प्रहलाद शर्मा
आज मध्यप्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के भाषण को लेकर फिर एक बखेड़ा खड़ा हो गया। अभी मध्यप्रदेश के ही मंत्री विजय शाह की बदजुबानी को लेकर भाजपा और उसकी सरकार दोनों की ही फजीहत हो रही थी कि एक और नया विवाद आ गया। बहरहाल इसमें कोई दोराय नहीं है कि उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा एक धीर-गंभीर विवादित बयानों से दूर रहने वाले नेता के तौर पर देखें जाते हैं। उनके राजनीतिक जीवनकाल में बड़बोलापन या बदजुबानी जैसा कभी ऐसा कोई मामला देखने को नहीं मिला है। ठीक इसी तरह आज का विषय भी महज देखने सुनने के नजरिए का फर्क और विडियो देखने वाले का दृष्टिकोण या दृष्टिदोष से खड़ा हुआ बखेड़ा मात्र है। हमने पिछले दिनों भारत पाकिस्तान के बीच तनाव और अघोषित युद्ध दौरान भी सोशल मीडिया तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ऐसे अनेक खबरचियों को खबर परोसते देखा है जो कौवा कान ले गया वाली कहावत को चरितार्थ करते नजर आए। इस दौरान राजधानी के ही हमारे वरिष्ठ पत्रकार साथी राजेश बादल ने अपने एक लेख के माध्यम से यह मुद्दा उठाया भी था कि इस समय रिपोर्टिंग के लिए कैसे एहतियात बरतने की आवश्यकता है। बहरहाल मुझे तो लगता है कि केवल युद्ध के समय ही नहीं बल्कि मीडिया के साथियों को हर समय एहतियात बरतने की जरूरत होती है। चूंकि वह एक बड़े जनसमूह का प्रतिनिधित्व भी करता है और उसे प्रभावित भी करता है। टीआरपी के चक्कर में आजकल ऐसी ऐसी बेबुनियादी खबरें परोस दी जाती है जिसका हकीकत से कोई वास्ता ही नहीं होता है। आज अगर उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के भाषण को गौर से देखा सुना जाता तो यह बखेड़ा ही खड़ा नहीं होता। उपमुख्यमंत्री देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पाकिस्तान के विरुद्ध सेना द्वारा की गई कार्यवाही का गौरवगान कर रहे थे, यह बिलकुल सही है, और करना भी लाजमी है। इसी के साथ उन्होंने भारतीय सेना के सौर्य का उल्लेख करते हुए देश को उसके चरणों में नतमस्तक होने की बात कह दी। अब देखने सुनने वालों ने उन वाक्यों को एक साथ जोड़कर सीधे प्रधानमंत्री के चरणों में नतमस्तक होना प्रचारित कर दिया। चूंकि मामला उस सरकार के उपमुख्यमंत्री का था जिसके मंत्री विजय शाह के विवादित बयान को लेकर इस समय पूरे देश में बवाल मचा हुआ है। यहां तक कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक इस विषय पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त कर चुके हैं। ऐसी स्थिति में उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा का यह तथाकथित विडियो प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर मिडिया के लिए मसाला बन गया। बहरहाल जानकारी मिलते ही उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने तत्काल अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने सेना के चरणों में नतमस्तक होने की बात कही है ना कि प्रधानमंत्री को लेकर बोला। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि वह सेना के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने जैसी कोई बात कह ही नहीं सकतें। उनके इस वक्तव्य के कुछ ही समय पश्चात् जबलपुर कलेक्टर का भी लिखित बयान आया कि उपमुख्यमंत्री ने सेना के चरणों में नतमस्तक होने की ही बात कही थी। लेकिन दो अलग-अलग वाक्यों को एक साथ जोड़कर देखा गया है। कलेक्टर ने इसे एक चैनल के संवाददाता की कपोल-कल्पना से उत्पन्न भ्रम का परिणाम बताया। सत्ताधारी दल और उसकी सरकार को घेरने के लिए विपक्ष को लगे हाथ एक और मुद्दा मिल गया। होना भी यही था, और होता भी ऐसा ही है कि विपक्षी दल सरकार को घेरते हुए सबसे पहले तो स्तीफे की ही मांग करता है। वहीं कांग्रेस ने भी किया और पूरा राशन-पानी लेकर जगदीश देवड़ा तथा भाजपा पर चढ़ बैठी। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नमक मिर्च लगाकर अपनी टीआरपी बढ़ाने में जुट गए। लेकिन उस विडियो को गंभीरता से देखने सुनने की किसी ने जहमत नहीं उठाई। खैर राजनीति में अक्सर ऐसे मुद्दे और घटनाएं होती रहती है लेकिन यह विषय इसलिए ज्यादा गंभीर है कि इसका सीधा-सीधा वास्ता देश की सेना और स्वाभिमान से जुड़ा हुआ है।
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