‘भारत रत्न’ देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। किसी क्षेत्र में असाधारण सेवा या प्रदर्शन के लिए इससे नवाज़ा जाता है। राजनीति, कला, साहित्य, समाजसेवा, विज्ञान, खेल आदि विधा में उत्कृष्ट होने पर भारत रत्न से सम्मानित किया जाता है। 2 जनवरी, 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद द्वारा इस सम्मान को देने की शुरुआत की गई थी। तबसे लेकर अब तक अनेक हस्तियों को उनके विशेष योगदान के लिए भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है।
भारत रत्न की मांग को लेकर लिखा पत्र
लेकिन क्या किसी को ‘भारत रत्न’ इसलिए मिल सकता है क्योंकि उसे तपस्या के बाद इस बात का भान हुआ हो। या क्या कोई व्यक्ति इसकी डिमांड कर सकता है ? ये प्रश्न थोड़ा अजीबोगरीब लग सकता है लेकिन हाल ही में एक ऐसा पत्र सामने आया है, जिसे पढ़ने के बाद एकबारगी आपकी भी हंसी छूट जाएगी। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में रहने वाले विनोद कुमार गौड़ ने वहां के आयुक्त को इस बाबत एक पत्र लिखा है, जिसमें खुद को भारत रत्न देने की मांग की गई है।
सोशल मीडिया पर पत्र वायरल
इस पत्र में प्रार्थी ने विषय में लिखा है ‘भारत रत्न से सम्मानित होने के संबंध में प्रार्थना पत्र।’ पत्र का मसौदा कुछ यूं है, इसमें लिखा गया है कि “तीस सितंबर को संध्या वंदन से पूर्व मैं बैठकर तपस्या कर रहा था कि अचानक मेरे अंत:करण से मुझे भारत रत्न चाहिए, मुझे भारत रत्न चाहिए की आवाज बहुत तीव्र गति से उत्पन्न होने लगी। अत: आप श्रीमान जी से निवेदन है कि प्रार्थी की समस्त मनोकामना पूर्ण व भारत रत्न से सम्मानित करने की कृपा करें।’ खास बात ये है कि इस पत्र को गोरखपुर जिलाधिकारी, तहसीलदार, मुख्य विकास अधिकारी, जॉइंट मजिस्ट्रेट सदर सहित अपर आयुक्त की संस्तुति भी मिल चुकी है। पत्र पर इन अधिकारियों के दस्तखत और सील लगी है। बहरहाल, ये पत्र अपने आप में एक नमूना है और सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रहा है। हालांकि पत्र लिखने वाले व्यक्ति को अंत:करण की आवाज पर भारत रत्न मिलने से तो रहा, लेकिन इसके बाद वो मशहूर जरुर हो गया है।