यशवंत क्लब का मामला, करीब 90 साल पुराने क्लब की प्रतिष्ठा प्रभावित होने से सदस्यों में नाराजगी

 इंदौर। स्वतंत्रता के पहले से शहर और प्रदेश के श्रेष्ठी वर्ग की प्रतिनिधि संस्था रही इंदौर का यशवंत क्लब इन दिनों नकारात्मक कारणों से सुर्खियों में हैं। क्लब की ऐतिहासिक सफेद इमारत पर इन दिनों बार-बार विवादों के छींटे पड़ रहे हैं। यहां पारिवारिक माहौल में पीढ़ियां बिता चुके सदस्य आंतरिक राजनीति के इस कुरूप चेहरे को देखकर दुखी हैं। वरिष्ठ सदस्य चाहते हैं कि कथित सत्ता संघर्ष और आपसी खींचतान क्लब की प्रतिष्ठा की कीमत पर नहीं होना चाहिए।

यशवंत क्लब की स्थापना वर्ष 1934 में इंदौर के महाराजा सर तुकोजीराव तृतीय ने अपने पुत्र यशवंत राव होलकर की खेलों के प्रति रुचि के कारण करवाई थी। भारतीय क्रिकेट टीम के पहले कप्तान कर्नल सीके नायडू भी क्लब के अध्यक्ष रह चुके हैं। तब से अब तक शहर और प्रदेश के अभिजात्यवर्ग का क्लब से जुड़ाव रहा है। नई कार्यकारिणी ने करीब दो दशक से बंद नई सदस्यता को पुन: प्रारंभ करने की पहल की। तर्क था कि क्लब के विकास कार्यों के लिए पूंजी जुटेगी।

उद्देश्य सकारात्मक था, एजीएम और ईओजीएम जैसी प्रक्रिया से क्लब सदस्यों की रजामंदी भी ली गई। मगर मामला कानूनी पेचीदगियों में उलझा है। क्लब के वरिष्ठ सदस्यों के बीच यह मामला चर्चा में है। सदस्य चाहते हैं कि परिवार की बातें परिवार में ही तय हों। पहले भी क्लब में विवाद हुए हैं, लेकिन कतिपय निजी महत्वकांक्षाओं से क्लब की प्रतिष्ठा प्रभावित करने के प्रयास नहीं हुए।

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