अनोखा तीर, हरदा। आज भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश संगठन द्वारा संगठनात्मक नियुक्ति के तहत हरदा का नया जिलाध्यक्ष घोषित किया गया है। प्रदेश के महामंत्री भगवानदास सबनानी ने सिंगल नियुक्ति आदेश जारी करते हुए हरदा जिलाध्यक्ष पद पर राजेश वर्मा उर्फ काका को मनोनीत किया है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में राजेश वर्मा भाजपा के जिला संगठन में उपाध्यक्ष का दायित्व संभाल रहे थे। विद्यार्थी परिषद से सक्रिय राजनीति में आने वाले श्री वर्मा बैतूल-हरदा लोकसभा क्षेत्र के सांसद प्रतिनिधि भी है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा द्वारा हरदा में नए जिलाध्यक्ष की नियुक्ति किया जाना विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद से ही संभावित थी। चूंकि पिछले तीन बार से लगातार हरदा भाजपा जिलाध्यक्ष की कमान संभालने वाले निवृत्तमान जिलाध्यक्ष अमर सिंह मीणा की जहां भाजपा के कद्दावर नेता एवं पूर्व कृषि मंत्री कमल पटेल से पिछले नगरपालिका चुनाव दौरान से ही पटरी नहीं बैठ रही थी, तो वहीं हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव दौरान भी श्री मीणा पर भीतरघात के आरोप लगे थे। पार्टी सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि विधानसभा चुनाव दौरान जिलाध्यक्ष अमर सिंह मीणा ने भाजपा प्रत्याशी कमल पटेल को हराने के लिए कांग्रेस से अंदरूनी सांठगांठ कर ली थी। जिसके चलते कांग्रेस प्रत्याशी से भाजपा पदाधिकारियों को आर्थिक सहयोग प्रदान कराते हुए कांग्रेस के पक्ष में मतदान कराने जैसे आरोपों की एक रिकार्डिंग भी प्रदेश संगठन के पास पहुंचाई जाना बताया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार जो रिकार्डिंग सीडी भाजपा प्रदेश संगठन को प्रदान की गई है उसमें कांग्रेस नेता से भाजपा प्रत्याशी के विरूद्ध मतदान कराने के लिए अपने समर्थित कार्यकर्ताओं से लेनदेन की बात सामने आई है। उल्लेखनीय है कि निवृत्तमान जिलाध्यक्ष अमर सिंह मीणा पूर्व में भाजपा नेता कमल पटेल के ही कट्टर समर्थक माने जाते थे। उन्हीं के सहयोग से वह लगातार तीन बार जिलाध्यक्ष के पद पर भी बने रहे। परंतु पिछले हरदा नगरपालिका चुनाव दौरान जिलाध्यक्ष श्री मीणा अपनी पत्नी श्रीमती आशा मीणा को नगरपालिका अध्यक्ष बनाने की जुगत में लगे हुए थे। वहीं हरदा के पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष सुरेन्द्र जैन के अध्यक्षीय कार्यकाल में भाजपा जिलाध्यक्ष अमर सिंह मीणा और सुरेन्द्र जैन की घनिष्टता और निकटता बढऩे के साथ भाजपा नेता कमल पटेल के विरूद्ध तानेबाने बुनने की खबरे यदा-कदा सुर्खियों में बनी रहती थी। चूंकि वर्ष २०१८ के विधानसभा चुनाव में नपाध्यक्ष सुरेन्द्र जैन पर भी भाजपा प्रत्याशी कमल पटेल के विरूद्ध कार्य करने का आरोप लगा था। जिसके चलते कभी निकटतम घनिष्ट मित्र रहे कमल पटेल और सुरेन्द्र जैन के बीच मतभेद की खाई बढऩे लगी थी। हालात यह रहे कि पिछले विधानसभा चुनाव दौरान सुरेन्द्र जैन ने खुलकर हरदा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा से अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर दी थी। भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य रहते हुए ही श्री जैन ने कृषि मंत्री कमल पटेल के विरूद्ध खुलकर बगावत का बिगुल फूंक दिया था। इस दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष अमर सिंह मीणा और सुरेन्द्र जैन की पटरी काफी अच्छी बैठ रही थी। वहीं भाजपा जिलाध्यक्ष अमर सिंह मीणा ने भी हरदा विधानसभा क्षेत्र से अपनी दावेदारी प्रस्तुत की थी। यह पहला अवसर था जब संगठन के जिलाध्यक्ष ने ही पार्टी के नेता, प्रदेश सरकार के मंत्री और विधायक के विरूद्ध सीधे तौर पर अपनी दावेदारी प्रस्तुत की थी। इस घटनाक्रम से कमल पटेल और जिलाध्यक्ष अमरसिंह मीणा तथा सुरेन्द्र जैन के बीच पार्टी में ही रहते हुए मतभेद की खाई इतनी गहरी हो गई कि सुरेन्द्र जैन ने भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। वहीं दूसरी ओर जिलाध्यक्ष पद पर रहते हुए अमरसिंह मीणा ने संगठनात्मक दृष्टि से इस विधानसभा चुनाव में कमल पटेल से दूरी बना रखी थी। चुनाव के चलते ऐसे कई अवसर आए जब भाजपा प्रत्याशी कमल पटेल और जिलाध्यक्ष अमरसिंह मीणा के मतभेदों का असर प्रचार अभियान दौरान कार्यकर्ताओं में देखने को मिला। सीधे तौर पर देखा जाए तो बीते विधानसभा चुनाव दौरान भाजपा का संगठन अपनी बहुप्रचलित चुनावी रणनीति के तहत मैदान में कहीं नजर नहीं आया। चुनाव उपरांत भाजपा प्रत्याशी कमल पटेल ने खुले तौर पर जिलाध्यक्ष द्वारा भीतरघात किए जाने का आरोप भी लगाया था। जो कि सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना रहा। इसी दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष की कांग्रेस से सांठगांठ संबंधी एक सीडी प्रदेश भाजपा संगठन के पास पहुंची थी, जिसमें जिलाध्यक्ष द्वारा कांग्रेस से की गई चर्चा और पार्टी के प्रति भीतरघात का आरोप सिद्ध करने जैसे प्रमाण स्पष्ट सुनाई देते थे। संगठन की खींचतान और चुनाव दौरान सुस्पष्ट रणनीति का परिणाम चुनाव दौरान देखने को मिला। जिसके चलते हरदा जिले की दोनों विधानसभा सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को पराजय का सामना करना पड़ा। इन तमाम हालातों को देखते हुए चुनाव परिणाम उपरांत ही यह कयास लगाए जाने लगे थे कि भाजपा का प्रदेश संगठन हरदा जिलाध्यक्ष को निष्कासित कर सकते है या हटाकर नया जिलाध्यक्ष मनोनीत कर सकते है। आज भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने हरदा भाजपा जिलाध्यक्ष पद पर राजेश वर्मा उर्फ काका की नियुक्ति कर इन कयासों पर तो विराम लगा दिया है, लेकिन निवृत्तमान जिलाध्यक्ष अमरसिंह मीणा की कथित सीडी और लगे भीतरघात के आरोपों का मामला अभी भी संगठन के पास विचाराधीन है।
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