भाजपा और कांग्रेस पर ही बरसा मतदाताओं का स्नेह, अन्य पार्टियां रहीं खाली

इंदौर। विधानसभा चुनाव के परिणाम ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जिले में भाजपा-कांग्रेस के अलावा किसी अन्य राजनीतिक दल का कोई अस्तित्व नहीं है। इस विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी हो या बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी हो या आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल कोई भी पार्टी मतदाताओं को रिझाना तो दूर, उनकी तरफ देखने तक के लिए मजबूर तक नहीं कर सकीं।

यही वजह रही कि जिले की नौ विधानसभा सीटो के लिए मैदान में उतरे 92 प्रत्याशियों में से सिर्फ 20 को ही जनता ने भरपूर मतरूपी आशीर्वाद दिया। शेष प्रत्याशियों की हालत इसी से समझी जा सकती है कि वे सब मिलकर भी 55 हजार मत नहीं पा सके। इस बार जिले की नौ विधानसभा सीटों पर अल्पसंख्यक वर्ग के 10 प्रत्याशियों ने भाग्य आजमाया था, लेकिन ये सभी दस मिलकर बमुश्किल चार हजार मत हासिल कर सके।

दो बागियों के अलावा सिर्फ दो अन्य प्रत्याशी हासिल कर सके 5 हजार से ज्यादा मत
जिले में इस बार 92 प्रत्याशी मैदान में थे। इनमें भाजपा, कांग्रेस के 18 प्रत्याशियों को हटा दें तो दो बागी प्रत्याशी भी निर्दलीय के रूप में मैदान में थे। महू विधानसभा सीट पर कांग्रेस के बागी अंतरसिंह दरबार और देपालपुर में भाजपा से बगावत कर राजेंद्र चौधरी ने मैदान संभाला था।
इन दोनों को तो जनता का आशीर्वाद मत के रूप में मिला, लेकिन शेष निर्दलीय दम नहीं भर सके। महू विधानसभा सीट से प्रदीप मावी ने जरूर 11394 मत हासिल कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इसी तरह सांवेर विधानसभा सीट से विनोद यादव आम्बेडकर ने आजाद समाज पार्टी कांशीराम के रूप में मैदान में उतर कर 7314 मत हासिल किए।
10 अल्पसंख्यक प्रत्याशी थे मैदान में, सिर्फ एक को मिले एक हजार से ज्यादा मत
जिले की 9 विधानसभा सीटों पर इस बार 10 अल्पसंख्यक वर्ग के प्रत्याशियों ने भाग्य आजमाया था। इनमें से सिर्फ एक को एक हजार से ज्यादा मत मिले। शेष 9 मिलकर ढाई हजार मत ही प्राप्त कर सके। सबसे ज्यादा अल्पसंख्यक प्रत्याशी विधानसभा क्षेत्र इंदौर-पांच में थे। वहां मैदान में उतरे 6 अल्पसंख्यक वर्ग के प्रत्याशियों को कुल मिलाकर 2072 मत मिले।
भाजपा, कांग्रेस के अलावा ये भी थे मैदान में
भाजपा और कांग्रेस के अलावा इस विधानसभा चुनाव में इंदौर की विधानसभा सीटों पर बहुजन समाज पार्टी, बहुजन मुक्ति पार्टी, आम आदमी पार्टी, आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर आफ इंडिया, जनसंघ पार्टी, रिपब्लिक पार्टी आफ इंडिया आजाद समाज पार्टी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया, कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया, पीपुल्स पार्टी आफ इंडिया ने अपने-अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे, लेकिन इनमें से कोई भी जमानत नहीं बचा सका।

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