आज सुबह मुख्यमंत्रीजी ने अपने निवास से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से चर्चा करते हुए फिर भ्रष्ट अधिकारियों को सेवा से बाहर करने की बात कही। भ्रष्टाचारियों के खिलाफ मुख्यमंत्री की यह पहली चेतावनी नहीं है। इससे पहले भी वे कई बार समीक्षा बैठकों और सार्वजनिक मंचों से भी ऐसी चेतावनियां दे चुके है। यहां तक की भ्रष्टाचारियों को उल्टा लटकाने तक की बात कह चुके है। लेकिन साहब भ्रष्ट अधिकारियों को उल्टा लटकाना या सेवा से बाहर करना तो दूर की बात है बल्कि आपके अधिकारी तो भ्रष्टाचारियों को उल्टा प्रश्रय दे रहे है। आप बर्खास्त करने की बोल रहे है और आपके अधिकारी प्रमाणित भ्रष्टाचार में बर्खास्त हो चुके अधिकारी को बहाल करते हुए आपके आदेशों का ही माखौल उड़ाने से नहीं चूके रहे। सीएम साहब अब ऐसी नौकरशाही के लिए आपको फूलों जैसा नहीं बल्कि शूलों जैसा और वज्र जैसा कठोर बनना पड़ेगा। बात थोड़ी कड़वी जरुर कह रहा हूं, लेकिन प्रमाणित उदाहरण से आपका ध्यान आकर्षित करा रहा हूं। अगर एक भी ऐसे अधिकारी पर आपने कार्रवाई करते हुए कथनी और करनी का उदाहरण प्रस्तुत कर दिया तो आप मानिए आपकी चेतावनी का सार्थक परिणाम दिखाई देने लगेगा।
अनोखा तीर, हरदा। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नीति और नियत पर हमें कतई संदेह नहीं है। नि:संकोच शिवराज जी प्रदेश की जनता के हितार्थ सोचते भी है और कार्य करने का प्रयास भी करते है। लेकिन उनकी भ्रष्ट अफसरशाही सरकार पर इतनी हावी हो चुकी है कि मुख्यमंत्री की घोषणाओं और चेतावनियों का कोई असर उन पर दिखाई नहीं देता। आपने भ्रष्ट अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त करने की बात कही। मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि किस तरह आपके अधिकारियों ने भ्रष्टाचार में प्रमाणित जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक नर्मदापुरम् हरदा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आरके दुबे को बर्खास्त होने के बाद वापस सेवा में ले लिया। बैंक जैसी संस्था में 28 करोड़ रुपए के कर्जमाफी के फर्जी क्लेम तैयार करने पर ईओडब्ल्यू में 26 दिसंबर 2011 को प्रकरण क्रं. 38/11 दर्ज होने उपरांत अपेक्स बैंक ने 31 मार्च 2012 को आरके दुबे की सेवाएं समाप्त कर दी थी। इस अधिकारी ने अपनी अपेक्स बैंक से सेवा से बर्खास्तगी के पूर्व ही कूटरचित दस्तावेजों के सहारे स्वयं को जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक होशंगाबाद का कर्मचारी नियुक्त करा लिया। इस दौरान इन्हीं के कार्यकाल में बैंक की हरदा शाखा से 2 करोड़ 77 लाख रुपए का नकद गबन मामला हुआ। जिसमें अपराध क्रं. 1/2015 में आरके दुबे को आरोपी बनाकर जेल भेजा गया। जेल से बाहर आने के बाद आरके दुबे ने अपना निलंबन समाप्त कराकर पुन: उसी बैंक में मुख्य कार्यपालन अधिकारी बन गए। इस बीच न्यायालय ने उनके रीवा पदस्थापना दौरान बैंक में हुए 36 करोड़ के गबन घोटाले में आरके दुबे को दोषी करार देते हुए विभाग को कार्रवाई करने के निर्देश दिए। परंतु कई स्तरों पर हुई जांचों में दोष प्रमाणित होने के बावजूद आरके दुबे के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई। एक भ्रष्ट अधिकारी जो भ्रष्टाचार के कारण बर्खास्त हो गए थे उन्हें उसी अपेक्स बैंक में 2 नवंबर 2011 को पुन: बहाल करते हुए अपेक्स बैंक में संविलियन कर शीर्ष बैंक केडर अधिकारी का दर्जा देकर उसी जिला सहकारी बैंक नर्मदापुरम् में मुख्य कार्यपालन अधिकारी का दायित्व सौंप दिया, जहां वे पहले से ही पदस्थ थे। अब बतौर अपेक्स बैंक के शीर्ष केडर अधिकारी के नर्मदापुरम् में सेवाएं देने दौरान कलेक्टर के आदेशों की अवहेलना तथा कार्य के प्रति लापरवाही बरतने पर कलेक्टर के विभागीय पद और कमिश्नर के आदेश उपरांत निलंबित कर दिया गया। अपेक्स बैंक ने आदेश क्रं. 