शासकीय किताबे बेचने के मामले में जांच प्रतिवेदन के बाद देरी क्यों ? 

विकास पवार बड़वाह – नगर के शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के  शिक्षक सुधीर राठौड़ द्वारा 28 जुलाई गुरुवार शाम करीब 4  बजे स्कूल कक्ष में रखी शासकीय किताबो को रद्दी में बेचने का मामला प्रतिनिधि द्वारा उजागर  किया था ।तब प्रतिनिधि ने अखबार के माध्यम से शिक्षक के इस कारनामे की ओर शिक्षा विभाग के स्थानीय एवं जिले के वरिष्ठ अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करवाया था ।जिसका नतीजा बीईओ सुदामा सोलंकी द्वारा कार्यवाही के रूप में देखने को मिला ।लेकिन जहा छोटे अधिकारी ने पूरी ईमानदारी से इस जांच को करने के साथ जांच प्रतिवेदन अपने जिला शिक्षा अधिकारी के.के डोंगरे तक पहुचाया ।वही सुर्खियों में रहने वाले शिक्षा विभाग के डीईओ के.के डोंगरे ने इस कार्यवाही को आखरी अंजाम देने में अभी तक अपनी रुचि नहीं दिखाई ।जिससे ऐसा प्रतीत होता है की शासकीय किताबे बैचने के मामले से जुड़े शिक्षक सुधीर राठौड़ ने जिला अधिकारी को भी खुश करने के प्रयास जारी रखे है ।जिसके चलते आज इतने दिन बीत जाने के बाद भी शिक्षक राठौर पर कार्यवाही को लेकर जिला अधिकारी की कृपा बनी हुई है ।
डीईओ डोंगरे ने कलेक्टर को भी किया गुमराह
शिक्षा विभाग बड़वाह में कार्यरत कुछ अधिकारी और कर्मचारियों से ज्ञात हुआ था । की इस मामले को गभीरता से लेते हुए,जिला कलेक्टर श्री कुमार पुरुषोत्तम ने एक बैठक के दौरान डीईओ डोंगरे से शासकीय किताबे बैचने के मामले की कार्यवाही को लेकर जवाब तलब किया था। लेकिन इस दौरान श्री डोंगरे ने जल्द कार्यवाही करने की बात कहकर उन्हे आज तक गुमराह किया हुआ है ।जबकि इस सूचना मिलने के बाद प्रतिनिधि ने स्वयं दूरभाष पर कार्यवाही को लेकर श्री डोंगरे से चर्चा की थी ।तब भी श्री डोंगरे ने दो दिन में कार्यवाही का हवाला देकर पत्र भेजने की बात कही थी ।जिसके बाद श्री डोंगरे द्वारा प्रतिनिधि का फोन रिसिव करना भी उचित नहीं समझा ।जिससे प्रतीत होता है की श्री डोंगरे अपने शिक्षक राठौर को किसी भी हाल में इस कार्यवाही से बचाने के भरपूर प्रयास कर रहे है ।
बीईओ ने ईमानदारी से भेजा जिले पर जांच प्रतिवेदन,फिर कार्यवाही में देरी क्यों
 एक अगस्त दोपहर करीब 2 बजे बीईओ श्री सुदामा ने स्कूल जाकर जांच शुरू की थी। जहा श्री सोलंकी ने सभी बिकने वाली किताबो का निरीक्षण कर वर्ष वार अपने पत्र में अंकित किया ।जिसके बाद उन्होंने इस मामले से जुड़े हर पांइट पर   शिक्षक सुधीर राठौड़ से सवाल जवाब किए थे ।लेकिन सवाल जवाब में भी श्री राठौड़ ने श्री सुदामा को गुमराह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी ।जिसके बाद
 बीईओ श्री सोलंकी 4 अगस्त दोपहर करीब 12 बजे पुनः जांच अनुसार शासन और कमेटी का पत्र लेने शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पहुंचे । तो शिक्षक श्री राठौड़ ने शासन से मिला पत्र श्री सोलंकी को उपलब्ध करवाया ।जो 20 दिसंबर 2016 का होना पाया गया था।लेकिन इस पत्र में कही भी शासकीय किताबो को बेचने का उल्लेख नही पाया गया ।जबकि इस पत्र में केवल विद्यालय परिसर कक्ष में रखे पुराने टूटे फर्नीचर को मरम्मत करवाने और अन्य अनुपयोगी सामग्री को कक्ष से हटाकर कक्ष खाली करने की बात लिखी गई थी ।वही जब श्री सोलंकी ने कमेटी सदस्यो के नाम लिखा पत्र मांगा । तो श्री राठौड़ ने पत्र गुम होने की बात कही ।
इनका कहना है
हमारे द्वारा जिला अधिकारी के निर्देश अनुसार शासकीय किताबे बेचने के मामले में पूरी जांच कर प्रतिवेदन जिला अधिकारी को भेजा है ।लेकिन कार्यवाही को लेकर अभी कोई लेटर मुझे प्राप्त नही हुआ है ।
-बीईओ सुदामा सोलंकी

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