खबरीलाल….
नितेश गोयल
बहुत समय पहले सामाजिक मुद्दों पर एक नाटक की रचना की गई थी, जिसमें पांच अंधे व्यक्ति हाथी के रूप की कल्पना करते है। कोई हाथी के पैर को छूकर उसे भवन का खम्बा बताता है तो कोई उसकी सूंड को अजगर बताता है। कोई पीठ को दीवार, कान को सूपड़ा तो कोई पूंछ को रस्सी बताता है। बीते कुछ दिनों से हरदा में भी अंधों के हाथी के नाटक की तर्ज पर ही रूद्राक्ष की बात कही जा रही थी। हमने भी रूद्राक्ष के सच को जानने के लिए सैकड़ों लोगों से चर्चा की। सभी व्यक्ति वही अंधों के हाथी के नाटक की तरह ही अपने आपको पूरी जानकारी होने की बात कर अलग-अलग व्यक्ति इतने नाम बता रहे थे कि पूरी कॉपी का एक पेज ही भरा जाए, लेकिन जो कह रहे थे वह सब सुनी सुनाई ही कह रहे थे। ना तो किसी के पास इस बात का कोई सबूत था और ना ही कोई महत्वपूर्ण तथ्य। जब हमने इसमें अंदर जाकर थोड़ा सा खोजा तो लगा कि या तो यह ओटला संस्कृति की दिमागी उपज है या नई होटल को इतनी जल्दी ऊंचाई पर आते देख उसकी रेपोटेशन को गिराने की साजिश या यह भी हो सकता है कि कुछ हुआ हो लेकिन लोगों ने उस थोड़े से कुछ को तिल का ताड़ बनाकर इतनी बुरी तरह से प्रस्तुत किया कि कईयों को बदनाम करने में कोई कसर तक नहीं छोड़ी। यदि किसी के पास पुख्ता सबूत है तो उसे स्वयं सामने आकर पुलिस के ऊपर यदि विश्वास नहीं है तो मीडिया के समक्ष ही प्रस्तुत कर सकता है। लेकिन यह गलत है कि गेहूं के साथ घुन को भी पीसा जाए और बेवजह किसी की बदनामी की जाए। गुरुवार को इस मामले में रूद्राक्ष के संचालक तक ने बयान जारी कर एसपी को पूरे मामले की शिकायत की है। उन्होंने कहा कि छवि खराब करने के लिए किसी के द्वारा यह कृत्य किया गया है। इस तरह का कोई घटनाक्रम हुआ ही नहीं है। वहीं एसपी अभिनव चौकसे ने भी इस पूरे मामले को एक झूठी अफवाह बताया। उन्होंने यहां तक कहा कि कोई भी व्यक्ति होटल में जाकर यदि उसके पास पक्का सबूत है तो उस दिन की सीसीटी फुटेज देख सकता है। आरोप लगाने वाले तथ्यों के साथ अपनी बात रखे। उन्होंने कहा कि हरदा छोटा शहर है। व्यापारिक प्रतिस्पर्धा के कारण किसी ने होटल को बदनाम करने के लिए यह षडयंत्र रचा है। जिसके कारण होटल के साथ ही अन्य लोगों की भी बदनामी हो रही है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति झूठी अफवाह फैलाकर हरदा को बदनाम न करें। ऐसा करता कोई व्यक्ति पकड़ाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।