818 दिनांक 18 जुलाई 2022 को आरके दुबे को निलंबित कर मुख्यालय ग्वालियर निर्धारित किया। लेकिन आरके दुबे ने निलंबन के बावजूद किसी को प्रभार नहीं सौंपा। लंबी जद्दोजहद के बाद 27 जुलाई को अपेक्स बैंक ने राजकुमार गंगेले को उनके स्थान पर पदस्थ कर उन्हें भारमुक्त किया। लेकिन मात्र 21 दिनों बाद ही अपेक्स बैंक ने ही आदेश क्रं. 1074 दिनांक 18.08.2022 को बगैर किसी जांच और आधार के निलंबन से बहाल करते हुए वापस जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक नर्मदापुरम् भेज दिया गया। यहां उल्लेखनीय पहलू यह भी है कि प्रधान कार्यालय ने अपने बहाली आदेश में स्वयं उल्लेखित किया है कि आरके दुबे का कार्य संतोषजनक नहीं पाए जाने एवं लगातार निर्देशों की अवहेलना करने और लापरवाही बरतने के गंभीर कृत्यों के लिए निलंबित किया गया था। परंतु वर्तमान में केडर अधिकारियों की अत्यंत कमी को दृष्टिगत रखते हुए आरके दुबे केडर अधिकारी श्रेणी-1 को निलंबन से बहाल कर जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित होशंगाबाद में पदस्थ किया जाता है। उनके विरूद्ध विभागीय कार्रवाई प्रचलित रखी जाएगी। अब साहब जिस अधिकारी पर करोड़ों रुपए के प्रमाणित भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध हो चुके हो, विभागीय जांचों के साथ ही न्यायालय तक ने उन्हें दोषी करार दिया हो, ऐसे अधिकारी को बर्खास्त करने के बाद बहाल करने की क्या मजबूरी थी? किसी न्यायालय ने तो उनकी बहाली के आदेश पारित नहीं किए थे। वह आरोपों से दोषमुक्त भी नहीं हुए। आरोप भी लाख दो लाख या करोड़ दो करोड़ के नहीं बल्कि कई करोड़ों के लग चुके है। फिर ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को अपेक्स बैंक द्वारा बहाल करने और फिर निलंबित कर महज कुछ ही दिनों में बहाल करने जैसे कृत्य क्या आपकी घोषणा और निर्देशों की सरासर अवहेलना नहीं है? क्या आपके आदेशों पर इसी तरह भ्रष्ट अधिकारियों को आपके अधीनस्थ अधिकारी प्रश्रय देकर आपकी ही बात का माखौल नहीं उड़ा रहे?
गांधी छाप के सामने नतमस्तक हैं अफसर-मंत्री
गांधी की धमक तो ब्रिटिश साम्राज्य में भी कायम थी। तो फिर आज भला कैसे कम हो सकती है। तब गांधी स्वयं थे, आज उनकी तस्वीर वह कमाल कर रही है कि उसके सामने क्या अफसर और क्या मंत्री सब नतमस्तक है। वरना क्या कारण है कि जिस भ्रष्ट बैंक अधिकारी को तात्कालीन सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने अपने होशंगाबाद प्रवास दौरान सार्वजनिक मंच से हटाए जाने की घोषणा की। लेकिन वह अपने मंत्री रहते हुए उसे नहीं हटा पाए। विधानसभा सदन में सहकारिता मंत्री गोपाल भार्गव ने भाजपा विधायक कमल पटेल के ही सवाल पर हटाया जाकर जांच कराने का आश्वासन दिया था। लेकिन गोपाल भार्गव भी सहकारिता मंत्री रहते हुए उन्हें नहीं हटा पाए। आज वहीं भाजपा विधायक कमल पटेल जिन्होंने विधानसभा में आरके दुबे को भ्रष्टाचारी करार देते हुए कार्रवाई की मांग की थी वह मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री है, लेकिन आरके दुबे आज भी उसी जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक नर्मदापुरम् में पदस्थ है। मुख्यमंत्रीजी आप स्वयं मंथन कीजिए कि आखिर इतने भ्रष्ट अधिकारी को आपके मंत्री और अफसर अभी तक सेवा से बाहर का रास्ता क्यों नहीं दिखा पाए? जब बैंक जैसी संस्था में इतने भ्रष्टाचार के बावजूद एक अधिकारी सब पर भारी पड़ रहा है तो प्रदेश में भ्रष्टाचार की स्थिति का स्वत: ही आंकलन हो जाएगा। आज सुबह-सुबह ही आपकी बातें सुनकर भला भला सा तो लगा था, लेकिन शाम होते होते ख्याल आया आपको इस मुद्दे से अवगत करा दूं। हो सकता है मेरी बात बुरी-बुरी सी लगे।
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