों ने कहा कि बात गलती की नहीं विद्यार्थियों को सहीं और गलत पढ़ाने की हैं। जब आपक खुद शिक्षक ही विद्यार्थियों को शब्दों का सहीं अर्थ नहीं बता पाएंगे तो फिर यह विद्यार्थी आगे बढक़र कैसे सहीं और गलत का फैसला कर सकेंगे।
ज्ञातव्य हैं कि विकासखंड के श्यामपुर हाईस्कूल में त्रैमासिक परीक्षा सम्पन्न होने के बाद शाला में अध्ययनरत कक्षा ९ की छात्रा नंदनी राजपूत ने शाला में व्याप्त समस्याएं घर पहुंचकर अपने परिजनों को बताई। छात्रा ने बताया कि हमारे विद्यालय में शिक्षक समय पर नहीं पहुंचते। स्थिति यह हैं कि संस्था में त्रैमासिक परीक्षा पूर्ण हो चुकी हैं और लेकिन त्रैमासिक परीक्षा का सिलेबस अधूरा हैं। शाला के पंखे खराब हैं, पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है। इसके बाद छात्रा के परिजन हर्षित राजपूत अपने मित्र विजय राजपूत, हुकुम राजपूत व प्रीतम राजपूत के साथ स्कूल पहुंचे। जहां उन्होंने प्राचार्य महेश बांकोरिया से चर्चा कर उन्हें अव्यवस्थाओं से अवगत कराया। प्राचार्य ने अव्यवस्थाओं के संबंध में जल्द ही निराकरण करने का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि शाला में ७ शिक्षकों में 2 स्थायी व ५ अतिथि शिक्षक अध्यापन कराते हैं,जो कि समय पर नहीं आते हैं। इसके लिए उनसे जबाव मांगा गया है।
हिंदी की शिक्षिका नहीं लिख सकी हिंदी में रसो के सहीं नाम व उनके स्थायी भाव
परिजन हर्षित राजपूत ने संस्था की हिंदी की शिक्षिका से ब्लैक बोर्ड पर रसों के नाम व उनके स्थायी भाव लिखने को कहा। लेकिन शिक्षिका द्वारा बोर्ड पर श्रृंगार के स्थान पर श्रंगार, हास्य के स्थान पर हस्य, भयानक के स्थान पर भयनक व हास्य रस का स्थायी हास ना लिखते हुए हंसी लिखा गया। इस पर परिजनों ने शिक्षिकों से कहा कि जब आप खुद ही पूरी तरह से शिक्षित नहीं हैं तो बच्चें कहा से होंगे। इस पर शिक्षिका ने मौके की नजाकत भांपते हुए परिजनों से माफी मांगी और सुधार का आश्वासन दिया।
समय पर नहीं पहुंच रहे शिक्षक, स्कूल में लैब भी नहीं
परिजनों ने स्कूल के विज्ञान शिक्षक से सवाल किया कि विज्ञान की लैब कहां हैं तो शिक्षक ने कहा कि स्कूल में कोई लैब नहीं है। शासन की ओर से मिलने वाली नि:शुल्क पाठ्यपुस्तक के संबंध में जानकारी चाही तो पता चला कि अब तक स्कूल में पूरी पुस्तकें नहीं पहुंची है। इसके लिए भी कई बार पत्राचार किया जा चुका हैं। विज्ञान लैब नहीं होने से ग्रामीण विद्यार्थियों को विज्ञान के संबंध में प्रायौगिक जानकारी नहीं मिल पा रही हैं।
त्रैमासिक परीक्षा सम्पन्न,लेकिन कोर्स अधूरा
विद्यार्थियों की त्रैमासिक परीक्षाएं पूरी हो गई हैं, लेकिन शिक्षकों के समय पर स्कूल ना पहुंचने से कोर्स अध्ूारा पड़ा हैं। शासन स्तर पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के संबंध में आदेश देरी से जारी किये जाने के कारण पहले ही कोर्स दो माह पिछड़ चुका है। ऐसे में कई विद्यार्थी त्रैमासिक परीक्षा के दौरान आये प्रश्नों का सहीं जबाव नहीं लिख पाये हैं। शासन स्तर पर हुई देरी का खामियाजा विद्यार्थियों को ही उठाना पड़ रहा है।
प्राचार्य ने कहा – आगे से ध्यान देंगे
शिक्षकों के देरी से आने पर उन्हें कारण बताओं नोटिस जारी किया जा चुका है। शिक्षिका द्वारा की गई गलती अब दोबारा नहीं होगी, इसके लिए आगे मैं खुद ध्यान दूंगा। वहीं सिलेबस भी जल्द ही पूरा कराया जायेेगा।
महेश बांकोरिया प्राचार्य
जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी
आपके द्वारा उक्त जानकारी दी गई हैं। इस मामले में संबंधित स्टाफ की परीक्षा ली जाएगी, यदि शिक्षक काबिल नहीं हैं तो उन पर जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।
प्रमोद कुमार आश्या बीईओ भैरूंदा